मतदाताओं की खामोशी ने बढ़ाई प्रत्याशियों की बेचौनी

शिक्षा, रोजगार, महंगाई हमारे मुद्दे हैं जिन पर राजनीतिक दल बात नहीं करतेः   जिंदल

मतदाताओं की खामोशी ने बढ़ाई प्रत्याशियों की बेचौनी

स्वतंत्र प्रभात 
मथुरा। चुनाव प्रचार अंतिम चरण में पहुंच रहा है। मथुरा लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होना है। राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशियों ने पूरा दमखम लगा दिया है। नुक्कड़ सभाओं से लेकर बड़े नेताओं की बड़े मंच पर राजनीतिक सभाओं का दौर चल रहा है। सभी प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं। लोक लुभावने वादे कर रहे हैं। अपनी प्राथमिकताएं बता रहे हैं। हर वह जतन कर रहे हैं जिससे वह जनता का वोट हासिल कर सकें। दूसरी ओर मतदाताओं ने पूरी तरह से मौन साध लिया है। लोग यहां तक कह रहे हैं कि यह बेहद नीरस चुनाव है।

इतना नीरस चुनाव मथुरा ने शायद ही कभी देखा होगा। यहां तक बडे बडे नेताओं की जनसभाओं के प्रति भी लोगों का रूझान नहीं है। वही प्रचार के तौर तरीके भी बदल गये हैं। राजनीतिक दल सोशल मीडिया पर प्रचार प्रसार पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। इस सबके बीच मतदाताओं की खामोशी ने सभी प्रत्याशियों की धड़कनें बढा दी हैं। ऊंट किस करवट बैठेगा यह कोई समझ नहीं पा रहा है। राजनीतिक पंडित इस बार जनता का मूड भांपने में नाकाम साबित हो रहे हैं। लोग कुछ बोलने को तैयार नहीं है। किसी भी सवाल पर वह चुप्पी साध जाते हैं।

बलदेव के गांव पटलौनी निवासी अतुल जिंदल कहते हैं महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, शिक्षा जैसे मुद्दों पर राजनीतिक दल चुप्पी साध गये हैं। हमारी  जरूरतों की कोई बात ही नहीं कर रहा है। गांव अडींग निवासी बीरेन्द्र सिंह कहते हैं। कुछ कहने सुनने का कोई फायदा नहीं है। हमारी अपनी समस्याएं हैं, उन पर कोई बात नहीं कर रहा है। सब अपनी अपनी कह रहे हैं हमारी कोई सुन नहीं रहा है। प्रत्याशी वादे बहुत कर रहे हैं। लेकिन इस तरह के वादों से उनका विश्वास उठ गया है। चुनाव जीतने के बाद कोई देखने तक नहीं आता है। अब सब लुभावनी बात कर रहे हैं। चुनाव जीतने के बाद भगवान हो जाते हैं, इन से मिलना मुश्किल हो जाता है।

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