विद्युत सप्लाई चालू करने के लिए लाइनमैन कर रहा है ₹3000 की डिमांड का ऑडियो हुआ वायरल
पैसा नहीं तों नहीं मिलेगी विद्युत सप्लाई की हो रही बात
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जरवा/बलरामपुर जंहा सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टारलेन्स अपना कर भ्रष्टाचार मुक्त भारत के सपने को साकार करने के दावे कर रही वही विभागीय भ्रष्टाचार अपने चरम पर है जंहा एक कर्मचारी जो कि अपने को विभाग का कर्मचारी बता विभागीय कार्यो को अंजाम देता है और क्षेत्र में उसका परिचय भी उसी विभाग के कर्मी के रूप में होता है ।जिसके भ्रष्टाचार की संलिप्ता के बाद विभाग के जिम्मेदार उसके बचाव में उतर कर कहते है मेरा कर्मचारी वह नही है अब सवाल यह उठता है कि जब वह आप के विभाग के कर्मी नही तो उसके द्वारा विभागीय कार्य कैसे करवाया जा रहा है जबकि इस सम्बंध में क्षेत्रीय जनता द्वारा इस बात की पुष्ठि की जा रही कि वह उसी विभाग में कार्य करता रहा है ।
पूरा मामला जनपद बलरामपुर के तुलसीपुर विद्युत सब स्टेशन के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत नेवलगढ़ का प्रकाश में आ रहा है जहां पर पिछले एक हफ्ते से विद्युत सप्लाई पूरी तरह से ठप है। जिसके चलते स्थानीय ग्रामीणों ने स्थानीय रहीम नाम के लाइनमैन से फोन पर वार्तालाप किया तब लाइनमैन के द्वारा कहा गया की विद्युत पोल लगवाने के लिए ₹3000 लग रहा है पैसे जमा करवाने के बाद ही लाइन मिलेगी।
यदि ₹3000 नहीं मिलेंगे तो विद्युत सप्लाई बहाल नहीं होगी। स्थानीय ग्रामीणों ने लाइनमैन रहीम की ऑडियो रिकॉर्डिंग को वायरल कर दिया। ऑडियो रिकॉर्डिंग वायरल होती विद्युत अधिकारियों ने तेजी दिखाते हुए गांव में विद्युत सप्लाई बहाल कर दिया लेकिन पैसे की मांग करने वाले लाइनमैन रहीम पर अभी भी विद्युत अधिकारियों की मेहरबानी बरकरार है। एसडीओ तुलसीपुर अवधेश पटेल से फोन कर जानकारी लेने पर मिली जानकारी के अनुसार बताया जाता है कि लाइनमैन रहीम विद्युत विभाग का कर्मचारी नही है।
जिससे रहीम पर विभाग के द्वारा कोई कार्रवाई न कर उसको बचाने का प्रयास किया जा रहा । जबकि ऐसे मामले प्रकाश में आने और सिस्टम को बदनाम करने के बावजूद भी उच्च अधिकारियों के द्वारा कार्रवाई न करके उसे बढावा देने की बात सामने आ रही है । अब यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना आखिर क्यों नही उचित समझ रहे है विभागीय अधिकारी क्या यह समझा जाये कि ऐसे मामलों में विभागीय जिम्मेदारों की मौन स्वीकृति होती है और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के बजाय उसको बढ़ावा दिया जा रहा है।फिर कैसे साकार होगा सरकार का भ्र्ष्टाचार मुक्त भारत का सपना जब विभाग के जिम्मेदार ही उनको शरण दे रहे हो।
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