सोनभद्र में तूफान का कहर ओबरा, डाला और चोपन में सैकड़ों गरीबों के आशियाने तबाह, मदद की गुहार
सोनभद्र में 21 मई को आए भीषण तूफान का तांडव ओबरा, डाला, चोपन, गोठानी, महालपुर में सैकड़ों आशियाने तबाह; बेघर हुए ग्रामीण, पक्के मकान की उम्मीद में सरकार से लगाई गुहार
सोनभद्र में आंधी तूफान ने मचाई तबाही
अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
21 मई 2025 की दोपहर सोनभद्र जिले के ओबरा, डाला, चोपन, गोठानी और महालपुर समेत आसपास के क्षेत्रों में आए तेज आंधी-तूफान और भीषण बारिश ने व्यापक तबाही मचाई है। इस प्राकृतिक आपदा के चलते सैकड़ों गरीब परिवारों के आशियाने पूरी तरह से उजाड़ गए हैं, जबकि कई घरों को भारी नुकसान पहुंचा है। स्थानीय लोग अब सरकार से तत्काल मदद और स्थायी समाधान की गुहार लगा रहे हैं।

जानकारी के अनुसार, बुधवार दोपहर अचानक मौसम का मिजाज बदला और देखते ही देखते तेज हवाओं के साथ मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। आंधी की रफ्तार इतनी तीव्र थी कि कई कच्चे मकानों की छतें कागज की तरह उड़ गईं, मिट्टी की दीवारें ढह गईं और टीन शेड के घर पूरी तरह से मलबे में तब्दील हो गए। कई स्थानों पर विशाल पेड़ जड़ से उखड़ गए और कुछ तो बीच से टूटकर गिर गए, जिससे व्यापक स्तर पर जान-माल की क्षति हुई है। इस तूफान ने उन घरों की भी बची-खुची उम्मीदों पर पानी फेर दिया, जो पहले से ही कमजोर स्थिति में थे।
तेज हवाओं के झोंकों ने कई घरों को और भी कमजोर कर दिया, जिससे उनके ढहने का खतरा कई गुना बढ़ गया है, परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में परिवार बेघर हो गए हैं। प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने पाई-पाई जोड़कर अपने छोटे-छोटे घर बनाए थे, जो अब चंद मिनटों के तूफान में मलबे में तब्दील हो गए हैं। जिससे उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
ग्रामीणों में इस बात को लेकर गहरा रोष है कि ऐसी प्राकृतिक आपदाओं के समय उन्हें अक्सर पर्याप्त और समय पर सरकारी मदद नहीं मिल पाती। प्रभावित लोगों ने सरकार से मार्मिक अपील की है कि उन्हें तत्काल सहायता, विशेष रूप से क्षतिग्रस्त घरों के पुनर्निर्माण के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।स्थानीय ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि जिन गरीब परिवारों को अभी तक सरकारी आवास योजना का लाभ नहीं मिला है और जिनके कच्चे मकान इस तूफान में पूरी तरह से गिर गए हैं, वे अब सरकार से एक पक्के मकान के निर्माण की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
उनकी सबसे बड़ी मांग यही है कि सरकार उन्हें सरकारी आवास योजना के तहत पक्के मकान उपलब्ध कराकर उनके सिर पर छत सुनिश्चित करे। इस भीषण तूफान ने एक बार फिर प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए मजबूत बुनियादी ढांचे और त्वरित राहत तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां ग्रामीण आबादी कच्चे मकानों में रहती है और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अधिक संवेदनशील होती है। यह घटना स्थानीय प्रशासन और सरकार के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि वे भविष्य की ऐसी चुनौतियों के लिए बेहतर तैयारी करें और कमजोर तबके के लोगों को स्थायी आवास प्रदान करने पर ध्यान दें।

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