ये आग कब बुझेगी मी लार्ड ?

ये आग कब बुझेगी मी लार्ड ?

आज मी लार्ड का सम्बोधन किसी न्यायाधीश के लिए नहीं बल्कि कल्कि  अवतार उन नेताओं के लिए है जिन्होंने देश में मजहब के नाम पर साम्प्रदायिकता की आग को और हवा दे दी है।  कितनी बिडम्वना है कि इस देश में जहाँ सरकार ईद की नामज छतों पर और सड़कों पर पढ़ने से रोकती है वहीं दूसरी और बंगाल में राम नवमी का जुलूस प्रतिबंधित किया जाता है। जाहिर है कि हमारे मुल्क में न राम राज आया है और न अंग्रेजी तथा मुगल राज समाप्त हुआ है।  हमारे मुल्क में सभी को कुछ भी करने की आजादी है। हम सचमुच में आजाद हिन्द की फ़ौज हैं।

इधर संसद के दोनों सदनों  में विवादास्पद वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पारित हुआ और उधर कुछ हिन्दू अतिवादी संगठन सम्भल  में जामा मस्जिद में हवन करने जा धमके। ये हौसला इन संगठनों को कहाँ से मिलता है ,ये बताने की जरूरत नहीं है।

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024  पारित होने के बाद अब जब क़ानून बनेगा तब पता चलेगा कि मुल्क के कितने लाख या करोड़ मुसलमानों का भला होगा,फिलहाल तो राजनीतिक दलों में इसी मसले पर फूट और उत्तरप्रदेश सरकार की तैयारी देखने लायक है। उसने वक्फ सम्पतियों का सर्वे शुरू करा दिया ह।  नए वक्फ बोर्ड क़ानून के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन शुरू होगये हैं। लेकिन सरकार बेफिक्र है ,क्योंकि उसने जैसा चाहा था वैसा ही हो रहा है।

सरकार इस नए कानून के बहाने मुसलमानों की ताकत का आकलन करना चाहती है।ाल इंडिया मुस्लिम परसनल बोर्ड ने राष्ट्रपति जी से तत्काल मुलाक़ात का समय माँगा है। मुस्लिम परसनल ला बोर्ड को पता नहीं क्यों राष्ट्रपति से कोई उम्मीद है ,जबकि सब जानते हैं की हमारे देश में राष्ट्रपति महोदय केवल दही -मिश्री खिलाने के लिए हैं ,न की सरकार की कान-कुच्ची करने के लिए।

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सरकार के फैसले को शिरोधार्य करने के बजाय  मुसलमान सड़क पर उतर गए हैं। देश के कोने-कोने में इस संशोधन विधेयक के खिलाफ मुसलमानों ने आंदोलन करना शुरू कर दिया है। कोलकाता, हैदराबादा, मुंबई समेत देश के अलग-अलग स्थानों पर मुसलमानों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बिल के पास होने पर इसे जम्हूरियत के लिए काला अध्याय और कलंक बताया है।

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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि सत्ताधारी लोग ताकत के नशे में मदहोश होकर आगे बढ़ रहे हैं। सरकार ने मु्स्लिमसंगठनों और मुसलमानों की आवाज को नहीं सुना। इसके खिलाफ मुसलमान शांत नहीं बैठेगा और पूरे देश में प्रदर्शन किए जाएंगे।जबाब में दिल्ली के जामिया इलाके में पुलिस ने आज फ्लैग मार्च निकाला। बता दें कि दिल्ली में इस बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होने की संभावना के बीच आरपीएफ ने फ्लैग मार्च निकाली और भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है।

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वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर सरकार के साथ खड़ी जेडीयू भी अब दो फाड़ होती दिखाई दे रही है ।  जंयन्त चौधरी की रालोद भी मुश्किल में है। मुश्किल में तो पूरा देश है लेकिन इस मुश्किल से सरकार अनजान बनी हुई है। एक तरफ वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक का विरोध और दुसरे तरफ बंगाल में रामनवमी जुलूस पर पाबन्दी से तनाव सरकार के ध्रुवीकरण अभियान के लिए शुभ संकेत दे रहा है।

भाजपा और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार शायद चाहती ही ये है कि  देश में हिन्दूओं और मुसलमानों के बीच एक विभाजक रेखा खिंच जाये। भाजपा और संघ के अभियान का एक अभिन्न हिस्सा बने मध्यप्रदेश के धीरेन्द्र शास्त्री का हौसला तो देखिये की वे अपने गृहक्षेत्र में एक हिन्दू गांव बसने जा रहे हैं और सरकार कुछ नहीं कह रही। क्या हमारा संविधान इस तरह की मूर्खताओं की इजाजत देता है ?

पश्चिम बंगाल के हावड़ा में रामनवमी  पर जुलूस निकालने को लेकर हिंदू संगठनों और पुलिस प्रशासन के बीच ठन गई थी. पुलिस ने इसकी परमिशन नहीं दी तो संगठन कलकत्ता हाई कोर्ट चले गए. अब कोर्ट ने उन्हें रैली निकालने की सशर्त परमिशन दे दी है. कोर्ट ने इजाजत देते हुए कहा कि रामनवमी पर रैली के दौरान जुलूस के आगे-पीछे पुलिस लगी रहेगी. किसी भी तरह के हथियार ले जाने की परमिशन नहीं होगी. दोपहर 12 बजे तक हर हाल में रैली का समापन कर देना है। बंगाल में न्यायपालिका ठीक वैसे ही काम कर रही है जैसा की उसे करना चाहिए।

अदालत ने भी हिन्दू संगठनों को उस तरह से नहीं रोका जिस तरह से उत्तर प्रदेश  की सरकार   ने मुसलमानों को सड़क पर नमाज करने से रोका था। आखिर अदालत में भी तो हम और आप जैसे ही लोग हैं मी लार्ड ! अब जिम्मेदारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की है कि वे सौहार्द बिगड़ने न दें।

देश को साम्प्रदायिकता की आग में झुकने के बाद देश के प्रधानमंत्री निश्चिंत होकर विदेश यात्रा पर है। प्रधानमंत्री जी  थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में हो रहे बिम्स्टेक (बे ऑफ़ बंगाल इनिशिएटिव फ़ॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन) के छठे शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद श्रीलंका चले गए। बैंकाक में प्रधानमंत्री जी ने बांग्लादेशके अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफ़ेसर मोहम्मद यूनुस की पहली मुलाक़ात में हिंदुओं की सुरक्षा और शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा हावी रहा। संसद में पारित उम्मीद से देश के मुस्लमानोनो को भले कोई उम्मीद न हो किन्तु मुझे  उम्मीद है की भारत और बांग्लादेश के बीच का अनबोला तो समाप्त किया ही जा सकता है।

कुलजमा बात ये है कि हमारा देश एक गहन संक्रमण काल से गुजर रहा है। न अंतर्राष्ट्रीय हालात हमारे अनुकूल हैं और न राष्ट्रीय स्थितियां। आने वाले दिनों में क्या होगा ,कहने की नहीं समझने की जरूरत है। अभी भी वक्त है की सरकार हकीकत समझे और उम्मीद क़ानून को वापस ले ले ठीक उसी तरह जैसे की कृषि कानूनों को वापस लिया गया था ।  

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