सोनभद्र में विकास के नाम पर लगा भ्रष्टाचार का आरोप, खरहरा टोला के गौरघटी टोला में टूटा पुलिया
सरकारी तंत्र के दावों की पोल खोल रही है गौरघटी का पुलिया, लोगों ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
चोपन विकास खण्ड के ग्राम पंचायत खरहरा का मामला, मजदूरों का शोषण बदस्तुर जारी
अजित सिंह /राजेश तिवारी ( ब्यूरो रिपोर्ट)
जनपद सोनभद्र के चोपन ब्लॉक अन्तर्गत ग्राम पंचायत में विकास योजनाओं के नाम पर भ्रष्टाचार का ग्रहण लगता दिख रहा है। बतातें चलें कि ग्राम पंचायत खरहरा के टोला गौरघटी में तीन महीने पहले ही बनी एक पुलिया पहली ही बरसात में धाराशाई हो गई । यह घटना सरकारी दावों की पोल खोलती नजर आ रही है जो कि ग्राम प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है

वहीं दूसरी तरफ घटिया निर्माण को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है । गौरतलब है कि यह पुलिया कई घरों के लिए आवागमन का एकमात्र रास्ता है और गौरघटी के ग्रामीणों के लिए यह पुलिया सिर्फ एक ढांचा नहीं, बल्कि उनकी जीवनरेखा भी है। इसके क्षतिग्रस्त होने से बरसात के मौसम में आवागमन पूरी तरह ठप हो गया है।

नहर में पानी का स्तर बढ़ने पर स्थिति और भी दयनीय हो जाती है जिससे लोगों को अपने घरों तक पहुंचने या दैनिक कार्यों के लिए बाहर निकलने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बच्चों के लिए स्कूल जाना जोखिम भरा हो गया है और किसी भी आपात स्थिति में यह पुलिया बड़ी चुनौती बन सकती है।

बतादें कि इस पुलिया का निर्माण ग्राम पंचायत खरहरा के प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी द्वारा बनवाया गया था। ग्रामीणों का सीधा आरोप है कि पुलिया के निर्माण में घटिया सामग्री का खुलेआम प्रयोग किया गया है जिसके कारण यह पहली ही बारिश का दबाव नहीं झेल पाई और ध्वस्त हो गई।

यह सीधे तौर पर निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार और मानकों की घोर अनदेखी की ओर इंगित करता है।जिसके क्रम में ग्रामीणों ने मजदूरी न मिलने का भी आरोप लगाया है। एक ग्रामीण ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि हमने इस पुलिया को बनाने में मजदूरी की लेकिन आज तक हमें हमारा मेहनताना नहीं मिला।

यह आरोप स्थिति को और भी गंभीर बना देता है क्योंकि यह केवल घटिया निर्माण का ही नहीं बल्कि मजदूरों के खुलेआम शोषण का भी मामला है। सोनभद्र में मजदूरों के साथ हो रहे इस जबरदस्त दुरुपयोग को लेकर स्थानीय लोगों में भारी रोष है, मगर शासन और प्रशासन के लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं जिससे मजदूर दर-दर भटकने को मजबूर हैं।

मजदूरों का साफ कहना है कि मजदूर की कमाई अधिकारी और ठेकेदार खा रहे हैं उसका मलाई। जहाँ स्थानीय लोगों का दर्द साफ झलकता है। उनका कहना है कि चुनाव के समय नेता घर आकर सभी के पैर छूते हैं और विकास का गंगा बहाने का वादा करते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद विकास का गंगा न बहाकर भ्रष्टाचार का गंगा बहा ले जाते हैं।
कितना नेता आए और कितना नेता गए मगर हालत वही का वही है। स्थानीय लोगों का स्पष्ट कहना है कि हमारे प्रदेश के मुखिया ईमानदार हैं और उनके नीचे बेईमान हैं।यह घटना स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि निचले स्तर पर जवाबदेही की कमी और पारदर्शिता का अभाव कैसे सार्वजनिक धन के दुरुपयोग और ग्रामीण विकास में बाधा बन रहा है।

चोपन ब्लॉक के अंतर्गत किसी भी निर्माण कार्य में मानकों के विपरीत काम हो रहा है और गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। जनता पूछ रही है कि जनता और सरकार के पैसे का दुरुपयोग किसके संरक्षण में चल रहा है? स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि कोई बाहर की जांच कमेटी इन कामों की जांच करे तो सभी निर्माण कार्यों में गुणवत्ता के खिलाफ काम देखने को मिलेगा।


ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से तत्काल इस मामले का संज्ञान लेने और पुलिया का गुणवत्तापूर्ण पुनर्निर्माण कराने की मांग की है। इसके साथ ही, वे इस घटिया निर्माण और मजदूरों के शोषण के लिए जिम्मेदार प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की भी मांग कर रहे हैं।

यह अत्यंत आवश्यक है कि जिला प्रशासन इस मामले की उच्च-स्तरीय जांच कराए, दोषियों को दंडित करे और यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में ऐसे विकास कार्यों में गुणवत्ता और पारदर्शिता बनी रहे। ग्रामीणों के मौलिक अधिकारों उनके सुरक्षित आवागमन और मजदूरों को उनका हक दिलाने के लिए प्रशासन का दायित्व है कि वह तत्काल ठोस कदम उठाए।

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