ओबरा ऊर्जा की राजधानी में बिजली कटौती से हाहाकार, योगी सरकार के 24 घंटे बिजली के दावों पर गंभीर सवाल
अंधाधुंध बिजली कटौती से जनता त्रस्त, विभाग मस्त
स्थानीय लोगों ने लगाया बिजली विभाग पर मनमानी का आरोप
अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
उत्तर प्रदेश को ऊर्जा की राजधानी का गौरव दिलाने वाला सोनभद्र जिले का ओबरा इस समय भीषण और अघोषित बिजली कटौती के दंश से जूझ रहा है। यह एक बड़ी विडंबना है कि जहां एक ओर ओबरा से उत्पादित बिजली पूरे राज्य को रोशन कर रही है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय निवासियों का जीवन बिजली विभाग की मनमानी और लापरवाही से बदहाल हो गया है। नगर वासियों का स्पष्ट कहना है कि इस अनियंत्रित बिजली कटौती ने उनका जीना मुश्किल कर दिया है, और यह स्थिति तब है जब वे स्वयं देश के महत्वपूर्ण ऊर्जा उत्पादन केंद्र के समीप निवास कर रहे हैं।

Read More जनपद के समस्त रेलवे स्टेशन, बस अड्डों तथा मुख्य चौराहों के पास रैन बसेरों का संकेतक लगेंगे नगर वासियों के अनुसार, बिजली विभाग द्वारा की जा रही अघोषित कटौती का कोई निश्चित समय या पैटर्न नहीं है, जिससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। दिन के समय, खासकर दोपहर 2 बजे से 4 बजे तक बिजली गुल रहती है, जिससे चिलचिलाती धूप और उमस भरी गर्मी में लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। छोटे बच्चों, बुजुर्गों और रोगियों के लिए यह स्थिति और भी विकट हो जाती है, क्योंकि बिना बिजली के पंखे और कूलर भी काम नहीं करते।
रात में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है; कभी रात 11 बजे, कभी 12 बजे तो कभी देर रात 2 बजे अचानक बिजली काट दी जाती है, जिससे लोगों की नींद हराम हो गई है। यह अनिद्रा अगले दिन के कार्यों और दैनिक दिनचर्या पर भी सीधा नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि बिजली विभाग अपनी मनमानी पर उतारू है और उनकी मर्जी जब होती है, तब वे बिना किसी पूर्व सूचना के बिजली काट देते हैं, चाहे वह दिन हो, रात हो या दोपहर। यह अमानवीय स्थिति ओबरा के नागरिकों के लिए एक बड़ा संकट बन गई है।
बिजली विभाग के प्रति लोगों में गहरा आक्रोश और निराशा व्याप्त है। कई उपभोक्ताओं का कहना है कि वे नियमित रूप से अपने बिजली बिलों का भुगतान करते हैं और एक जिम्मेदार नागरिक की तरह अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं, इसके बावजूद उन्हें लगातार और बेवजह बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। उनका सीधा और तीखा सवाल है कि जब बिजली बिल न देने पर लाइनमैन तुरंत बिजली काटने के लिए तत्पर रहते हैं और कोई देरी बर्दाश्त नहीं की जाती, तो बिल जमा करने के बाद भी इतनी अकारण और लंबी कटौती क्यों की जा रही है।
लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि इतनी बिजली कटौती से बिजली विभाग को आखिर क्या मिल रहा है और इसका क्या औचित्य है। यह स्थिति उपभोक्ताओं को ठगा हुआ और उपेक्षित महसूस करा रही है, जिससे बिजली विभाग के प्रति उनका विश्वास डगमगा रहा है और वे खुद को असहाय पा रहे हैं।स्थानीय निवासियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रदेश में 24 घंटे बिजली आपूर्ति के दावों पर भी गहरी निराशा व्यक्त की है।
उनका कहना है कि जहां एक ओर मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश में निर्बाध बिजली आपूर्ति का आश्वासन देते हैं और सुशासन का दावा करते हैं, वहीं ऊर्जा की राजधानी कहे जाने वाले ओबरा में ही लोगों को पर्याप्त और निरंतर बिजली नहीं मिल पा रही है। ऐसे में गांव और दूरदराज के छोटे शहरों में 24 घंटे बिजली कैसे मिल पाएगी, यह एक बड़ा और गंभीर सवाल है जो सरकार के दावों की पोल खोलता है। लोगों का स्पष्ट मानना है कि ओबरा के बिजली अधिकारी मुख्यमंत्री के निर्देशों और सरकारी नीतियों की भी खुलेआम अनदेखी कर रहे हैं, जिससे न केवल सरकार की छवि धूमिल हो रही है, बल्कि जनता में असंतोष और आक्रोश भी लगातार बढ़ रहा है।
कुल मिलाकर, ओबरा के नगर वासियों में सरकार और बिजली विभाग के अधिकारियों के प्रति गहरी नाराजगी और हताशा का माहौल है। वे चाहते हैं कि बिजली विभाग अपनी मनमानी बंद करे और उन्हें पर्याप्त तथा निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करे, खासकर तब जब वे स्वयं ऊर्जा उत्पादन के केंद्र में निवास करते हैं और देश की ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
यह गंभीर स्थिति न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है, बल्कि आम नागरिकों के दैनिक जीवन, पढ़ाई, स्वास्थ्य और समग्र कल्याण को भी बुरी तरह प्रभावित कर रही है। लोगों ने सरकार से इस गंभीर समस्या पर तत्काल ध्यान देने, दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने और एक स्थायी समाधान निकालने की मांग की है, ताकि ओबरा के नागरिकों को भी ऊर्जा की राजधानी में होने का वास्तविक लाभ मिल सके और उन्हें अघोषित बिजली कटौती के इस दुष्चक्र से अंतत, मुक्ति मिल पाए।

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