हिंदू मुस्लिम भाईचारा का प्रतीक है सिसवा मेला

हिंदू मुस्लिम भाईचारा का प्रतीक है सिसवा मेला

बलरामपुर- पचपेड़वा विकासखंड के सिसवा गांव में गंगा जमुनी तहजीब का प्रतीक मेला हजरत जलाली शाह बाबा रहमतुल्लाह अलैह व जूरा शाह बाबा की समाधि पर जियारत मांगने वालों की भीड़ उमड़ रही है बताते चलें कि पचपेड़वा विकासखंड अंतर्गत सिसवा गांव में प्रतिवर्ष सालाना उर्स लगता है। यहां प्रतिवर्ष बसंत पंचमी से मेला प्रारंभ होकर 15 दिवस तक चलता रहता है ।मेले में बलरामपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर सहित नेपाल राष्ट्र के जनमानस व श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि जली शाह बाबा और जुड़ा शाह बाबा पहुंचे हुए संत फकीर थे और उनकी दुआओं अर्थात आशीर्वाद में असर होता है इसलिए यहां भारी संख्या में भीड़ जुटती है।
 
जूरा शाह बाबा की समाधि एवं जली शाह बाबा का मजार 100 मीटर के अंतर पर ही बना है वह दोनों लोग एक दूसरे को काफी मानते भी थे और इसलिए आसपास रहते थे मान्यता है कि यहां मानने वाली हर मन्नत पूर्ण होती है यही कारण है कि सैकड़ो वर्षों से चली आ रही यह परंपरा टूटती नहीं है। इस मेले में हिंदू मुस्लिम भाईचारे के रूप में देखा जाता है। यहां मजार पर चादर चढ़ाई जाती हैं जूरा शाह बाबा की समाधि व मंदिर में दर्शन पूजन किया जाता है।
 
गाजे बाजे के साथ शुरू हुआ मेला उर्स बसंत पंचमी 6 फरवरी से शुरू होकर 23 फरवरी को गागर उठने के साथ संपन्न होगा । मेले को सकुशल संपन्न करने के लिए यहां मेला कमेटी भी बनी हुई है। इसके अध्यक्ष मोहम्मद सलीम ने बताया की मेले में सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस मेला चौकी भी स्थापित है। इसके अलावा हमारे कमेटी के मेंबर भी सुरक्षा व्यवस्था में लगे रहते हैं। मेले में रात्रि में मनोरंजन के साधनों के साथ साथ खान पान की दुकान भी बड़ी मात्रा में रहती हैं और मन्नतें पूर्ण होने पर तमाम लोग यहीं पर ध्यान रखा जाता है।
 

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