उत्तर प्रदेश में मातृ एवं शिशु कल्याण कार्यक्रमों से मिल रही है स्वास्थ्य सुरक्षा गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को मिल रही है व्यापक सहायता

गर्भवती महिलाओं को मिल रहा चिकित्सा सेवा सहित नि: शुल्क एम्बुलेंस सेवा का लाभ

उत्तर प्रदेश में मातृ एवं शिशु कल्याण कार्यक्रमों से मिल रही है स्वास्थ्य सुरक्षा गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को मिल रही है व्यापक सहायता

केन्द्र सरकार के नेतृत्व में महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधाओं का मिल रहा है लाभ

अजित सिंह / राजेश तिवारी ( ब्यूरो रिपोर्ट) 

सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश -

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश की गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए स्थानीय स्तर पर पूरी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की व्यवस्था की गई है।इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में सभी को स्वास्थ्य सेवा संबंधी पूरी सुविधा उपलब्ध कराई है, जिसके तहत आम जनता को सभी रोगों के इलाज की सुविधा मिल रही है ।

प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना और मुख्यमंत्री आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रदेश के गरीब परिवारों के सदस्यों को 5 लाख रुपये तक की मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है, यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए एक बड़ी राहत साबित हो रही है, जिससे वे बिना किसी वित्तीय बोझ के गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा प्राप्त कर पा रहे हैं। प्रदेश सरकार गांवों और शहरों की गर्भवती महिलाओं एवं शिशुओं की देखरेख और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

जननी सुरक्षा योजना जो राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत प्रदेश के समस्त जनपदों में संचालित की जा रही है। इसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। इस योजना के तहत राज्य स्तरीय राजकीय चिकित्सालय के जनरल वार्ड में संस्थागत प्रसव कराने वाली महिलाओं को ग्रामीण क्षेत्र में 1400 रुपये और शहरी क्षेत्र में 1000 रुपये की सहायता राशि दी जाती है. इसके अतिरिक्त, बी.पी.एल. (गरीबी रेखा से नीचे) श्रेणी की महिलाओं को घरेलू प्रसव हेतु भी 500 रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाती है। इस योजना में आशा कार्यकर्ता (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, वे पंजीकरण से लेकर प्रसव पूर्व, प्रसवकालीन और प्रसवोत्तर तक सभी सेवाएं उपलब्ध करवाती हैं, आशा कार्यकर्ताओं को इस कार्य हेतु ग्रामीण क्षेत्र में कुल 600 रुपये और शहरी क्षेत्र में कुल 400 रुपये दिए जाते हैं।

वर्तमान सरकार के 8 वर्ष के कार्यकाल में लगभग दो करोड़ महिलाओं को इस योजना से लाभान्वित किया गया है जो इसकी व्यापक पहुंच और प्रभावशीलता को दर्शाता है। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम प्रदेश के समस्त जनपदों में लागू है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रसव हेतु आने वाली गर्भवती महिलाओं को व्यापक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है। इसके अंतर्गत सभी गर्भवती महिलाओं एवं प्रसूताओं को समस्त औषधियां और जांचें (जैसे ब्लड, यूरिन, अल्ट्रासोनोग्राफी आदि) निःशुल्क प्रदान की जा रही हैं।इसके साथ ही सभी गर्भवती महिलाओं एवं प्रसूताओं (सामान्य एवं सिजेरियन प्रसव दोनों) को चिकित्सालय में भर्ती रहने के दौरान निःशुल्क भोजन प्रदान किया जा रहा है।

निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराने हेतु प्रति लाभार्थी 150 रुपये प्रतिदिन की अधिकतम दर तक धनराशि व्यय की जा सकती है, जिसमें सुबह का नाश्ता और दो समय का भोजन शामिल होता है। गर्भवती महिला को प्रसव पूर्व घर से चिकित्सा इकाई तक और प्रसवोपरांत चिकित्सा इकाई से घर तक निःशुल्क एम्बुलेंस 102 के माध्यम से पहुंचाया जा रहा है। प्रसवों के उपरांत मां की 42 दिन तक और बच्चे की एक वर्ष तक पूरी देखभाल, टीकाकरण, बीमार होने पर निःशुल्क चिकित्सा व्यवस्था, तथा घर से चिकित्सा इकाई तक, चिकित्सा इकाई से घर तक और चिकित्सा इकाई से अन्य चिकित्सा इकाई तक पहुंचाने की निःशुल्क सुविधा भी एम्बुलेंस 102 के माध्यम से दी जा रही है।

इस योजनांतर्गत प्रदेश में करोड़ों महिलाओं को भोजन, गर्भवती महिलाओं की जांच और उनका उपचार किया गया है। मातृ मृत्यु समीक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत एस.आर.एस. (नमूना पंजीकरण प्रणाली) सर्वे के अनुसार, 2011-13 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश का मातृ मृत्यु अनुपात 285 प्रति 1 लाख जीवित जन्म था, यह एक चिंताजनक आंकड़ा था, लेकिन सरकार के निरंतर प्रयासों का परिणाम है कि वर्ष 2017-19 की एस.आर.एस. सर्वे के अनुसार उत्तर प्रदेश का मातृ मृत्यु अनुपात घटकर 167 प्रति 1 लाख जीवित जन्म हो गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत प्रदेश में वर्ष 2020 तक इसे 170 प्रति 1 लाख जीवित जन्म तक लाने का लक्ष्य रखा गया था, जो प्रदेश में अच्छी एवं गुणवत्तापूर्ण चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराते हुए एक वर्ष पूर्व ही अर्जित कर लिया गया।

समस्त जनपदों में मातृ मृत्यु को कम करने के लिए पी.पी.एच. (प्रसवोत्तर रक्तस्राव) प्रबंधन प्रशिक्षण भी कराया गया है। सतत विकास लक्ष्य के अंतर्गत वर्ष 2030 तक मातृ मृत्यु को 70 से कम किए जाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं । प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) के अंतर्गत प्रत्येक माह की 9 तारीख को ब्लॉक स्तरीय चिकित्सालयों में यह कार्यक्रम चलाया जाता है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं को सभी गर्भवती महिलाओं तक पहुंचाना और उन्हें सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करना है।

इसके तहत द्वितीय व तृतीय त्रैमास की गर्भावस्था वाली महिलाओं को न्यूनतम एक जांच चिकित्सक द्वारा प्रदान की जाती है। सितंबर, 2017 से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत समस्त जनपदों के 100 से अधिक प्रसव भार वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पी.पी.पी. (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) मोड पर गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड की सुविधा प्रारंभ की गई है, जिसके अंतर्गत लाखों महिलाओं का अल्ट्रासाउंड किया गया है। प्रदेश सरकार गर्भवती महिलाओं को उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करके स्वस्थ मातृ एवं शिशु दर सुनिश्चित करने की दिशा में लगातार प्रयासरत है। ये सभी योजनाएं मिलकर उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत कर रही हैं और एक स्वस्थ पीढ़ी के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

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