बांधों की नहीं भरी गई दरारें, जिले में बाढ़ मचाएगी तबाही
हर वर्ष बाढ़ की तबाही झेलने वाले इस जिले के लिए पिछले साल बाढ़ की तबाही का रहा।
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स्वतंत्र प्रभात
हरीश कुमार चौधरी
सिद्धार्थनगर। बरसात का मौसम शुरू होने में अब सिर्फ दो पखवाड़ा ही शेष रह गया है, लेकिन बाढ़ से बचाव के लिए सरकारी महकमे में कोई हलचल नहीं दिख रही है। इस समय तक बाढ़ से बचाव के लिए 39 बांधों की मरम्मत, गैप व कटान स्थलों पर मरम्मत का काम अंतिम चरण में होना चाहिए था।
वहीं, कुछ जगहों पर कार्य शुरु हुए हैं अधिकांश जगहों पर शुरू भी नहीं हो सका है। यह हाल तब है जब बीते वर्ष सितंबर माह में आई बाढ़ से जिले में शहर से गांव तक त्राहि-त्राहि मची हुई थी। ऐसे में इस साल भी पिछले साल के हालात सोचकर लोग चिंतित हैं।
हर वर्ष बाढ़ की तबाही झेलने वाले इस जिले के लिए पिछले साल बाढ़ की तबाही का रहा। पिछले साल आई बाढ़ से जिले के लगभग छह सौ गांव जलमग्न हो गए थे। जिनमें से करीब चार सौ गांव मैरूंड थे। इससे जिले की पांच तहसील नौगढ़, बांसी, शोहरतगढ़, इटवा और डुमरियागंज की 60 हजार हेक्टेयर क्षेत्र डूबने से फसल नष्ट हो गई और पांच लाख आबादी प्रभावित रही।
नदियों में अधिक पानी आने से कई स्थानों पर बांध टूटने के साथ ही कई सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं और कई घर ध्वस्त हो गए। इस वर्ष बाढ़ की तैयारी पर हाल यह है कि कुछ बांधों पर मरम्मत एवं कटान स्थलों पर बचाव कार्य कराए जा रहे है,
लेकिन बाढ़ की विभीषिका पर नजर दौड़ाएं तो यह नाकाफी लग रहा है। बाढ़ से प्रभावित गांव के लोग कहते है कि अगर बचाव का स्थायी समाधान नहीं किया जाएगा तो जिले के लोगों को बाढ़ से मुक्ति नहीं मिल सकेगी।
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