ओडिशा: में हुए भीषण ट्रेन दुर्घटना का रेलवे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया खुलासा
क्यों, कब- कैसे घटित हुई घटना दी पूर्ण जानकारी
स्वतंत्र प्रभात- ओडिशा: हाल में ही हुई बालासोर की भीषण ट्रेन हादसे पर रेलवे ने रविवार को प्रेस कांफ्रेंस की और कब-कैसे क्या हुआ पूरी घटना समझाई। मेंबर ऑफ ऑपरेशन, जया वर्मा हादसे से संबंधित अबतक की पूरी जानकारी दी। प्रेस कांफ्रेंस में रेलवे ने बताया कि तीन ट्रेनों की आपस में टक्कर नहीं हुई थी। लूप लाइन में दो मालगाड़ियां खड़ी थीं। सिग्नल में कोई गड़बड़ी नहीं थी। हादसे का पूरा असर कोरोमंडल एक्सप्रेस पर हुआ। यशवंतपुर एक्सप्रेस के पिछले दो डिब्बे चपेट मे आए थे।
बालासोर जिले में बहनगा बाजार रेलवे स्टेशन पर यह हादसा 2 जून की शाम 6:55 बजे हुआ। कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस स्टेशन पर जो दूसरी गाड़ियां खड़ी थीं, वह इसकी चपेट में आ गईं। उस समय स्टेशन से दो मेल एक्सप्रेस गाड़ियों को अलग-अलग दिशाओं से गुजरना था। स्टेशन पर दो मेन लाइन हैं, जहां ट्रेन बिना रुके जाती है और बगल में जो 2 लाइन हैं, उन्हें लूप लाइन कहा जाता है, जहां हम गाड़ी को रोकते हैं।
रेलवे बोर्ड के मुताबिक, लूप लाइन पर 2 गाड़ियां खड़ी थीं, गाड़ियों को वहां रोका गया था, ताकि बाकी लाइन पर ना रुकने वाली गाड़ी गुजर सके। चेन्नई की तरफ से यशवंतपुर एक्सप्रेस बेंगलुरु से आ रही थी और उसकी आवाज आ रही थी, यह गाड़ी कोरोमंडल से कुछ सेकंड पहले आ रही थी।
मालगाड़ी अपनी जगह से बिल्कुल नहीं हिली। रेलवे बोर्ड की सदस्य ने कहा कि टकराव की वजह से ट्रेन के डिब्बे इधर-उधर बिखर गए। इसकी वजह से कुछ डिब्बे डाउन लाइन पर गुजर रही यशवंतपुर एक्सप्रेस से टकरा गए, इससे यशवंतपुर एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे डिरेल होकर दूसरी तरफ चले गए।
उन्होंने कहा कि सिर्फ कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे का शिकार हुई। कोरोमंडल एक्सप्रेस मालगाड़ी से टकराई। टक्कर में मालगाड़ी अपनी जगह से हिली भी नहीं। खड़ी मालगाड़ी में लोहा लदा हुआ था। सिग्नल में गड़बड़ी होना संभव हो सकता है। दो लाइन सीधी है जो मेन लाइन है। दो साइड में हैं जिनको लूप लाइन कहते हैं। ऊपर वाले लूप लाइन में मालगाड़ी खड़ी थी।
Read More 8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर, 8वें वेतन आयोग को लेकर आया ये अपडेट हावड़ा की दिशा से शालीमार रेलवे स्टेशन से कोरोमंडल एक्सप्रेस चेन्नई जाने के लिए आ रही थी, जिसके लिए सिग्नल ग्रीन थे और सब कुछ सेट था। ओवरस्पीडिंग की कोई बात नहीं थी और पायलट को सिग्नल ग्रीन दिख रहा था, इसलिए उसे सीधा जाना था। ग्रीन सिग्नल के मुताबिक, ड्राइवर को अपनी तय स्पीड के अनुसार बिना रुके आगे जाना था, इसलिए वह 128 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जा रहा था।
यशवंत एक्सप्रेस भी 126 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आ रही थी। जया वर्मा ने कहा कि कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन बेहद सुरक्षित है और आमतौर पर यह पलटती नहीं है, आयरन से भरी हुई मालगाड़ी की सेंटर ऑफ ग्रेविटी और उसके भार के चलते इंपैक्ट पैसेंजर ट्रेन पर आया।

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