सोनभद्र में सोन चेतना संगठन का ऐतिहासिक अभियान ,चोपन घाट के उद्धार के लिए उमड़ा जनसैलाब
सोन चेतना संगठन ने चलाया हस्ताक्षर अभियान, लोगों ने लिया बढ़ चढ़ कर हिस्सा
चोपन घाट पर मूलभूत सुविधाओं का टोटा, सड़कों की स्थिति जर्जर व महिला सुरक्षा से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं का अभाव
अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
जनपद सोनभद्र के नागरिकों ने सोन चेतना संगठन के तत्वावधान में एक ऐतिहासिक जनसमर्थन अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य चोपन घाट की उपेक्षा और वहाँ संस्कार स्थल पर मूलभूत सुविधाओं की माँग को लेकर हस्ताक्षर के माध्यम से अपना समर्थन प्रकट करना था।


यह प्रयास सामाजिक, धार्मिक और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करते हुए चोपन घाट की दयनीय दशा को सुधारने पर केंद्रित है। नागरिकों ने इस अभियान के माध्यम से स्पष्ट किया कि अंतिम संस्कार जैसे गंभीर धार्मिक कर्तव्य को पूर्ण गरिमा और सम्मान के साथ संपन्न कराने के लिए समुचित व्यवस्थाओं का होना अत्यंत आवश्यक है।
दु:खद बात यह है कि वर्तमान में चोपन घाट तक जाने वाली सड़कों की जर्जर स्थिति, पीने के पानी की अनुपलब्धता, शौचालय और महिला सुरक्षा की कमी जैसी अनेक बुनियादी समस्याएँ वर्षों से उपेक्षित रही हैं, जिससे यहाँ आने वाले लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
इस महत्वपूर्ण अभियान का नेतृत्व संगठन के सक्रिय सदस्य गोपाल सिंह, सिद्धांत पटेल, विकास पाठक, राहुल वर्मा, अंशु माथुर, अभी सिंह, राजू साहनी, साहिल राव और संगठन संयोजक अभिषेक अग्रहरी ने किया। इन सभी ने मिलकर नागरिकों को संगठित किया और चोपन घाट की बदहाली की ओर ध्यान आकर्षित किया।
सोन चेतना संगठन ने इस अभियान के माध्यम से प्रशासन और संबंधित अधिकारियों के समक्ष निम्नलिखित प्रमुख माँगें रखी हैं।चोपन घाट तक पक्की सड़क का निर्माण शीघ्र किया जाए वर्तमान में सड़क की खराब हालत के कारण शवयात्रा में आने वालों को भारी कठिनाई होती है।
खासकर बरसात के मौसम में। घाट पर पेयजल, शौचालय, स्नानागार, प्रतीक्षालय आदि मूलभूत सुविधाएँ स्थापित की जाएँ। इन सुविधाओं के अभाव में अंतिम संस्कार के लिए आए परिजनों को असहनीय पीड़ा झेलनी पड़ती है। महिलाओं की सुरक्षा हेतु सीसीटीवी, प्रकाश व्यवस्था और पुलिस सहायता उपलब्ध कराई जाए संस्कार स्थल पर महिलाओं की उपस्थिति को देखते हुए उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है।
चोपन घाट को धार्मिक-सामाजिक महत्व का सार्वजनिक स्थल घोषित किया जाए इससे इसके रख-रखाव और विकास के लिए स्थायी कदम उठाए जा सकेंगे।इसके स्थायी रख-रखाव के लिए नगर निकाय या पंचायत को उत्तरदायी बनाया जाए किसी एक स्पष्ट प्राधिकरण को जिम्मेदारी सौंपने से चोपन घाट की दशा में सुधार सुनिश्चित होगा।
सोन चेतना संगठन ने दृढ़ता से यह स्पष्ट किया है कि यह अभियान किसी एक धर्म या जाति विशेष की बात नहीं है। यह एक मानवीय गरिमा और संविधान प्रदत्त अधिकारों की रक्षा हेतु उठाया गया एक समवेत प्रयास है। संगठन का मानना है कि अंतिम संस्कार स्थल पर बुनियादी सुविधाओं का होना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और इसकी अनदेखी करना अमानवीय है।
यह जनसमर्थन अभियान इस बात का प्रमाण है कि सोनभद्र के नागरिक अपने अधिकारों के प्रति सजग हैं और अपनी बुनियादी सुविधाओं के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने को तैयार हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस जनआंदोलन पर क्या प्रतिक्रिया देता है और कब तक चोपन घाट की दशकों पुरानी समस्याओं का समाधान होता है।क्या आपको लगता है कि स्थानीय निकायों को ऐसे संवेदनशील स्थलों के रख-रखाव के लिए अधिक जवाबदेह होना चाहिए।

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