अम्बेडकर नगर में भ्रष्टाचार का बोलबाला

जिले के अधिकारियों का कारनामा आखिर क्यों बचाया गया है गमन के आरोपियों को

अम्बेडकर नगर में भ्रष्टाचार का बोलबाला

अम्बेडकर नगर। जनपद में कानून के लचीलेपन की वजह से आज जनपद अम्बेडकर नगर में भ्रष्टाचार का बोलबाला है हम आपको बताते चलें कि जनपद में बहुत से सचिव के ऊपर गमन के आरोप लगे और आरोप सिद्ध भी हो गया लेकिन जिले के कुछ जिम्मेदार अधिकारी इस भ्रष्टाचार में संलिप्त होकर सचिव के पद से प्रमोशन करके  कुछ सचिव को एडीओ पंचायत बना दिया गया। फिर वही वित्तीय  कार्य  भार दे दिया गया और कुछ सचिव को इस ब्लॉक से ट्रांसफर करके उसे ब्लॉक में वित्तीय कार्य भार दे दिया गया
 
अब प्रश्न यह उठता है की गमन के आरोपी  उस  गमन किए हुए  रुपए में से कुछ हिस्सा बड़े अधिकारियों को देकर आज जनपद अंबेडकर नगर में वित्तीय कार्य भार संभाल रहे आखिर किस संविधान में लिखा हुआ है की सरकार के धन गमन करने के आरोपियों को सजा नहीं हो सकता लोगों द्वारा कहते हुए सुना जाता है जिले मे जितने अधिकारी सरकार के धन को गमन किए हुए हैं वह अधिकारी सरकार के धन गमन के रूप में से आधा हिस्सा जिले के अधिकारियों को देकर आज भी सरकार के धन को बंदर बांट कर रहे हैं।
 
 सरकारी धन के  गमन आरोपीयों के नाम जगदम्बा शुक्ला, अखिलेश गौड़, दुर्गा पांडे, बृजेश सिंह, बृजेश वर्मा, मांडवीय उपाध्याय, अरुण कुमार, विनय वर्मा, शरद भारती ,रविंद्र देव यादव
सरकारी धन गमन करने वाले की लिस्ट लंबी है। जनता में यह चर्चा हो रही है की क्या नियम कानून सिर्फ आम जनता के लिए बनाया गया या है। अगर कोई किसान कर्ज में डूबा है तो उसका नीलामी हो जाती है आखिर इतने अधिकारी जो सरकार के धान को गमन किए हुए हैं उनकी संपत्तियां कि कल की क्यों नहीं होती अधिकारी अपना बचने के लिए कुछ तो कोर्ट-कचहरी की शरण ले लिए और वह धन गण किए हुए रुपए को धीरे-धीरे जिला अंबेडकर नगर के अधिकारी रिकवर कर रहे हैं। जनता जानना चाहती है कि यह कौन से संविधान में लिखा हुआ है सरकारी धन के गमन करने वालों से धीरे-धीरे वसूली कर क्लीन चिट दे दिया जाता है या तो सिद्ध हो जाता है कि सरकारी धन को गमन किया गया है तो तो कैसे फिर इनको वित्तीय कार्य भार दे दिया गया यह जनता में सवाल बना हुआ है।
 
 अब जिले के अधिकारियों का कारनामा सुनकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी यह जानकर कैसे सरकारी धन गमन के अधिकारी को कैसे बचाए हुए
अगर एक बार सिद्ध हो गया की 36 लाख रुपए अधिकारी ने गमन किया तो जिले के अधिकारी फिर दोबारा जांच किसी दूसरे अधिकारी से करवाते हैं और वह अधिकारी सरकारी धन गमन में से कुछ हिस्सा लेकर जांच करता और जांच करता अधिकारी  36 लाख गमन हुए धनराशि को घटकर 5 से 6 लाख 7 लाख तक कर देता है ।
 
 फिर यहां सवाल खड़ा हो गया
अब सवाल या खड़ा हो गया की जो अधिकारी पहले 36 लाख का  गमन सिद्ध करता है वह अधिकारी सही है या फिर जो अधिकारी दोबारा जांच करके गमन हुए धन राशि को घटा देता । हमारे जिले के अधिकारियों का गजब का कारनामा हमेशा देखने को मिलता । जैसे सरकार के धन को गमन करना ऐसे अधिकारियों के लिए आम बात हो गई पहले तो सरकार के धन को गमन कर लो उसके बाद धीरे-धीरे हर महीने भर रहे जैसे किसी बैंक से कर्जा लिए हो  कर्जा के तरीका से गमन हुए धनराशि को धीरे-धीरे यह रुपए वसूला जा रहा हैं।
 
 जबकि जो भी कानून बनाए गए सभी के लिए वह कानून बराबर बना हुआ है
संविधान में जो भी कानून लिखा गया वह जनता से लेकर अधिकारियों पर भी लागू होता लेकिन जिले के आला कमान संभालने वाले अधिकारी इन अधिकारियों से ही सरकारी धन गमन करवाते हैं। और जब कोई शिकायत करता है तो जांच करके उन्हें अधिकारियों से कुछ हिस्सा लेकर बचते हैं  हमारे जनपद अम्बेडकर नगर के अधिकारियों का कारनामा है आखिर ऐसे अधिकारियों पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी जी का कब चलेगा बुलडोजर बात यही नहीं खत्म हो रही है अंबेडकर नगर जिले के अधिकारियों वा कर्मचारी, बाबू सरकार के धन को गमन करके अकूत संपत्तियों के मालिक बन बैठे हुए जो कि कुछ बाबू हैं कई वर्षों से जनपद अंबेडकर नगर में जमे हुए अगर मुख्यमंत्री जी इन बाबुओं और अधिकारी कर्मचारियों की आय, संपत्ति की जांच करवाते हैं तो शायद सरकार के धन  गमन हुए रूपयों का खुलासा हो सकता है।
 
 
 
 

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