मौत परोस रहा है जहरीली शराब का धंधा! 

मौत परोस रहा है जहरीली शराब का धंधा! 

कभी बिहार यूपी तमिलनाडु और आंध्र जहरीली शराब से मौतों के मामलों को लेकर चर्चित रहते थे लेकिन अब पंजाब भी नकली शराब का बड़ा अड्डा बन गया है। एक बार फिर पंजाब में जहरीली शराब पीने से 21 लोगों की मौत ने  देश का ध्यान खींचा है। दुःखद बात यह है कि राज्य में यह कोई पहली घटना नहीं है। एक रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में तीन साल में चौथी बड़ी जहरीली शराब त्रासदी है। राज्य में सबसे बड़ी शराब की त्रासदी पांच साल पहले तरनतारन, अमृतसर और गुरदासपुर जिलों में हुई थी।
 
जुलाई और अगस्त 2020 में माझा क्षेत्र के तीन जिलों तरनतारन, गुरदासपुर और अमृतसर में कथित तौर पर नकली शराब पीने से लगभग 130 लोगों की मौत हो गई थी। लगभग एक दर्जन लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। अकेले तरनतारन जिले में लगभग 80 मौतें हुई थीं। किसी त्रासद घटना का सबक यह होना चाहिए कि उसमें हुई हानि को ध्यान में रखकर बाकी जगहों पर भी ऐसे उपाय किए जाएं, जिससे वैसी घटनाओं से बचा जा सके। मगर विडंबना यह है कि ज्यादातर घटनाओं को स्थानीय समस्या मानकर दूसरी जगहों पर उसकी अनदेखी कर दी जाती है या फिर उसे महज एक खबर की तरह देखा जाता है।
 
आपको पता है कि देश के अलग-अलग हिस्सों से अक्सर जहरीली शराब का सेवन करने से लोगों के मरने की खबरें आती रहती हैं। मगर समस्या के निदान के लिए सख्त कारगर नीति अमल में नहीं लाई जाती । पंजाब में जहरीली शराब से करीब 21 लोगों की मौत से यही पता चल रहा है कि शराब के नाम पर जहर बेचने का काम विना किसी रोक-टोक चल रहा था। अवैध तरीके से बनाई बेची जाने वाली शराब इसलिए अक्सर जहर का रूप धारण कर लेती है, क्योंकि ज्यादा मुनाफे के लालब में उसे बेहद हानिकारक और अखाद्य सामग्री से बनाया जाता है।
 
आमतौर पर अवैध शराब के कारोबार से पुलिस प्रशासन और आबकारी विभाग के लोग अवगत ही नहीं होते, बल्कि वे उसे संरक्षण भी प्रदान करते हैं। हालांकि एक बड़ा सवाल यह है कि पंजाब में जब शराब आसानी से मिल जाती है, तो लोग देसी शराब क्यों पीते हैं? यहां लगभग हर मोहल्ले, कस्बे और शहर में शराब की दुकानें मौजूद हैं। हैं। कई जगहों पर तो सस्ती ब्रांड की शराब भी खुलेआम बिकती है। फिर भी हर कुछ महीनों में जहरीली शराब से होने वाली मौत की खबरें सामने आती हैं। सवाल उठता है कि जब कानूनी रूप से शराब इतनी आसानी से मिल जाती है, तो जानलेवा जहरीली शराब आखिर आती कहां से है? दरअसल पंजाब के कई गांवों और सीमावर्ती इलाकों में अवैध रूप से देसी शराब बनाई जा रही है।
 
मिट्टी के बर्तनों और प्लास्टिक के ड्रमों में बनने वाली इस नकली शराब में मेथनॉल जैसे खतरनाक केमिकल मिलाए जाते हैं, जो शरीर के लिए बेहद भातक साबित होते हैं। यह शराब न केवल सस्ती होती है, बल्कि तेज नशा देती है, जिससे गरीब और मजदूर वर्ग इसे खरीदता है। शराब माफिया ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में शराब में मिलावट करते हैं। महंगे कैमिकल की जगह सस्ते और खतरनाक विकल्प मिलाए जाते हैं। नतीजा यह होता है कि कुछ घंटे के नशे के बाद पीने वालों की हालत बिगड़ने लगती है, कई मामलों में अंधापन, किडनी फेल होना और मौत जैसी घटनाएं सामने आती हैं। अवैध शराब 30 से 50 रुपये में मिल जाती है, जबकि लाइसेंसी शराब 200 से ऊपर होती है।
 
शराब की लत में फंसे लोग किसी भी कीमत पर नशा ढूंदते हैं, चाहे वह जहरीला ही क्यों न हो। हालांकि प्रशासन समय-समय पर छापेमारी करता है, लेकिन यह एक अस्थायी समाधान बनकर रह जाता है। कई जगहों पर स्थानीय पुलिस की मिलीभगत और राजनीतिक संरक्षण भी इन अवैध धंधों को बढ़ावा देता है। 
 
आपको बता दें ऐसा ही देश के अन्य हिस्सों में भी होता है और इसी कारण रह-रहकर जहरीली शराब के कहर ढाने के समाचार आते ही रहते हैं। चूंकि मरने वाले लोग गरीब तबके के होते हैं, इसलिए तात्कालिक तौर पर दिखाई जाने वाली सजगता का जल्द ही लोप हो जाता है और सब कुछ पहले की तरह चलने लगता है। पंजाब में तो यह धंधा एक तरह के कुटीर उद्योग में तब्दील हुआ दिख रहा। कई इलाकों में घर-घर अवैध शराब बन रही थी और उसकी खपत ढाबों में हो रही थी। पंजाब में अवैध शराब बनाने में इस्तेमाल होने वाले घातक रसायनों की आपूर्ति का भी एक मजबूत नेटवर्क नजर आ रहा है।
 
बिना संरक्षण के इस तरह के धंधे चल ही नहीं सकते। अवैध शराब बनाने वालों पर कहीं कोई लगाम नहीं थी, इसका पता उन तत्वों की गिरफ्तारी से भी चल रहा है, जिन पर अवैध शराब बनाने या फिर बेचने के मामले पहले से चल रहे थे। इसका मतलब है कि ऐसे तत्व कठोर कार्रवाई के अभाव में मौत बांटने का धंधा करने में लगे हुए थे और कोई देखने-सुनने वाला नहीं था। हालांकि जब भी ऐसी घटना सामने आती है, तो पुलिस कार्रवाई जोरशोर से होती है। पंजाब में पांच गांवों में हुई मौतों की जांच के दौरान पता चला है कि ऑनलाइन 600 किलो मेथेनॉल मंगवाई गई थी, जिसके जरिए यह शराब तैयार की गई थी। देखा जाए तो सिर्फ पंजाब ही नहीं, पूरे देश में जहरीली शराब का नेटवर्क बना हुआ है। मौतों पर मुआवजा देना या अस्थायी कार्रवाई इस समस्या का समाधान कतई नहीं है।
 
एक रिपोर्ट के अनुसार देश में नकली शराब से सबसे अधिक 134 लोगों की मौत बिहार में हुई। इसके बाद दूसरे स्थान पर कर्नाटक और तीसरे स्थान पर पंजाब है।वर्ष 2022 में देश भर में अवैध व नकली शराब के 507 केस दर्ज हुए। इनमें 617 लोगों की मौत हुई, जिनमें 15 महिलाएं थीं। हालांकि, बिहार में एक भी महिला की मौत अवैध शराब के सेवन से नहीं हुई है।एनसीआरबी 2022 की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। अवैध और नकली शराब से जुड़े बिहार में सबसे कम 29 केस सामने आए, लेकिन मौत के मामले में आंकड़ा सबसे अधिक है।
 
आपको बता दें कि फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री  की रिपोर्ट बताती है कि देश में अवैध शराब का कारोबार 23 हजार 466 करोड़ रुपये का है. फिक्की के मुताबिक, अवैध शराब की तस्करी की वजह से सरकार को 15 हजार 262 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है. अवैध शराब यानी जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं है. ये शराब बिना किसी रिकॉर्ड के बिकती है. इसकी तस्करी होती है और इस पर कोई टैक्स नहीं दिया जाता है. लिहाजा अवैध शराब की तस्करी से सरकार को रेवेन्यू लॉस होता है, लोगों की मौत होती है तो दूसरी ओर शराब कारोबारी पैसा कमाते हैं।
 
एक अनुमान के मुताबिक, भारत में हर साल पांच अरब लीटर शराब पी जाती है. इसमें 40 फीसदी से ज्यादा अवैध तरीके से बनाई जाती है और ये सस्ती होती है. ग्रामीण इलाकों में देसी शराब ज्यादा पी जाती है. जबकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि भारत में हर साल शराब की जितनी खपत होती है, उसमें से 50 फीसदी अवैध तरीके से बनती और बिकती है। 
 
ऐसे हालात में शराब को लेकर अभी बहुत जागरूकता लाने और सरकारी नीतियों का पुनरीक्षण कर विचार करने की जरूरत है ताकि लोगों को शराब के जहर से बचाया जा सके। जहरीली शराब से हो रही मौतों को रोकने के लिए राज्य सरकारों को ठोस नीति बनाकर कठोर कार्रवाई करने की जरूरत है। सिर्फ बड़ा घटनाक्रम होने के बाद ही प्रशासन और सरकार की नींद टूटती है, ऐसा नहीं होना चाहिए। पंजाब सहित सभी राज्यों को चाहिए कि पूरे वर्ष ही जहरीली शराब के खिलाफ अभियान चलाए और इसके दोषियों को सजा के अंजाम तक पहुंचाएं, ताकि शराब रुपी जहर पर लगाम लग सके।

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