सनातन को बदनाम करने की टूलकिट से सावधान रहें !
On
देश में एक सोची समझी साजिश के तहत सनातन को बदनाम करने की टूल किट का इस्तेमाल किया जा रहा है यह टूलकिट चंद कांवड़िया वेश में छिपे असामाजिक तत्वों की हरकतों को सोशल मीडिया पर वायरल कर कांवड़ यात्रा जैसे पवित्र आयोजन को बदनाम करने की कोशिश करती है। सिर्फ टीआरपी के भूखे न्यूज चैनल बार बार एक फौजी के साथ पांच छह गुंडों के दुर्व्यवहार को वायरल करते हैं और देश भर में कांवड़ियों के प्रति असंवेदनशील नजरिया पैदा किया जाता है लेकिन करोड़ों भक्तों के पैरो के छाले धूप और बारिश को सहकर भी अपने ईष्ट के लिए पवित्र जल लाने की प्रबल उत्कंठा हरहर महादेव के गगनभेदी उद्घोष श्रद्धा भक्ति और विश्वास को गौण कर दिया जाता है ।
आपको पता है समय के साथ साथ परिवर्तन संसार का नियम है। ऐसे समय मे जब भारतीय डेमोग्राफी को प्रभावित करने के लिए देश विरोधी ताकतों द्वारा विदेशी फंडिंग से लवजेहाद और धर्मांतरण की बड़ी साजिश चल रहीं हैं वही अनेक ईसाई मिशनरिया गुपचुप ढंग से धर्मांतरण के काम को अंजाम दे रही हैतब एक सुप्त समाज के जागरण के लिए समेकित प्रयास जरूरी हो जाता है।
इस वसुंधरा को जीवंत रखने और जीने का अधिकार जिंदा कौमों को होता है यदि जिंदगी है तो उसमे जीवन का उत्सव भरा उत्साह और उमंग भी होना चाहिए इसी उत्सव उल्लास उमंग का यदि करीब से अनुभव महसूसु करना चाहते हैं तो सावन माह में गंगा जल ला रहे करोड़ों कांवड़ियों को देखिए। छोटे अधोवस्त्रों में कांधे पर कांवड़ लेकर पवित्र जल से अपने अराध्य भोले बाबा को जलाभिषेक करने के लिए सैकड़ों हजारों किलोमीटर की कष्ट भरी पदयात्रा हर किसी के बूते की बात नही है दस से पंद्रह दिन के लिए अपने घर बार नौकरी व्यापार को छोड़ कर भगवा अधोवस्त्रों में दुरूह यात्रा करना आसान नहीं है आप को बता देंकि एक कांवड़िया जब अपने घर से जल लेने के लिए कांवड उठा लेता है तो वह सिर्फ भोला कहलाता है उसकी पहचान जाति वर्ण क्षेत्र से नही होती है। जान लीजिए कि यात्रा के दौरान तमाम सौंदर्य प्रसाधन साबुन मंजन क्रीम का उपयोग भी वर्जित होता है। कांवड़ यात्रा स्वयं में एक साधना है अब इस में धर्म अध्यात्म के साथ राष्ट्र व धर्म रक्षा के लिए जागरूकता फैलाने का ध्येय भी जुड़ा है।
आपको बता दें कि सबसे अधिक कांवड़ यात्री उत्तराखंड के हरिद्वार से गंगा जल ले कर उठाते हैं। भगवान शिव की आराधना के लिए श्रावण मास श्रेष्ठ माना जाता है। इस महीने जिस प्रकार जम्मू-कश्मीर में श्री अमरनाथ धाम की यात्रा के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं, उसी प्रकार शीघ्र प्रसन्न होने वाले आशुतोष भगवान शिव शम्भू के जलाभिषेक के लिए लाखों युवा, बूढ़े और किशोर भक्तों द्वारा कांवड़ में पवित्र नदियों का जल भर कर ले जाने की परम्परा लम्बे समय से चली आ रही है।श्रावण मास में कांवड़ उठाकर शिवालयों में गंगा जल चढ़ाने की शिव भक्तों की इस परम्परा ने आज एक मेले का रूप धारण कर लिया है। इनमें मात्र कंधे पर कांवड़ उठाकर चलने वाले भक्त ही नहीं होते, दंडवत होकर भारी कष्ट उठाते हुए सारा मार्ग लेट कर पूरा करने वाले शिव भक्त भी होते हैं। इस वर्ष भी कांवड़ यात्रा पूरे उत्साह से जारी है।
अनेक स्थानों पर कांवड़ यात्रियों पर पुष्पवर्षा करके उनका स्वागत किया जा रहा है तथा कांवड़ यात्रा मे शामिल झाकियां मौजूदा समय में धर्म समाज और राष्ट्र के सामने आ रही चुनौतियों के प्रति जागरूक करने का भी प्रयास कर रहीं हैं। भक्तों को आकर्षित कर रही हैं हजारों झांकियां देश के बहुसंख्यक हिन्दू समाज को कायरता त्याग कर धर्म समाज की सुरक्षा रक्षा के लिए बिना जाति भाषा भेदभाव के एकजुट होकर धर्मांतरण और लवजेहाद में लगी असामाजिक चरमपंथी ताकतों के खिलाफ जागरूक करने का भी बहुत बड़ा काम कर रहीं हैं। इसी कड़ी में हिन्दू जागरण मंच श्रीगंगानगर नगर राजस्थान के स्वयंसेवी कांवड़ियों द्वारा लवजेहाद के खिलाफ एक मार्मिक झांकी हरिद्वार से श्रीगंगानगर नगर तक की कांवड यात्रा में शामिल कर समाज में जागरूकता का प्रभावी संदेश दिया। इसी तरह 'बागपत' (उत्तर प्रदेश) से लाई गई 'बुल्डोजर कांवड़' लोगों के आकर्षण का विषय बनी हुई है। इसमें बुल्डोजर पर भगवान शिव की भव्य प्रतिमा को भगवा ध्वज के साथ स्थापित किया गया है।एक कांवड़ यात्रा 'आप्रेशन सिंदूर' के थीम पर भी निकाली गई है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सेना का चित्र लगाया गया है और शहीद जवानों के फोटो लगाकर उन्हें श्रद्धांजलि भी दी गई है।
'मेरठ' के 4 किसान भाई अपने माता-पिता को कंधे पर बिठा कर कांवड़ यात्रा पर निकले हैं और प्रतिदिन लगभग 15 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। इससे पूर्व इन चारों भाइयों ने अपने दादा-दादी को भी इसी प्रकार 2 बार कांवड़ यात्रा करवाई थी इसी प्रकार 'मुजफ्फरनगर' की रहने वाली एक महिला अपने दिव्यांग पति को पीठ पर बिठाकर उसके स्वास्थ्य की कामना के साथ हरिद्वार से गंगाजल लेकर 2 बच्चों के साथ कांवड़ लेकर निकली है।
'पटना' जिले के 'मारूफगंज' स्थित 'विशाल शिवधारी संघ' के 500 से अधिक शिवभक्तों ने 'सुल्तानगंज' से गंगाजल भर कर 54 फुट लम्बी विशाल कांवड़ के साथ देवघर के लिए यात्रा शुरू की है। इस कांवड़ पर चांदी का मंदिर, चांदी की छतरी और 6 बड़े घड़े लगे हैं जिनमें कुल 50 लीटर गंगा जल भरा गया है।
हरिद्वार' से निकाली गई एक अन्य कांवड़ यात्रा में गऊमाता की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय कानून बनाने की मांग की गई है। इसमें कांवड़िए गंगा जल लेकर एक विशेष रथ पर गाय माता की प्रतिमा को स्थापित कर पैदल चल रहे थे 'बागपत' में सोने का काम करने वाले एक शिव भक्त 'अंकित' ने भगवान भोले नाथ की भक्ति में ऐसा रंग जमाया है कि जगह-जगह लोग उसे देखने को रुक जाते हैं। वह अपनी 'गोल्डन मोटरसाइकिल' पर सोने जैसी चमकती शिव प्रतिमा को विराजमान कर हरिद्वार से जल लेकर निकले हैं।
कभी वह भोले बाबा की प्रतिमा को मोटरसाइकिल पर बिठा देते हैं तो कभी श्रद्धा से अपने सिर पर उठा लेते हैं। कहीं लोग फूलों की मालाएं पहनाकर उनका स्वागत करते हैं तो कहीं उनके पैरों में फूल बिछा कर आशीर्वाद ले रहे हैं और 'भोले बाबा की जय', हर हर महादेव के नारे लगाते हैं।
ऐसे शिवोहम माहौल के बीच कहा जाता है कि चंद कांवड़ियों के वेश में कुछ असामाजिक तत्वों से ऐसी हरकतें हुईं, जिनमें पुलिस को कांवड़िया वेश धारी फर्जी भक्तों पर लाठियां बरसानी पड़ीं। बस्ती जिले में एक धार्मिक स्थल को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के चलते कांवड़ियों ने हंगामा किया तथा बैरियर एवं पोस्टर उखाड़ कर आग लगा दी।
इस तरह के हालात में हम तो यही कहना चाहेंगे कि जिस भावना से शिवभक्त कांवड़ लेकर निकले हैं, उसकी गरिमा बनाए रखें और अपने किसी कृत्य से आलोचना के पात्र न बनें।वहीं सोशल मीडिया पर जानबूझकर धर्म व संस्कृति विरोधी ताकतें कांवड़ यात्रा के खिलाफ दुष्प्रचार का टूल किट का प्रयोग कर रहे हैं ऐसे लोगों से सावधान रह कर यात्रा की गरिमा और पवित्रता को बनाए रखने के लिए कृतसंकल्प होना चाहिए अपने आसपास मर्यादा तोड़ रहे कांवड़िया वेशधारी को पहले समझाने का प्रयास करें नहीं माने तो पुलिस को सोंप दें। कांवड़ यात्रा को दूषित होने से बचाना सभी श्रद्धालुओं का कर्तव्य है हम मानते हैं कि जो लोग बिना किसी परवाह किए धार्मिक राष्ट्रीय भावना से प्रभावित होकर सैकड़ों हजारों किलोमीटर की कष्ट भरी कांवड़ यात्रा मे जा सकते हैं वह जरूरत पड़ने पर राष्ट्र की रक्षा के लिए सीमा पर भी जा सकते हैं घर बैठ कर सोशल मीडिया पर वायरल चंद रीलों के आधार पर कांवड़ियों के प्रति गलत विचार न बनाए यह भोले नाथ की फौज है जो जरूरत पड़ने पर जेहादियों का जबाव देने मे सक्षम है।
मनोज कुमार अग्रवाल
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
About The Author
स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।
Related Posts
राष्ट्रीय हिंदी दैनिक स्वतंत्र प्रभात ऑनलाइन अख़बार
08 Dec 2025
08 Dec 2025
07 Dec 2025
Post Comment
आपका शहर
08 Dec 2025 22:15:34
Gold Silver Price: सोमवार को सोने और चांदी के दामों में महत्वपूर्ण बदलाव दर्ज किया गया। लगातार उतार-चढ़ाव के बाद...
अंतर्राष्ट्रीय
28 Nov 2025 18:35:50
International Desk तिब्बती बौद्ध समुदाय की स्वतंत्रता और दलाई लामा के उत्तराधिकार पर चीन के कथित हस्तक्षेप के बढ़ते विवाद...

Comment List