सीआईएसएफ हो रहा है बैटल रेडी भारतीय सेना के साथ गहन प्रशिक्षण शुरू
प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य जवानों को आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए बैटल रेडी बनाना
सीआईएसएफ जवानों को सेना के साथ विशेष प्रशिक्षण
अजित सिंह / राजेश तिवारी ( ब्यूरो रिपोर्ट)
बदलते सुरक्षा परिदृश्य और बढ़ते खतरों के बीच, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) अपनी परिचालन क्षमताओं को अभूतपूर्व रूप से मजबूत कर रहा है। बल ने भारतीय सेना के साथ मिलकर एक गहन संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है, जिसका उद्देश्य अपने जवानों को किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए बैटल रेडी बनाना है। यह कदम सीआईएसएफ के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है, जो उसे आधुनिक और असामान्य सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार कर रहा है।

Read More ग़ोला क्षेत्र में अवैध मिट्टी खनन, शराब व हरे पेड़ों की कटान पर भाजपा बूथ अध्यक्ष का बड़ा आरोपसीआईएसएफ के संदर्भ में बैटल रेडी का अर्थ है कि उसके जवान देश के सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील प्रतिष्ठानों, जैसे हवाई अड्डे, परमाणु ऊर्जा संयंत्र, सरकारी इमारतें और संसद, में किसी भी आपात स्थिति में तेज, सटीक और प्रभावी प्रतिक्रिया दे सकें। इसमें ड्रोन हमला, आतंकवादी हमला, अंदरूनी खतरा और तोड़फोड़ जैसी घटनाओं से पूरी दक्षता के साथ निपटना शामिल है।
यह प्रशिक्षण उन्हें शहरी सुरक्षा चुनौतियों से परे जाकर जटिल सुरक्षा परिदृश्यों में भी कार्य करने के लिए तैयार करेगा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि पहली बार सीआईएसएफ के पूरे बैच को कश्मीर घाटी में भारतीय सेना की विशेष यूनिट्स द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पहले केवल कुछ ही CISF जवानों को सेना के साथ प्रशिक्षण का अवसर मिलता था। हालांकि अब CISF और सेना के बीच बेहतर तालमेल और राष्ट्रहित में बड़ी संख्या में जवानों को यह विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
यह पहल दोनों बलों के बीच समन्वय और परिचालन दक्षता को बढ़ाएगी। इस गहन प्रशिक्षण में कई महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं जो जवानों को विभिन्न युद्ध परिस्थितियों के लिए तैयार करेंगे।अंधेरे और कम रोशनी में प्रभावी ढंग से कार्य करने की क्षमता विकसित करना। घने और दुर्गम जंगली इलाकों में परिचालन कौशल को तेज करना। आमने-सामने की लड़ाई और शहरी क्षेत्रों में सीमित स्थान पर मुकाबला करने की तकनीकें सीखना।
शारीरिक और मानसिक सहनशक्ति को बढ़ाना ताकि कठिन और लंबे अभियानों के दौरान भी जवान अपनी क्षमता बनाए रख सकें। ये सभी प्रशिक्षण मॉड्यूल CISF के शहरी सुरक्षा अनुभव को पूरक करेंगे और जवानों को जटिल इलाकों तथा उच्च खतरे वाले क्षेत्रों में भी कार्य करने के लिए तैयार करेंगे। इस कठिन और विशिष्ट प्रशिक्षण के लिए, केवल CISF की क्विक रिएक्शन टीम (QRT) के जवानों को चुना गया है, जो किसी भी आपात स्थिति में सबसे पहले प्रतिक्रिया देते हैं।
चयन प्रक्रिया में सख्त मानदंड अपनाए गए: जवानों की उम्र 35 साल से कम होनी चाहिए और उन्हें NSG मानकों के अनुसार बैटल फिजिकल एफिशिएंसी टेस्ट (BPET) पास करना अनिवार्य था। इन सभी जवानों ने पहले ही अपनी छह महीने की गहन इन-हाउस ट्रेनिंग पूरी कर ली है, जो उन्हें इस उन्नत प्रशिक्षण के लिए आधार प्रदान करती है। भविष्य में CISF इस तरह के एडवांस युद्ध प्रशिक्षण को अन्य यूनिट्स तक भी विस्तारित करने की योजना बना रहा है, विशेष रूप से उन स्थानों से शुरुआत करते हुए जो सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
इस पहल का अंतिम उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि CISF का प्रत्येक जवान शारीरिक, मानसिक और रणनीतिक रूप से इतना सक्षम हो कि वह किसी भी नए खतरे का डटकर सामना कर सके और देश के महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा हमेशा सुनिश्चित की जा सके। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम CISF को एक अधिक दुर्जेय और प्रतिक्रियाशील बल के रूप में स्थापित करेगा, जो भारत की आंतरिक सुरक्षा को और मजबूत करेगा।

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