सुलतानपुर में दो भाइयों को एनकाउंटर में फंसाने की साजिश का लगा आरोप
परिजनोंन ने मुख्यमंत्री और मानवाधिकार से लगाई न्याय की गुहार
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सुलतानपुर।
कादीपुर
थाना क्षेत्र में पुलिस द्वारा दर्ज एक मुठभेड़ प्रकरण अब विवादों के घेरे में आ गया है। ग्राम कुम्ही डढ़िया निवासी विजय विक्रम सिंह ने अपने दो सगे भाइयों — धीरेन्द्र सिंह और आनंद रंजन — को फर्जी पुलिस मुठभेड़ में फंसाने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
पत्र में दावा किया गया है कि 17 जून 2025 की रात करीब 8:10 बजे कादीपुर पुलिस ने दोनों भाइयों पर पुलिस पार्टी पर फायरिंग करने का आरोप लगाते हुए खुद को वादी बनाकर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया, जिसमें धारा 109, 132, 221, 121(1), 121(2), और 352 जैसी धाराएं लगाई गईं।

CCTV फुटेज से पुलिस की थ्योरी पर सवाल
मुख्य आरोपी बनाए गए आनंद रंजन के परिजनों ने CCTV फुटेज प्रस्तुत किया है, जिसमें वह घटना के समय अपने घर (घटनास्थल से लगभग 3 किमी दूर) पर मौजूद दिख रहे हैं। फुटेज के अनुसार आनंद रंजन घटना के दौरान न सिर्फ घर के बाहर पाइप से पानी दे रहे थे, बल्कि दिनभर अपनी गतिविधियों में लगे रहे। परिजनों का दावा है कि घटना के समय केवल 10 मिनट के लिए वह डेयरी पर दूध लेने गए थे, और फिर वापस लौट आए।
गांव वालों ने भी मुठभेड़ पर उठाए सवाल
गांव के कई स्थानीय निवासियों ने भी कहा है कि न उन्होंने कोई गोली चलने की आवाज सुनी और न ही कोई पुलिसिया कार्रवाई देखी, जिससे पूरे मुठभेड़ के दावे पर संशय पैदा हो गया है।
ऑडियो क्लिप से नया मोड़
एक कथित वायरल ऑडियो क्लिप में थाने के एक दरोगा की आवाज़ बताई जा रही है, जिसमें वह खुद इस कार्रवाई को "मजबूरीवश" करना स्वीकार कर रहा है। हालांकि इस ऑडियो की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह जांच का विषय बन चुका है।
पुरानी रंजिश और पुलिस रिकॉर्ड का दुरुपयोग?
परिजनों का आरोप है कि उक्त प्रभावशाली लोगों ने पहले भी राजनीतिक और प्रशासनिक रसूख का उपयोग कर धीरेन्द्र और आनंद रंजन को 'हिस्ट्रीशीटर' घोषित करवा दिया था, ताकि किसी भी समय उन्हें झूठे मुकदमों में फंसा कर परेशान किया जा सके।
परिजनों ने मांगी सुरक्षा व उच्चस्तरीय जांच
मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में परिजनों ने मामले की निष्पक्ष जांच, फर्जी मुकदमे निरस्त करने, साजिशकर्ताओं पर कार्रवाई करने और परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
क्या कहती है पुलिस?
पुलिस की ओर से अब तक इस प्रकरण में कोई आधिकारिक प्रेस बयान सामने नहीं आया है। लेकिन विभागीय सूत्रों का कहना है कि मामले की विवेचना नियमानुसार की जा रही है, और यदि कोई साक्ष्य सामने आता है तो उसे जांच में शामिल किया जाएगा।
न्याय की आस और प्रशासनिक चुप्पी
इस पूरे प्रकरण ने जिले की कानून-व्यवस्था, पुलिस की निष्पक्षता और प्रभावशाली लोगों के हस्तक्षेप जैसे बड़े सवालों को जन्म दिया है। अब निगाहें शासन और प्रशासन पर हैं कि क्या निर्दोष नागरिकों की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित किया जाएगा, या यह मामला भी फाइलों में दफन हो जाएगा।
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