सोनभद्र में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की घोर लापरवाही से ग्रामीण 1 महीने से अंधेरे में जीने को मजबूर, सड़क पर पसरा सन्नाटा
बिजली नहीं तो ज़िंदगी ठप्प, मौत को दावत दे रहा है सड़क पर पसरा तार , पॉवर कार्पोरेशन लिमिटेड पर उठे रहें हैं गंभीर सवाल, लोगों ने किया प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग
ओबरा तहसील क्षेत्र का मामला
अजित सिंह / राजेश तिवारी ( ब्यूरो रिपोर्ट)
सोनभद्र जिले के जुगैल थाना क्षेत्र के ग्राम खहररा टोला आमिला/करेला में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PCL) की भयंकर लापरवाही उजागर हुई है। एक महीने से भी ज़्यादा समय से बिजली का एक पोल टूटकर सड़क पर गिरा हुआ है और बिजली के तार भी सड़क पर बिखरे पड़े हैं। इस भयावह स्थिति के कारण गांव में बिजली आपूर्ति पूरी तरह से ठप है।
जिससे लगभग 100 से 150 घरों के ग्रामीण भारी परेशानी झेल रहे हैं।ग्रामीणों का आरोप है कि इतनी लंबी अवधि बीत जाने के बावजूद न तो कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर पहुंचा है और न ही कोई लाइनमैन। ग्राम खहररा टोला करेला के निवासी इस उदासीनता से बेहद आक्रोशित हैं। ग्रामीण शिवधारी जिगवीर ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि आजादी के बाद से उन्हें बिजली नसीब नहीं हुई है। 2024 में सरकार द्वारा बिजली का पोल लगाया गया, लेकिन कुछ ही दिनों में पोल टूट गया और तार बिखर गए। इसके बाद से पिछले एक महीने से उनके गांव में बिजली नहीं है, जिससे उनका दैनिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
ग्रामीण उम्मीद लगाए बैठे थे कि सरकार जल्द ही बिजली मुहैया कराएगी, क्योंकि सरकार का दावा है कि हर गांव हर घर में बिजली पहुंचेगी। विडंबना यह है कि यह स्थिति ओबरा, जिसे ऊर्जा की राजधानी कहा जाता है, से कुछ ही दूरी पर है। यहां बिजली का खंभा तो लगा है, लेकिन टूटा हुआ है और कोई अधिकारी देखने तक नहीं आया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह रामराज है। PCL की इस लापरवाही ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
टूटा हुआ बिजली का पोल और सड़क पर बिखरे तार न केवल बिजली आपूर्ति बाधित कर रहे हैं, बल्कि आने-जाने वाले लोगों के लिए भी गंभीर खतरा बने हुए हैं। यह मार्ग चोपन की ओर जाता है और काफी व्यस्त रहता है। सड़क पर खुले में पड़े बिजली के तारों से कई लोग गिरकर चोटिल हो चुके हैं।
जनता सवाल पूछ रही है कि इसका जिम्मेदार कौन है और बिजली कब आएगी? 74 साल से ग्रामीण बिजली के लिए तरस रहे हैं।यह घटना PCL की लापरवाही और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करती है। ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है ताकि इस समस्या का समाधान किया जा सके और उन्हें जल्द से जल्द बिजली मिल सके, साथ ही सड़क पर फैले खतरे को भी खत्म किया जा सके।इस स्थिति पर आपकी क्या राय है? क्या आपको लगता है कि ऐसे मामलों में अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।

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