धर्मगुरुओं का बाल विवाह उन्मूलन संकल्प ,धर्मगुरुओं ने थामा बाल विवाह की रोकथाम का जिम्मा

समिति ने विभिन्न धर्मों के विवाह संपन्न कराने वाले पुरोहितों के बीच चलाया जागरूकता अभियान

धर्मगुरुओं का बाल विवाह उन्मूलन संकल्प ,धर्मगुरुओं ने थामा बाल विवाह की रोकथाम का जिम्मा

धर्मगुरुओं को बाल विवाह को लेकर विस्तृत रूप जानकारी साझा किया व बाल विवाह करवाना अपराध है- महेशानंद भाई

अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट) 

सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश-

जिले को बाल विवाह मुक्त बनाने की दिशा में ग्राम स्वराज समिति ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। बाल अधिकारों की सुरक्षा और बाल विवाह की रोकथाम के लिए कार्यरत इस संगठन ने अब धर्मगुरुओं को भी अपने इस अभियान से जोड़ लिया है। समिति ने विभिन्न धर्मों के विवाह संपन्न कराने वाले पुरोहितों के बीच जागरूकता अभियान चलाया, जिसे व्यापक सफलता मिली है।

सभी धर्मगुरुओं ने इस पहल की सराहना करते हुए अपना पूर्ण समर्थन दिया है।ग्राम स्वराज समिति के निदेशक महेशानंद भाई ने इस सहयोग को अभिभूत करने वाला बताया। उन्होंने विश्वास जताया कि इस अक्षय तृतीया पर जिले में एक भी बाल विवाह नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह महसूस करते हुए कि किसी भी पंडित, मौलवी या पादरी के बिना बाल विवाह संपन्न नहीं हो सकता। 

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संगठन ने उन्हें इस मुहिम का हिस्सा बनाने का निर्णय लिया। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं और उम्मीद है कि इस अक्षय तृतीया पर जिले में कोई भी नाबालिग जोड़ा परिणय सूत्र में नहीं बंधेगा। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि आज जिले के कई मंदिरों और मस्जिदों के बाहर ऐसे बोर्ड लग चुके हैं, जिन पर स्पष्ट रूप से बाल विवाह निषेध की सूचना अंकित है।

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गौरतलब है कि ग्राम स्वराज समिति, 'जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन' (जेआरसी) के सोनभद्र में एक सहयोगी संगठन के रूप में कार्यरत है। जेआरसी 2030 तक देश से बाल विवाह को जड़ से खत्म करने के लक्ष्य के साथ 'चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया' अभियान चला रहा है। यह संगठन कानूनी हस्तक्षेपों और जमीनी स्तर पर काम कर रहे 250 से अधिक नागरिक संगठनों के नेटवर्क के माध्यम से बाल अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्रयासरत है।

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पिछले कुछ वर्षों में इस नेटवर्क ने दो लाख से ज्यादा बाल विवाह रुकवाए हैं और पांच करोड़ से अधिक लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई है। ग्राम स्वराज समिति ने स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित कर वर्ष 2023-24 में ही आपसी सहमति से जिले में 300 बाल विवाहों को सफलतापूर्वक रोका है। यह संगठन जेआरसी के संस्थापक भुवन ऋभु की पुस्तक ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज’ में उल्लिखित समग्र रणनीति का पालन करते हुए 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है।

महेशानंद भाई ने देश में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता की कमी पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि अधिकांश लोगों को यह जानकारी नहीं है कि बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए), 2006 के तहत यह एक दंडनीय अपराध है। इस अपराध में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होने या सेवाएं प्रदान करने पर दो साल तक की सजा या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।

उन्होंने स्पष्ट किया कि बारात में शामिल लोग, लड़की और लड़के के परिवार वाले, कैटरर, सजावट करने वाले, हलवाई, माली, बैंड बाजा वाले, मैरिज हॉल के मालिक और यहां तक कि विवाह संपन्न कराने वाले पंडित और मौलवी भी इस अपराध में सह-अपराधी माने जाएंगे और उन्हें सजा व जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।

इसीलिए, ग्राम स्वराज समिति ने धर्मगुरुओं और पुरोहित वर्ग के बीच जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया, क्योंकि विवाह संपन्न कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। महेशानंद भाई ने बताया कि उन्होंने धर्मगुरुओं को समझाया कि बाल विवाह बच्चों के साथ बलात्कार के समान है। अठारह वर्ष से कम उम्र की किसी भी लड़की के साथ वैवाहिक संबंध में यौन संबंध स्थापित करना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत बलात्कार माना जाता है।

उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आज पंडित और मौलवी न केवल इस बात को समझ रहे हैं, बल्कि इस अभियान को अपना सक्रिय समर्थन भी दे रहे हैं और स्वयं आगे बढ़कर बाल विवाह न होने देने की शपथ ले रहे हैं। उनका मानना है कि यदि पुरोहित वर्ग बाल विवाह संपन्न कराने से इनकार कर दे, तो देश से रातोंरात इस अपराध का सफाया हो सकता है। इस अभियान में धर्मगुरुओं के आशातीत सहयोग और समर्थन से उत्साहित होकर ग्राम स्वराज समिति को विश्वास है कि वे जल्द ही बाल विवाह मुक्त सोनभद्र के लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।

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