क्या ट्रूडो वो एयर इंडिया अटैक भूल बिसर ? खालिस्तानियों के हाथ 280 कनाडाई नागरिकों के खून से रंगे हैं
स्वतंत्र प्रभात
भारत की अध्यक्षता में आयोजित G20 समिट ने जहां मेहमान देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों को उच्च स्तर पर पहुंचाया वहीं कनाडा के खालिस्तान प्रेम की वजह से दोनों देशों के बीच रिश्ते टूटने की कगार पर पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत से लौटने के बाद सोमवार को दिए एक बयान में उनके 'खालिस्तान प्रेम' को जगजाहिर कर दिया। यहां तक कि ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भी भारत के सर ही मढ़ दिया है जबकि इस मामले की जांच जारी है। इस मामले में कनाडा ने भारतीय राजदूत को निष्कासित किया तो भारत ने भी इसका कड़ा जवाब देते हुए कनाडाई राजदूत को 5 दिन के भीतर देश छोड़े का आदेश दे दिया है।
इस ब्लास्ट के आरोप में कुछ ही लोगों को गिरफ्तार किया गया था और उन पर मुकदमा चलाया गया लेकिन दोषी इंदरजीत सिंह रेयात साबित हुआ जो एक ब्रिटिश-कनाडाई नागरिक था। हमलों का मास्टरमाइंड तलविंदर सिंह परमार था। साल 2003 में उसे इस नरसंहार के लिए दोषी ठहराया गया था। बमों को फ्लाइट में असेंबल करने के जुर्म में उसे पंद्रह साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। निज्जर की तरह ही रेयात भी ब्रिटिश कोलंबिया में रहता था। वह पेशे से एक कार मैकेनिक और इलेक्ट्रीशियन था।
रेयात ने बैग में बम भरकर वैंकूवर से रवाना होने वाले दो प्लेन में रख दिए थे। साथ ही उसने सह-अभियुक्तों को बचाने के लिए अदालत में झूठ भी बोला था। दूसरा बम जापान के नारिता एयरपोर्ट पर फटा था। इसमें दो एयरपोर्ट कर्मियों की मौत हो गई थी। यह बम तक फटा था जब एयर इंडिया के दूसरे विमान में कार्गो को शिफ्ट किया जा रहा था।
ट्रूडो के खालिस्तानियों के प्रति प्रेम को देखकर भारतीय विशेषज्ञों ने सवाल उठाया है कि लगता है ट्रूडो शायद उस आतंकी हमले को भूल गए जिसमें सैंकड़ों कनाडाई नागरिकों ने जान गंवा दी थी। 1985 में एयर इंडिया की फ्लाइट 182 पर खालिस्तानियों हमला कनाडा के इतिहास का सबसे भयावह आतंकी हमला था। यह फ्लाइट मॉन्ट्रियल-लंदन-दिल्ली-मुंबई तक की थी।
25 जून 1985 को फ्लाइट मॉन्ट्रियल से लंदन के रास्ते पर थी और अटलांटिक महासागर से 31,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रही थी कि अचानक इसमें ब्लास्ट हो गया। फ्लाइट में 329 लोग सवार थे जिसमें से 280 कनाडा के नागरिक थे। हादसे में कोई भी जिंदा नहीं बचा था। कनाडा के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जॉन मेजर की एक रिपोर्ट में कनाडा के अधिकारियों को इसका दोषी ठहराया गया था
रिपोर्ट के अनुसार फ्लाइट में बब्बर खालसा के आतंकियों ने विस्फोटक को फिट किया था। इस पूरे हमले की साजिश सन् 1984 में न्यूयॉर्क में वर्ल्ड सिख ऑर्गनाइजेशन की तरफ से हुए एक सम्मेलन के दौरान ही तैयार की गई थी। तब कहा गया था कि जब तक 50,000 हिंदुओं को मारा नहीं जाएगा तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। खालिस्तानियों ने भारतीय विमानों को आसमान से गिराने की कसम खाई थी।
दो दशक तक चली जांच पर करीब 150 मिलियन डॉलर खर्च हुए थे। यह कनाडा के इतिहास की अब तक की सबसे महंगी जांच साबित हुई । इंद्रजीत सिंह रेयात को साल 2017 में कनाडा की अदालत ने रिहा कर दिया था। ट्रूडो कभी खालिस्तानी जसवंत सिंह अटवाल के साथ डिनर करते तो कभी दूसरे खालिस्तानियों को खुश करने में लगे रहते। जगमीत सिंह जिनकी बदौलत आज ट्रूडो पीएम बने हैं, उन्होंने तो हमले में शामिल लोगों की निंदा करने से ही इंकार कर दिया था।
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