महाकुम्भ पहुंचे काशी तमिल संगमम के प्रतिनिधि, आस्था के महा समागम के बने साक्षी।

दक्षिण भारत के 200 अतिथियों के पहले ग्रुप का महाकुम्भ प्रशासन ने किया भव्य स्वागत।

महाकुम्भ पहुंचे काशी तमिल संगमम के प्रतिनिधि, आस्था के महा समागम के बने साक्षी।

स्नान के उपरांत राम नगरी अयोध्या के लिए पहले ग्रुप ने किया प्रस्थान।
 
 
स्वतंत्र प्रभात ।
ब्यूरो प्रयागराज ।
 
 
 प्रयागराज महाकुम्भ में उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृतियों का संगम भी हो रहा है। महाकुम्भ में  दक्षिण भारत के इन अतिथियों का सोमवार को आगमन हुआ। वाराणसी के बाद काशी तमिल संगमम 3.0  का दूसरा पड़ाव था प्रयागराज, जिसके बाद यह ग्रुप राम नगरी अयोध्या के लिए प्रस्थान कर गया।
 
 
प्राचीन भारत में शिक्षा और संस्कृति के दो महत्वपूर्ण केंद्रों वाराणसी और तमिलनाडु के बीच जीवंत संबंधों को पुनर्जीवित करने के क्रम में आयोजित किए जा रहे काशी तमिल संगमम 3.0 का पहला दल प्रयागराज महाकुम्भ पहुंचा। दक्षिण भारतीय अतिथियों के प्रथम दल का महा कुम्भ मेला एवं जिला प्रशासन ने भव्य स्वागत किया। महाकुम्भ नगर के सेक्टर 22 स्थित कुम्भ रिट्रीट टेंट सिटी में उनका शानदार स्वागत किया गया। अतिथियों ने त्रिवेणी संगम में पुण्य की डुबकी लगाई और पूजा अर्चना की। जिला विकास अधिकारी भोलानाथ कनौजिया बताते हैं कि तमिल संगमम 3.0 के इस प्रथम दल में 200 अतिथि महा कुम्भ पहुंचे। 
 
काशी तमिल संगमम का उद्देश्य दो संस्कृतियों में निकटता लाना और उसे मजबूत करना है। काशी तमिल संगमम का तीसरा संस्करण दो महत्वपूर्ण आयोजनों के साथ विशिष्ट हो गया जिसमें एक प्रयागराज में  महा कुम्भ का आयोजन है तो दूसरा अयोध्या में श्री राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा। तमिलनाडु के पंरूति शहर से तमिल संगमम में शामिल हुए श्रीधर राधाकृष्णन कहते हैं कि महाकुम्भ का यह आयोजन अपने में अद्भुत और दिव्य है। अमृत काल में त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर दिव्य अनुभूति हुई है। तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई से आए शोध छात्र नारायणमूर्ति का कहना है कि महाकुम्भ उत्तर दक्षिण के बीच सांस्कृतिक संगम का ही नहीं बल्कि वैश्विक संस्कृति और बंधुत्व का मिलन स्थल है। 
 
काशी तमिल संगमम के अतिथियों का महाकुम्भ के सेक्टर 22 के दिव्य कुम्भ रिट्रीट टेंट सिटी में आगमन हुआ। अतिथियों का संगम में स्नान करने के बाद लेटे हनुमान जी, शंकर विमान मंडपम में दर्शन करने का कार्यक्रम प्रस्तावित था लेकिन महा कुम्भ में उमड़े आस्था के जन सैलाब को देखते हुए यह संभव नहीं हो सका। डिजिटल कुम्भ प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद अतिथियों का पहला दल अयोध्या धाम के लिए प्रस्थान कर गया।

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