कुख्यात ठेकेदार सौरभ गर्ग, अभय अग्रवाल पर मेहरबान उत्तर प्रदेश स्वास्थ्यविभाग - पैथालॉजी घोटालों पर विशेष रिपोर्ट भाग 2
वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश मेडिकल कारपोरेशन की स्थापना की गयी और वर्ष 2018 से यह कार्पोरेशन पूर्ण रूप कार्य करने लगा, उत्तर प्रदेश मेडिकल कारपोरेशन का कार्य है
इस प्रकार यह कितने रंग बदलते है , कितने शातिर है यह जीजा साले जो उत्तर प्रदेश की गरीब जनता को घटिया उपकरणों के द्वारा मौत के मुंह में धकेल रहे है ,
विशेष संवाददाता
स्वतंत्र प्रभात, लखनऊ
पिछले कुछ अंकों से स्वतंत्र प्रभात उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्ट अधिकारीयों की कार्यशैली और घोटालों को उजागर कर रहा था, इस अंक में स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुख्यात कंपनी POCT SERVICES के डारेक्टर स्वास्थ्य विभाग के शातिर ठेकेदार जीजा साले की जोड़ी सौरभ गर्ग और अभय अग्रवाल के काले कारनामों को उजागर कर रहा है की किस प्रकार से यह जीजा साले की शातिर जोड़ी घटिया जीवन रक्षक उपकरणों के द्वारा उत्तर प्रदेश की जनता को मौत के मुहं में धकेल रहे है, प्रकरण कुछ इस प्रकार से है,
वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश मेडिकल कारपोरेशन की स्थापना की गयी और वर्ष 2018 से यह कार्पोरेशन पूर्ण रूप कार्य करने लगा, उत्तर प्रदेश मेडिकल कारपोरेशन का कार्य है की उत्तर प्रदेश की जनता की स्वास्थ्य रक्षा के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले जीवन रक्षक उपकरणों की खरीद, अस्पतालों में उनकी स्थापना, जाँच के लिए पैथोलॉजी के उपकरण, जाँच किटें और जाँच में प्रयुक्त होने वाले रसायन एवं रीजेंट और उच्च गुणवत्ता की जीवन रक्षक दवाये खरीद कर अस्पतालों में उपलब्ध कराना, परन्तु उत्तर प्रदेश मेडिकल कारपोरेशन में व्याप्त भ्र्ष्टाचार की वजह से यह केवल एक लूट का अड्डा बन गया है, जहाँ अधिकारीयों द्वारा शातिर ठेकेदार जीजा साले सौरभ गर्ग और अभय अग्रवाल के साथ मिलकर पूरे उत्तर प्रदेश की जनता को घटिया जीवन रक्षक उपकरणों, घटिया पैथोलॉजी के उपकरण, जाँच किटें और जाँच में प्रयुक्त होने वाले रसायन एवं रीजेंट के द्वारा मौत के मुहं में धकेल दिया गया है I
ताजा प्रकरण के अनुसार उत्तर प्रदेश मेडिकल कारपोरेशन की निविदा संख्या GEM/2022/B/2617270 के द्वारा उपकरण ELISA READER AND WASHER QUANTITY 116 में कुल 11 कंपनियों ने प्रतिभाग किया परतु 10 कंपनियों की निविदाओं को तकनिकी बिड में ही रिजेक्ट करके केवल एक कंपनी शातिर ठेकेदार की कुख्यात कंपनी POCT SERVICES को सेलेक्ट करके उसको लगभग 7 करोड़ रूपये का क्रय आदेश जारी कर दिया गया I
बाकि सभी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता के उपकरण रखने वाली कंपनियों की निविदा को तकनिकी बिड में ही रिजेक्ट कर दिया गया, सारा खेल इस प्रकार से किया गया है यह सारी कवायद वर्ष 2016 से जारी पैथालॉजी केमिकल, रेजेन्टों और जांच कीटों के घोटाले को वैध बनाने के लिए है, वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश के कुछ अस्पतालों ले लिए पैथालॉजी के मात्र तीन उपकरणों के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा निविदा की गयी थी, निविदा संख्या 8F/ QC-737 ( QUANTITY CONTRACT) आमंत्रित की गयी थी, चूँकि निविदा इसी प्रकार से सेटिंग वाली थी, इस कारण से तीनो ही उपकरण की आपूर्ति के क्रय आदेश शातिर ठेकेदार सौरभ गर्ग की ही कंपनी POCT SERVICES LUCKNOW को दिया गया, यह क्रय आदेश जारी हुआ था
30 जून 2016 को, यह एक मात्रा अनुबंध था उपकरणों की सीमित मात्रा की सप्लाई के लिए उत्तर प्रदेश के कुछ ही अस्पतालों में, परन्तु 5 सितम्बर 2016 को फर्जीवाड़ा करके इस मात्रा अनुबंध को दर अनुबंध में बदल कर शातिर ठेकेदार की तीनो कंपनियों POCT SERVICES LUCKNOW, HEIDELCO MEDICORE LUCKNOW, AROMA HEALTHCARE LUCKNOW को शामिल करते हुए पूरे प्रदेश में समस्त अस्पतालों के लिए पैथालॉजी में इस्तेमाल होने वाले रीजेन्ट्स, जांच कीटों, पैथालॉजी केमिकल के सप्लाई के लिए वर्ष 2016 से 2024 तक के लिए दर अनुबंध कर दिया गया, अब सवाल यह है की जब पैथालॉजी के उपकरण कुछ ही अस्पतालों में गए थे
बाकि अन्य अस्पतालों में उक्त पैथालॉजी के उपकरण थे ही नहीं, तब उन अस्पतालों से पैथालॉजी के रीजेन्ट्स, जांच कीटों और केमिकल के बिल लगा करके बेहिसाब पैसों की निकासी की गयी है, जोकि अभी तक जारी है, यह पैथालॉजी घोटाला देश का सबसे बड़ा घोटाला है I
लूट के इसी क्रम को जारी रखने के लिए उत्तर प्रदेश मेडिकल कारपोरेशन द्वारा उपरोक्त तीन पैथालॉजी के उपकरणों के लिए सेटिंग निविदाएं की गयी है जिससे की शातिर ठेकेदार कुख्यात जीजा साले की जोड़ी सौरभ गर्ग और अभय अग्रवाल को लाभ पहुंचाया जा सके और उत्तर प्रदेश की मासूम जनता को मौत के मुहं में धकेला जा सके,
उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉर्पोरेशन के भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा उक्त दर अनुबंध 2024 से बढ़ा कर 2027 तक के लिए कर दिया गया, लूटो जीजा साले लूटो
इसी के क्रम में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य आईएएस अमित मोहन प्रसाद, उत्तर प्रदेश की तत्कालीन प्रबंध निदेशिका आईएएस कंचन वर्मा द्वारा उक्त शातिर ठेकेदार सौरभ गर्ग के पैथालॉजी केमिकल, रीजेंट, जांच कीटों के दर अनुबंध को वर्ष 2020 में ही वर्ष 2024 से बढाकर वर्ष 2027 तक के लिए कर दिया गया है, जबकि उक्त अनुबंध को ख़त्म होने में चार वर्ष बाकि थे,
ऐसी भी क्या जल्दी थी दर अनुबंध बढ़ने की??? यह बहुत बड़ा सवाल है और उत्तर प्रदेश की उपयोगी सरकार की छवि और भर्ष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति पर सवाल खड़े करता हैI सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश मेडिकल कारपोरेशन की एक अन्य निविदा संख्या GEM/2023/B/3652781 उपकरण Automated Hematology Analyser PART 3 QUANTITY 1053 में भी यही खेल किया जा रहा हैI अभी उक्त निविदा का TECHNICAL EVALUTION चल रहा है I पैथालॉजी के उपकरणों को खरीदने के लिए उत्तर प्रदेश मेडिकल कार्पोरेशन की जल्दबाजी देखते ही बनती है,
उत्तर प्रदेश मेडिकल कारपोरेशन द्वारा की गयी की कई कुछ और निविदाओं पर नज़र डालते है, निविदा संख्या UPMSCL/EQ/RC166 जिसमे AROMA HEALTHCARE को जीवन रक्षक उपकरण पेशेंट मॉनिटर की सप्लाई का आर्डर मिला QUANTITY 400, CENTRAL MONITORING SYSTEM QUANTITY 40, सारे के सारे चीनी कंपनी JUMPER MEDICAL के सप्लाई किये गए मॉडल JPD 800B,
निविदा संख्या UPMSCL/EQ/RC 337 उपकरण सेमि ऑटो एनालाइजर मात्रा 650 , उक्त निविदा में शातिर ठेकेदार की पहली कंपनी POCT SERVICES निर्माता बन गयी, दूसरी कंपनी HEIDELCO MEDICORE वितरक बनकर उक्त निविदा में प्रतिभाग करती है और तीसरी डमी कंपनी AROMA HEALTHCARE उक्त उपकरण की 100 UNITS की खरीदार बन गयी और उसका क्रय आदेश लगा दिया I
निविदा में प्रतिभाग करने की दो विशेष शर्त होती है, पहली अगर वितरक निविदा में प्रतिभाग कर रहा है तो उपकरण की मांगी गयी मात्रा का दस प्रतिशत उपकरण के क्रय आदेश निविदाता के नाम पर होने चाहिए और चालीस प्रतिशत निर्माता के नाम पर क्रय आदेश होने चाहिए, दूसरी शर्त होती है उपकरण की PERFORMANCE CERTIFICATE की जो की तीन वर्षों से ज्यादा पुराने नहीं होने चाहिए है, इन्ही शर्तों में फर्जीवाड़ा किया जाता है, उक्त निविदा में शातिर ठेकेदार द्वारा लगाए गए क्रय आदेश में से एक तो उसकी डमी कंपनी AROMA HEALTHCARE का 100 UNITS का है, बाकि अन्य सब निजी प्रतिष्ठानों लगाए गए है और सबकी हस्तलिपि एक सामान है,
जैसे लगता है की एक ही व्यक्ति द्वारा विभिन्न प्रतिष्ठानों के क्रय आदेश बना दिए गए है, PERFORMANCE CERTIFICATE बिहार सरकार के सरकारी अस्पतालों की मोहर लगे एक ही फॉर्मेट पर बने सर्टिफिकेट लगाए गए है और एक पर तो POCT LT लिखा हुआ है, अब सवाल यह है की अगर शातिर ठेकेदार के पास बिहार सरकार के PERFORAMCE CERTIFICTE है तो क्रय आदेश क्यों नहीं लगाए गए, कहाँ है क्रय आदेश?? बिना क्रय आदेश के PERFORMACE CERTIFICATE कैसे जारी हो गए??, सब फर्जीवाड़ा है I मगर उत्तर प्रदेश मेडिकल कारपोरेशन के भ्रष्ट अधिकारीयों पर लालच की पट्टी बंधी हुयी थी, इसलिए तमाम शिकायतों के बाद भी निविदा करके शातिर ठेकेदार को क्रय आदेश जारी कर दिया गया, निविदा की शर्त में से QUALITY CERTIFICATE USFDA की शर्त हटा ली गयी थी, और घटिया चीनी उपकरण E-LAB BIOLOGICAL SCIENCE TECHNOLOGY CO LTD के सप्लाई कर दिए गए,
इसी प्रकार से शातिर ठेकेदार की दूसरी कंपनी HEIDELCO MEDICORE कभी निर्माता बन जाती है और कभी कहती है की वो निर्माता नहीं है यह लिखित दस्तावेजों में है उत्तर प्रदेश मेडिकल कारपोरेशन के तमाम निविदाओं में की, उत्तर प्रदेश मेडिकल कारपोरेशन की निविदा संख्या UPMSC/EQ/RC/192/2020 FOR PULSE OXIMETER की निविदा में HEIDELCO MEDICORE LUCKNOW ने खुद को चीनी कंपनी SHENZHEN CREATIVE का स्थानीय वितरक दिखाया था, और मध्य प्रदेश मेडिकल कारपोरेशन की निविदा संख्या 06/MPPHSCL/AMBULANCE EQ/2019 में HEIDELCO MEDICORE LUCKNOW ने खुद को उपकरण निर्माता दिखाया, और दोनों निविदाओं में उपकरण एक ही है
PULSE OXIMETER , उपकरण के CATALOGE में QUALITY CERTIFICATES USFDA और EUCE लिखा है GERMANY का पता दिया गया है, कितना बड़ा फर्जीवाड़ा वो भी जीवन रक्षक उपकरणों में, उत्तर प्रदेश मेडिकल कारपोरेशन की निविदा संख्या UPMSC/EQ/RC/449/2021 FOR INFUSION PUMP की निविदा में HEIDELCO MEDICORE LUCKNOW ने खुद को उपकरण निर्माता दिखाया और उत्तर प्रदेश मेडिकल कारपोरेशन की निविदा संख्या UPMSCL/EQ/RC/337/2021 उपकरण सेमि ऑटो एनालाइजर मात्रा 650 में HEIDELCO MEDICORE LUCKNOW ने खुद को कोई उपकरण निर्माता नहीं है दर्शाया है,
इस प्रकार यह कितने रंग बदलते है , कितने शातिर है यह जीजा साले जो उत्तर प्रदेश की गरीब जनता को घटिया उपकरणों के द्वारा मौत के मुंह में धकेल रहे है , इनका लालच पूरे उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग पर भरी पड़ रहा है, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वस्थ्य सेवाएं विभाग के कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक के पास इन शातिर जीजा साले की जोड़ी द्वारा किये गए सारे फर्ज़ीवाड़े के साक्ष्य होने के वाबजूद भी इनके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं होना और लगातार इनको पैथलॉजी के उपकरणों के क्रय आदेश जारी होते रहना वो भी सेटिंग निविदा के माध्यम से, यह उत्तर प्रदेश की उपयोगी सरकार की ईमानदारी , पारदर्शिता और भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की निति पर पूरी तरह से सवाल खड़े करता है I
इसी शातिर ठेकेदार जीजा साले की जोड़ी के घोटालों के लिए राज्य सभा सांसद संजय सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस की थी, तब इस शातिर ठेकेदार जीजा साले की जोड़ी के वेंटीलेटर के क्रय आदेश निरस्त किये गए थे, क्या उत्तर प्रदेश मेडिकल कार्पोरेशन उक्त घोटालों के उजागर होने पर GEM पोर्टल द्वारा पैथालॉजी के तीनो दिए गए पैथालॉजी उपकरणों के क्रय आदेशों को निरस्त करेगा??????? बड़ा सवाल है, प्रेस कांफ्रेंस का लिंक देखें https://www.youtube.com/watch?v=qpcAa5NW5HU
यह उपयोगी सरकार वर्ष 2017 से अपनी नाक के नीचे हो रहे इस भ्र्ष्टाचार की जांच करवा पायेगी???? क्या वो इस लूट कांड में शामिल दोषियों को दंड दे पायेगी???? क्या उत्तर प्रदेश की मासूम जनता को घटिया जीवन रक्षक उपकरणों, घटिया पैथालॉजी उपकरणों, घटिया जांच कीटों, घटिया रीएजेन्टों, घटिया पैथलॉजी केमिकल द्वारा मौत के मुंह में धकेलने वाले कुख्यात शातिर ठेकेदार जीजा साले की जोड़ी सौरभ गर्ग और अभय अग्रवाल को सजा मिलेगी????
प्रधानमंत्री जी अपने प्रत्येक भाषण और मन की बात में भ्र्ष्टाचार को मिटाने की बात करते है और उनकी ही अधीनस्थ उत्तर प्रदेश की उपयोगी सरकार संगठित भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में जुटी हुयी है, इतना विरोधाभास क्यों है ????
अगले विशेषांक में उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग में शातिर ठेकेदार जीजा साले की कुख्यात जोड़ी एवं उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग के भ्रष्ट अधिकारीयों और कमर्चारियों के गठजोड़ के काले कारनामो एवं घोटालों को उजागर किया जायेगा I
घोटाले से संलिप्त लोगो से हमें प्रत्यक्ष रूप से किसी भी तरह की तथ्यों के साथ जानकारी नहीं आयी है और न ही उनका कोई पक्ष हमें मिला है अगर उनकी तरफ से हमें तथ्यों के आधार पर कोई जानकारी मिलती है तो हम उसे भी प्रकाशित करेंगे l
स्वतंत्र प्रभात द्वारा उक्त घोटाले की ख़बरों को प्रकाशित करने पर इन शातिर ठेकेदार जीजा साले की जोड़ी के लोगों द्वारा स्वतंत्र प्रभात के कार्यालय जा कर खबरें प्रकाशित न करने के लिए धमकाया गया और पत्रकार पर सड़क पर हमला किया गया , साथ ही इनके गुर्गो द्वारा कहा गया कि अगर खबर का प्रकाशन बंद नहीं किया गया तो खबर लिखने वाले और प्रकाशित करने वालों पर फर्जी मुकदमो की बाढ़ आएगी l मेरी जान पहचान सरकार में बड़े-बड़े मंत्रियो और अधिकारियो के साथ है और इससे पहले भी हमने हमारे खिलाफ आवाज उठाने वालो के साथ ऐसा ही किया है l
लेकिन स्वतंत्र प्रभात इन धमकियों से भयभीत नहीं है, आम जनमानस के हित में एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते सच प्रकाशित होता रहेगा I अगर आपके पास भी इस मामले या फिर किसी भी संस्थान या फिर आम जनता से जुड़े किसी भी मुद्दे पर कोई जानकारी है तो आप हमें हमारी मेल news@swatantraprabhat.com पर मामले से सम्बंधित जानकारी भेज सकते है l
इस महाघोटाले से संबंधित अगले विशेषांक में और भी महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत किए जायेंगे
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