रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के विषय में जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से
11 वां ज्योतिर्लिंग : रामेश्वरम
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रमनाथम में स्थित है। रामसेतु भी वही स्थित है। रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग रामायण के समय काल तक का पुराना माना जाता है। यह भी माना जाता है कि आज के समय जो रामेश्वरम मंदिर में 24 पानी के कुए है, वह खुद भगवान श्रीराम ने अपने तीरों से बनाए थे ताकि वे अपने वानर सेना की प्यास बुझा सके। ऐसा भी माना जाता है कि रावण को मारने के लिए जो ब्रह्म हत्या का पाप भगवान राम को लगा था, उसके दोषी से मुक्त होने के लिए भगवान राम ने यहीं भगवान शिव की आराधना की थी।
राम लिंगेश्वरम ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है l
रामेश्वरम धाम का महत्व एवं स्थापना
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग जिस धाम में स्थापित है उसे रामेश्वरम चार धाम के अलावा रामनाथ स्वामी मंदिर भी कहा जाता है। शिव पुराण के कोटिरूद्र संहिता के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना भगवान श्रीराम ने पूजन के लिए की थी। जब रावण ने सीता जी का हरण किया था और उन्हें लंका ले गया था उस समय भगवान श्री राम बहुत व्याकुल होकर उनकी खोज में दक्षिण की ओर निकले थे। रामेश्वरम में समुद्र तट पर भगवान शिव की आराधना और उन्हें प्रसन्न करने के लिए प्रभु श्री राम ने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। क्योंकि यह ज्योतिर्लिंग रामेश्वरम के तट पर स्थित था इसलिए इसे रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग या राम लिंगेश्वरम ज्योतिर्लिंग कहा गया।
यह है पौराणिक कथा
कहा जाता है कि जब रावण ने सीता जी का हरण किया और उन्हें अपने साथ लंका ले गया। सीता जी की तलाश में प्रभु श्री राम अपने सेनापति हनुमान अपने छोटे भाई लक्ष्मण और अपनी पूरी वानर सेना के साथ दक्षिण की ओर निकल गए। जब वह भारत के दक्षिणी छोर पर पहुंचे तो उन्होंने रामेश्वरम के तट पर देखा कि भारत और लंका के बीच एक अथाह समुद्र है जिसे लांग कर उस पार जाना अत्यंत कठिन है। भगवान श्री राम प्रत्येक दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करते थे और तब उसके बाद ही वे अन्य और जल ग्रहण करते थे
लेकिन उस दिन वह भगवान शिव की आराधना करना भूल गए। अचानक से उन्हें प्यास लगी और वह पानी पीने के लिए समुद्र तट पर गए तब वहीं अचानक उन्हें भगवान शिव की याद आई। तभी उन्होंने भगवान शिव की आराधना करने के लिए रामेश्वरम के इसी तट पर भगवान शिव के पार्थिव लिंग की स्थापना की और उनकी आराधना करने लगे। सभी सत्य सनातन को मानने वाले यह मानते हैं कि रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव वास करते हैं इसीलिए प्रत्येक वर्ष लाखों श्रद्धालु यहां पर दूर-दूर से इनकी पूजा आराधना करने के लिए आते हैं।
दूसरी कथा
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की स्थापना के संबंध में कुछ लोग एक दूसरा मत भी रखते हैं इस मतानुसार, लंका में रावण को मारकर सीता माता को अपने साथ लेकर भगवान श्रीराम वापस लौट रहे थे। इसी बीच गन्ध मादन पर्वत पर चले गए। यहां उनके दर्शन करने आए ऋषि-मुनियों ने भगवान श्रीराम से कहा कि उन पर ब्रह्म हत्या का पाप लगा है क्योंकि उन्होंने पुलस्ति कुल के ब्राह्मणों की हत्या की है।
तब प्रभु श्री राम ने उन ऋषि महर्षि ओं से इस समस्या का समाधान पूछा परिणाम स्वरूप उन्हें कहा गया कि आप एक शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव की पूजा आराधना कीजिए इससे आपका पाप कट सकता है। कहा जाता है कि तभी तत्काल उसी समय सभी ऋषि महर्षि यों के दिशा निर्देश में प्रभु श्री राम ने भगवान शिव के पार्थिव लिंग की स्थापना की और उसकी आराधना करने लगे।

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