सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया गांवों को स्मार्ट, साफ और स्वास्थ्य बनाने का सपना

मोटा बजट, संसाधन भी इसके बाद भी गंदगी से बजबजा रहे हैं सरोजनी नगर विकासखंड के गांव, अफसर भी कर रहे हैं अनदेखी

सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया गांवों को स्मार्ट, साफ और स्वास्थ्य बनाने का सपना

स्वतंत्र प्रभात
लखनऊ।

शहरों की तर्ज पर गांव भी स्वच्छ और स्वस्थ बने जिसके लिए सरकार ने करोड़ों का बजट भी दिया ताकि हर गांव में हर घर से कूड़ा उठाने के लिए गाड़ी उपलब्ध हो और आरसी सेन्टर बने ( कूड़ा घर) ताकि पूरे गांव का कूड़ा एक जगह एकत्र हो सके और उसकी छटाई हो सके लेकिन दुर्भाग्य ऐसा हो नहीं पा रहा है।

सरोजनीनगर ब्लॉक के दर्जनों गाँव कुछ यही हकीकत बयां कर रहे हैं इन गांवों में न ही कूड़ा उठाने की गाड़ी चल रही है और न ही आरसी (कूड़ा घर) सेन्टर ही बन कर तैयार हो सके हैं। कूड़ा उठाने वाली गाड़ी चालक को वेतन न मिल पाने के कारण चलना बंद हो चुकी है। ग्रामीण अब अपने घरों का कूड़ा गाँव के तालाबों में फेंक रहे हैं। जिससे गाँव के तालाब पटने की कगार पर हैं। गांवों की नालियां चोक हैं। सफाई कर्मी जो गाँव में तैनात है वो भी अधिकारियों के बंगले पर ड्यूटी कर रहे हैं ऐसे में न तो स्वच्छ गाँव की उम्मीद की जा सकती है और न स्वस्थ रहने की।गांवों में गंदगी का अम्बार दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है जिससे गांवों में संक्रमण रोग बढ़ने की भी आशंका है|

 सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी जिम्मेदारो के आगे बेअसर

सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश है कि गांवों के तालाबों को जीर्णोद्धार कराया जाए और उसकी साफ सफाई भी करवाई जाए। लेकिन जिम्मेदारो ने कभी गांवों में तालाबों की हकीकत देखना ऊचित नहीं समझा और तालाबों की दुर्दशा हो चुकी है तालाबों को ग्रामीणों द्वारा धीरे धीरे करके पाट कर मकान बना लिए गए। जिससे भविष्य में जल संचय की काफी दिक्कत उतपन्न होगी।


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