अमेरिकी इंजीनियर दंपती के सपनों की राजकुमारी बनी रेलवे यार्ड में फेंकी गई लावारिस बेटी!
एक बिटिया को तो अमेरिका के साफ्टवेयर इंजीनियर दंपती ने गोद ले लिया और वह उसे अपने सपनों की राजकुमारी बनाकर सात समंदर पार ले गए हैं।
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स्वतंत्र प्रभात ।
ब्यूरो प्रयागराज।
लोक लाज के भय से जन्म के बाद फेंके! गए 44 अनाथ बच्चों को जिंदगी की नई रोशनी मिल गई है। राजकीय बाल गृह (शिशु) में रखे गए ऐसे अनाथ बच्चों को अब माता-पिता मिल गए हैं।
एक बिटिया को तो अमेरिका के साफ्टवेयर इंजीनियर दंपती ने गोद ले लिया और वह उसे अपने सपनों की राजकुमारी बनाकर सात समंदर पार ले गए हैं। यह बिटिया जन्म लेने के कुछ दिनों बाद ही वर्ष 2023 में प्रयागराज रेलवे स्टेशन के यार्ड में लावारिस हालत में मिली थी। लोकलाज के भय से अनचाहे जन्म के बाद उसकी मां ने उसे फेंक दिया था।
लावारिस बच्ची की यार्ड में हालत खराब होने के बाद लोगों ने उसे तब अस्पताल में भर्ती करा दिया था, जहां से ठीक होने के बाद बाल कल्याण समिति के निर्देश पर वह शिशु गृह में लाई गई थी।
अप्रैल 2024 से 30 अप्रैल 2025 के दौरान बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, कर्नाटक, यूपी के निःसंतान दंपतियों ने एक दिन से छह वर्ष तक के 44 बच्चों को गोद लेकर उनकी जिंदगी को खूबसूरत बनाया है। इसमें कोई प्रशासनिक अफसर हैं तो कोई कारोबारी तो नौकरी पेशा। इसमें एक प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री भी शामिल हैं, जिन्होंने एक बिटिया को सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) के नियमों के तहत गोद लिया है। तीन बच्चों को इटली के दंपति ने गोद लिया है।
इसमें एक बड़े उद्यमी भी शामिल हैं। अमेरिका के साफ्टवेयर इंजीनियर दंपति ने इस बिटिया को गोद लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया और करीब 15 माह से अधिक समय तक इंतजार किया। बलिया जिले में वर्ष 2022 में छह दिन का एक बच्चा लावारिस हालत में पाया गया। सीडब्लूसी ने राजकीय बाल गृह शिशु भेजा, जहां जांच में बच्चे के दिल में छेद पाया गया। लंबे समय तक उसका इलाज हुआ। नवंबर 2023 में जांच हुई तो बच्चे के दिल का सुराख भर गया था। उसे सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी के माध्यम से इटली के एक दंपति ने गोद लिया और उसे लेकर इटली चले गए। जिला प्रोवेशन अधिकारी सर्वजीत सिंह का कहना है कि अगर आप किसी बच्चे को गोद लेना चाहते हैं l
तो सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी पर आनलाइन रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। एक वर्ष से छह वर्ष तक के बच्चे को सौंपने के लिए विधिक अनुमति लेनी पड़ती है। होम स्टडी, मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर बच्चे को गोद लेने वालों को सौंपा जाता है। उन्होंने बताया कि एक वर्ष में 44 बच्चों को लोगों ने गोद लिया है। इसमें चार बच्चों को विदेश के लोगों ने शेष अन्य प्रदेश के लोगों ने अपनाया है।
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