दिल्ली में पहली एफआईआर पर सियासी बखेडा,ऐसे कैसे बजेगा दंड नहीं न्याय पर जोर का नगाडा
स्वतंत्र प्रभात। एसडी सेठी। देशभर में1 जुलाई से लागू नए कानून की पाठशाला का सबक अभी शुरू भी नहीं हुआ कि सियासी बखेडा खडा हो गया। राजधानी दिल्ली में पहली एफआईआर कमला मार्केट थाने में रविवार की मध्य रात को दर्ज की गई। इसमें एक रेहडी वाले पर सार्वजनिक रास्ते को बाधित करने की धारा लगाई थी। लेकिन कुछ घंटे के भीतर ही इस पर विवाद हो गया। दरअसल कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा कि पहली एफआईआर रोज कमाने वाले गरीब व्यक्ति पर की गई है।
कहानी के मुताबिक सब-इंस्पेक्टर कार्तिक मीणा एवं अन्य पुलिस कर्मी देर रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने गश्त कर रहे थे। वहां पंकज नाम का शख्स रेहडी लगाकर सिगरेट -बीडी और पान मसाला बेचता हुआ दिखाई दिया।चूंकि रेहडी सडक पर लगी थी।लोगों को आने-जाने में दिक्कत हो रही थी। इसके बाद एसआई ने नए कानून के तहत अनिवार्य प्रक्रिया के तहत मोबाइल फोन पर इंस्टाल ई- प्रमाणन ऐप से मौके की वीडियो बनाई और रेहडी वाले का नाम एवं पता आदि दर्ज किया।इसके बाद थाने में तहरीर दी गई। जिस पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 285 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई।
पुराने कानून के तहत सार्वजनिक स्थल पर आवागमन बाधित होने की धारा 283 होती थी।200 रूपये जुर्मना। जमानती धारा। वही अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 285 के तहत 5000 रूपये जुर्माना ,जमानती। बता दें कि इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के करीब 12 घंटे बाद ही इसे रद्द करने की प्रकिया शुरू कर दी गई। सियासी खेला की वजह से पुलिस के आला अफसर चुप्पी साधे रहे। बाद में पटल पर आए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कमला मार्केट थाने मे दर्ज यह मामला नए कानूनो के तहत किया गया है।

बहरहाल पुलिस ने इस एफआईआर को रद्द कर दिया है। बता दे कि अभी तो यह जमानती एफआईआर पर इतना बवाल हो गया। तो हिट एंड रन, समेत अन्य केसों पर सियासी पारा कितना हाई रहेगा, ये तो वक्त ही बताएगा। बहरहाल अब नए कानून को लेकर थानों में लोगो की क्लास मे कानून का सबक पढाया जाने लगा है।
थाने में नए कानून को लेकर ज्ञान बांटा जा रहा था। तभी एक युवती ने पुलिस से सवाल दाग दिया। प्रश्नकर्ता नंदनी ने सवाल दागा कि यदि अपराधी पुलिस को रिश्वत के तौर पर पैसे दे दे तो, क्या न्याय मिल जाएगा? जन संवाद के दौरान पूछे गए इस सवाल पर पुलिस के ज्ञान बांटू आलाधिकारी की जुबान बंद और शरीर पीला पड गया। दरअसल इस सवाल की जद में नए कानून का मकसद दंड नहीं अब न्याय पर जोर होगा।कैसे हल होगा?

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