देश है तैयार किसकी बनेगी सरकार
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लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण की वोटिंग रह गई है और यह 1 जून को होगी। इधर जिन छै चरणों में मतदान हो चुका है वहां मतगणना की सुरक्षा व्यवस्था अन्य व्यवस्थाओं की तैयारियां जिला प्रशासन ने शुरू कर दी हैं। 4 जून को शाम तक यह संकेत मिल जाएगा कि किस गठबंधन की सरकार बन रही है। देश के लोगों में उत्सुकता बढ़ गई है। राजनैतिक विश्लेषकों द्वारा गणित लगाए जा रहे हैं। वैसे ज्यादातर विश्लेशक एनडीए को पूर्ण बहुमत मिलना बता रहे हैं जब कि कुछ का मानना है कि। भारतीय जनता पार्टी अकेले मुश्किल से बहुमत तक पहुंचेगी। लेकिन अभी तो ये अनुमान हैं। कई बार अनुमान सही भी साबित हो जाते हैं और कभी कभी नतीजों से बहुत दूर रह जाते हैं। लेकिन देश की जनता का जो भी निर्णय होगा वह सभी को मान्य होगा। जनादेश को कोई नहीं झुठला सकता। भारतीय जनता पार्टी ने इस बार चार सौ पार का नारा दिया है। लेकिन स्तिथि के अनुसार ऐसा होना दिख नहीं रहा है। क्यों कि कुछ राज्यों में भाजपा को कम सीटों का अनुमान लगाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी यह अग्नि परीक्षा होगी।
2014 के आम चुनावों में यूपीए के हाथों से सत्ता चली गई थी। और नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एन डी ए ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था। 2014 में नरेंद्र मोदी पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने थे। इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मैजिक चला था जिसने तमाम पार्टियों का तो सूपड़ा साफ कर दिया था। तथा कांग्रेस काफी नीचे आ गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 से 2019 तक का अपना कार्यकाल बड़े ही अच्छे ढंग से पूरा किया लेकिन इस चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी की राजनीति नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के बीच ही घूमने लगी। इस समय तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़े नेता बन चुके थे। हालांकि लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और सुषमा स्वराज जैसे नेता अब भी अपनी मौजूदगी का एहसास करा रहे थे। लेकिन नरेंद्र मोदी के आने के बाद ये नेता दूसरे नंबर पर आ गए।
मोदी का कद भारतीय जनता पार्टी में इतना ऊंचा हो गया था कि व्यक्ति कोई भी हो भारतीय जनता पार्टी केवल नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही जीत हासिल कर रही थी। अमित शाह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दाहिने हाथ बन गए थे और यह कहना सही होगा कि वह एक कुशल रणनीतिकार बन चुके थे। अमित शाह का हर राजनैतिक मोहरा विपक्ष को मात दे रहा था। कई राज्य सरकारों के पास बहुमत न होते हुए भी अमित शाह ने वहां भारतीय जनता पार्टी की सरकारें बनवा दीं। और विपक्ष के बड़े-बड़े नेता भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। जिसमें गांधी परिवार के खासमखास ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार चल रही थी, मुख्यमंत्री कमलनाथ थे लेकिन इसी बीच अमित शाह की ऐसी रणनीति कारगर साबित हुई कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के 22 विधायकों को लेकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। जिससे कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई और भारतीय जनता पार्टी ने वहां शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार का गठन कर लिया। हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के कई फैसले चौंकाने वाले भी रहे जिसमें एक मध्य प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के बाद शिवराज सिंह चौहान की जगह मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया जाना था। इस बार के लोकसभा चुनावों में अखिलेश यादव से उत्तर प्रदेश में मुकाबला करने के लिए मोहन यादव का उत्तर प्रदेश में काफी प्रयोग किया गया।
2019 के लोकसभा चुनावों में पहले ही यह स्पष्ट हो गया था कि भारतीय जनता पार्टी से सत्ता कोई नहीं छीन सकता। भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में भी प्रचंड जीत हासिल की। अब तक पार्टी में काफी फेरबदल हो चुका था। और भाजपा में केवल नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राजनाथ सिंह की तिकड़ी ही दिखाई दे रही थी। इस चुनाव में जो सबसे असरदार बात रही वह थी भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा देश के 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन उपलब्ध कराना। इस योजना के कारण भारतीय जनता पार्टी को बंपर वोट मिला। इन्हीं योजनाओं को लेकर भारतीय जनता पार्टी 2024 के चुनाव में भी उतरी है लेकिन राजनैतिक विश्लेषकों की मानें तो वह असर दिखाई नहीं दे रहा जो कि पिछले चुनावों में था। क्यों कि अब राहुल गांधी ने भी एक परिपक्व नेता के रूप में देश में अपनी छवि क़ायम की है। खासकर कश्मीर से कन्याकुमारी तक की उनकी भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल गांधी के कद को बहुत ऊंचा कर दिया। इस बार चुनाव इतना आसान दिख नहीं रहा है। मतदाता खामोश रहा है। वोटिंग प्रतिशत कम रहा है और यह भारतीय जनता पार्टी के लिए नुकसान का संकेत दे रहा है।
जितेन्द्र सिंह पत्रकार
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