चित्तौड़गढ़ जलाशय से निकली नहर की शील्ड सफाई सिर्फ कागजों में सिमटी

चित्तौड़गढ़ जलाशय से निकली नहर की शील्ड सफाई सिर्फ कागजों में सिमटी

संवाददाता दिवाकर कसौधन की रिपोर्ट

सरकार जहां नहर की शील्ड सफाई को लेकर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च करती है जिससे नहरों से आने वाले पानी से किसान भरपूर सिंचाई कर सके और उनके  खेती प्रभावित न हो लेकिन तस्वीरों की बात करें तो जिले के जिम्मेदार अधिकारियो से लेकर ठेकेदारों तक की मिली भगत सरकार के मंसूबो पर पानी फेर रहा है।

और शील्ड सफाई के नाम पर सिर्फ कागजी कोरम किया जाता है और औपचारिकता पूरी की जाती है और विभाग को कागजों में मौसम गुलाबी बताया जाता है। विकास खंड पचपेड़वा के स्थानीय ग्रामीणों की माने तो शील्ड सफाई कार्य में जमकर बंदरबाट की जाती है और जब नहर की सफाई ठीक-ठाक नहीं होती है तो किसानों को मिलने वाला पानी भी ठीक से नहीं मिल पाता जिसको लेकर किसान अन्य व्यवस्थाओं को करने के लिए मजबूर होते हैं जिससे वह खेतो में सिंचाई कर सके।

जबकि नहरो के शील्ड सफाई कितनी हुई वह तस्वीर बता रही है ।वही सफाई न होने से नहरो का अस्तित्व लगभग समाप्त हो रहा है वही भारी जल बहाव के कारण जब सन्तुलित जल प्रवाह नही होता है तब नहर कटती है जिसको आप विकास खंड पचपेड़वा के राज्डरवा से चित्तौड़ गढ़ बाँध के नहरो में कई स्थानों में देख सकते है । वही किसानों को अपने फसलों को सिंचाई करने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

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