उत्तर प्रदेश टैक्स बार एसोसिएशन के पंजीयन विवाद पर उच्च न्यायालय का हस्तक्षेप
13 जनवरी 2025 को सहायक रजिस्ट्रार सोसाइटीज एंड चिट्स फंड, वाराणसी ने शिकायतकर्ताओं की दलीलों को अस्वीकार करते हुए संघ के पंजीकरण को रद्द करने की मांग खारिज कर दी थी।
उच्च न्यायालय ने विपक्षी पक्षों को अपने इस आदेश के माध्यम से चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
अजीत सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
उत्तर प्रदेश टैक्स बार एसोसिएशन के पंजीयन का मामला लगातार बढ़ता जा रहा है। एसोसिएशन के पते को कानपुर से वाराणसी स्थानांतरित करने को लेकर विवाद जारी है।
इस मामले में, दि टैक्स बार एसोसिएशन सोनभद्र के अध्यक्ष प्रदीप कुमार बागड़िया, वरिष्ठ कर अधिवक्ता जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव और डॉ. एस मनु ने सहायक रजिस्ट्रार सोसाइटीज एंड चिट्स फंड, वाराणसी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी।
शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि दि उत्तर प्रदेश टैक्स बार एसोसिएशन का पंजीकरण पहले कानपुर के पते पर था, लेकिन कुछ लोगों ने, जिन्होंने एसोसिएशन पर अपना नियंत्रण कर लिया था, गलत दस्तावेजों के आधार पर धोखाधड़ी से संघ का पंजीकरण वाराणसी के पते पर करा लिया।
उन्होंने यह भी कहा कि इस स्थानांतरण प्रक्रिया में न तो नियमों का पालन किया गया और न ही सहायक रजिस्ट्रार को उचित जानकारी दी गई, बल्कि गलत तथ्य प्रस्तुत कर उन्हें गुमराह करने का प्रयास किया गया।शिकायतकर्ताओं ने इन्हीं आधारों पर रजिस्ट्रार सोसाइटीज एंड चिट्स फंड कानपुर और रजिस्ट्रार सोसाइटीज एंड चिट्स फंड वाराणसी में वाद दायर कर संघ के अनियमित पंजीकरण को रद्द करने की मांग की थी।
इस वाद पर कई तिथियों पर सुनवाई हुई, जिसके बाद 13 जनवरी 2025 को सहायक रजिस्ट्रार सोसाइटीज एंड चिट्स फंड, वाराणसी ने शिकायतकर्ताओं की दलीलों को अस्वीकार करते हुए संघ के पंजीकरण को रद्द करने की मांग खारिज कर दी थी।
सहायक रजिस्ट्रार के इस आदेश पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए शिकायतकर्ताओं ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। उन्होंने कहा कि केवल विपक्षी पक्ष के बयान के आधार पर उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों और तथ्यों को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। शिकायतकर्ताओं ने सहायक रजिस्ट्रार पर गुमराह होने का आरोप लगाते हुए संबंधित आदेश पारित होने की बात कही।
अब, शिकायतकर्ताओं की याचिका पर उच्च न्यायालय ने 5 अप्रैल 2025 को एक आदेश जारी किया है। इस आदेश में उच्च न्यायालय ने माना है कि इस संबंध में शिकायतकर्ताओं के तथ्यों पर ध्यान देना आवश्यक है। इसी क्रम में, उच्च न्यायालय ने विपक्षी पक्षों को अपने इस आदेश के माध्यम से चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यह जानकारी देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने माननीय उच्च न्यायालय पर विश्वास व्यक्त किया और आशा जताई कि न्याय अवश्य होगा, क्योंकि न्याय कभी पराजित नहीं हो सकता।

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