विद्युत नगरी ओबरा में 'चिराग तले अंधेरा', बिजली कटौती से त्रस्त उपभोक्ता
अघोषित विद्युत कटौती से उपभोक्ता त्रस्त, जिम्मेदार मौन
स्थानीय लोगों ने लगाया अधिकारियों के ऊपर मनमानी का आरोप
गौरव चौहान (संवाददाता)
विडंबना यह है कि सुविधा के नाम पर यहां के निवासी केवल परियोजना से निकलने वाला धुआं और प्रदूषण झेलने को मजबूर हैं। ओबरा तहसील मुख्यालय होने के साथ-साथ प्रदेश के समाज कल्याण राज्य मंत्री संजीव गौड़ का गृह क्षेत्र भी है, लेकिन बिजली आपूर्ति की बदहाल स्थिति इन सभी दावों को खोखला साबित कर रही है।
पीसीएल विभाग में लगातार फाल्ट के नाम पर हो रही अघोषित विद्युत कटौती से उपभोक्ता बुरी तरह परेशान हैं। आए दिन फाल्ट का बहाना बनाकर कभी 12 घंटे तो कभी पूरे 24 घंटे बिजली गुल रहती है।
अभी गर्मी की शुरुआत ही हुई है और विद्युत विभाग ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है। घरों में लगे स्मार्ट मीटर केवल कहने भर को स्मार्ट हैं, जबकि विद्युत व्यवस्था आज भी अपनी पुरानी और जर्जर स्थिति से उबरने का नाम नहीं ले रही है।
गुरुवार की रात को ओबरा नगर के सेक्टर 10 सब स्टेशन से होने वाली आपूर्ति में मुख्य बाजार चूड़ी गली की विद्युत सप्लाई अचानक रात 11 बजे से एक फेज गायब हो गई, जो पूरी रात बाधित रही। कुछ उपभोक्ताओं ने विद्युत विभाग से संपर्क कर इसकी सूचना दी,
तो संबंधित क्षेत्र के विद्युत संविदा कर्मी ने यह कहकर फोन काट दिया कि रात में कुछ नहीं हो सकता और विद्युत व्यवस्था ठीक करने के लिए सुबह तक इंतजार करना होगा, क्योंकि रात्रि में कोई स्टाफ उपलब्ध नहीं है। इस लापरवाही के चलते भीषण गर्मी में रात भर सैकड़ों घरों में बिजली गुल रही, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। आए दिन हो रही इस तरह की समस्याओं से उपभोक्ता त्रस्त हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि गर्मियों में कई घरों में अवैध रूप से लगे एयर कंडीशनर के कारण बिजली की सप्लाई अक्सर ट्रिप हो जाती है और लो वोल्टेज की समस्या बनी रहती है। ऐसे में सुबह स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर ऑफिस और अन्य कार्यों के लिए निकलने वाले कर्मचारी तक परेशान रहे और विद्युत विभाग के अधिकारियों को कोसते रहे। यह स्थिति केवल एक दिन की नहीं है, बल्कि लगभग हर दिन फाल्ट के नाम पर घंटों बिजली कटौती कर उपभोक्ताओं का उत्पीड़न किया जा रहा है।

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