#Movie Review क्यों जरूरी है ' जैक्सन हाल्ट '

बिहार का युवा जब रोजगार की लड़ाई में असफल होता है तो किस तरह स्टेप बाई स्टेप उसका अपराधीकरण होता है।

#Movie Review  क्यों जरूरी है ' जैक्सन हाल्ट '

जैक्सन हाल्ट आपको अहसास कराएगी की भोजपुरी या मैथली में टैलेंट की कमी नहीं। बस एक तबके ने हमे पूर्वाग्रही बना दिया है कि पुरबिया फिल्मों में तो बस अश्लील नाच गाने मात्र होते हैं।'

🤔स्वतंत्र प्रभात-
आम तौर पर आज तमाम क्षेत्रीय भाषाओं में शानदार फिल्मे बन रहीं हैं। कांतार ,आरआरआर और दमन जैसी फिल्मों ने पैन इंडिया के साथ पूरे विश्व का ध्यान खींचा।मलयालम और मराठी फिल्में तो ख़ैर कथ्य कहानी और अभिनय के मामले में  आसमान छू जाती हैं।

 


असमिया फ़िल्मों के पास भी कहानी है अच्छा सिनेमा है पर बात जब भोजपुरी की आती है तो साब! मन घिन्ना जाता है। अश्लील कहानी के नाम पर लहंगा उठाई देब और द्विअर्थी संवादों से भरी फिल्में अन्य क्षेत्रीय फिल्मों के सामने टिकती ही नहीं हैं।'वेलकम टू सज्जनपुर' का रविकिशन भी जब भोजपुरी में आता है तो वो भी रिमोट से लहंगा उठाने से अधिक कुछ नहीं कर पाते हैं।

 


इसी पूर्वी उत्तरप्रदेश, बिहार और झारखंड की कहानियां लेकर ओटीटीटी पर शानदार सीरीज मिर्जापुर,खाकी जैसी तमाम हिट कॉन्टेंट लिए जाते हैं।
गैंग्स ऑफ वासेपुर और हासिल जैसी यादगार फिल्में बनती हैं।पर भोजपुरी खाली हाथ है।लोग कहते हैं की भोजपुरी के दर्शक अच्छी विषयवस्तु पसंद नहीं करते,पर यह तथ्यहीन और भ्रामक कथन है।


भाई! करोड़ों की यही जनता कश्मीर फाइल देखती है, उड़ता पंजाब भी देखती है और कांतारा भी देखती हैं।ये एक साजिश है कि एक तबके को बस इस तरह के मुद्दाविहीन और घटिया फ़िल्मों में फंसाए रखो कि वे खुद को सदा सांस्कृतिक और वैचारिक रूप से पिछड़ा महसूस करते रहें।


कुछ सालों पहले भोजपुरी की एक फिल्म 'वंस अप ऑन ए टाइम इन बिहार' भोजपुरी में रिलीज करने का प्रयास किया गया। फिल्म का विषय शानदार था की कैसे बिहार का युवा जब रोजगार की लड़ाई में असफल होता है तो किस तरह स्टेप बाई स्टेप उसका अपराधीकरण होता है।साब! यही निरहुआ, घुरअहुआ और बेबी बीयर पीके वालों ने इसे भोजपुरी में रिलीज नहीं होने दिया।अंत में इस फिल्म को खड़ी बोली में डब कर के रिलीज करना पड़ा।


अब आते हैं मुद्दे पर:जैक्सन हाल्ट आपको अहसास कराएगी की भोजपुरी या मैथली में टैलेंट की कमी नहीं। बस एक तबके ने हमे पूर्वाग्रही बना दिया है कि पुरबिया फिल्मों में तो बस अश्लील नाच गाने मात्र होते हैं।'जैक्सन हाल्ट' आपके इस पूर्वाग्रह के परखच्चे उड़ा देगी। फिल्म एक सस्पेंस, थ्रिलर और मिस्ट्री जॉनर है।


कहानी अधिक नहीं खोलूंगा। बस ये जान लीजिए  की ऋषि टूर पर निकला है और इंतजार कर रहा है ट्रेन का।स्टेशन मास्टर और उसके हेल्पर के इर्द गिर्द बुनी ये कहानी कई लेयर्स में है।

 


विद्यापति की कविताएं और ऋषि का सरनेम जानने की स्टेशन मास्टर की इच्छा आपको अहसास करा देगी की आप भारत के किस हिस्से में हैं।स्टेशन मास्टर के रूप में राम बहादुर रेडु का अभिनय जबरदस्त है। दो घंटे की इस फिल्म में पल प्रति पल उनका किरदार रहस्यमय होने के साथ क्रिपटिक होता जाता है। फिल्म का सेंटर बन जाते हैं। 


हेल्पर को देखते ही आप पहचान जाएंगे। जी हां! 'पंचायत' वाले 'बनराकस' यानी दुर्गेश। लेकिन यहां अधिकतर शांत रहते हैं। लेकिन उनके हाव भाव ही आपको कभी आतंकित कर देंगे तो कभी हंसने पर मजबूर।ऋषि  के रूप में निश्चल अभिषेक ने शानदार अभिनय किया है। बड़े शहर से होने के बावजूद मैथिली की कविताएं सुनाना उनके मिट्टी से जुड़े होने का संदेश देती हैं।


एक छोटे से स्टेशन पर घट रही रहस्यमयी घटनाओं का एक अकेले पड़े आदमी पर जो प्रभाव पड़ेगा वो वह सब दिखाने में सफल हुए हैं।'साइको' की याद आ जाती है स्टेशन मास्टर को देखकर।

और अंत में सलाम डायरेक्टर और राइटर नितिन चंद्रा को जिन्होंने ये साहसिक कदम उठाया और उस क्षेत्रीय भाषा में 'वैकेंसी' और 'साइको' सरीखी हॉलीवुड फिल्म देने की कोशिश की है जिस भाषा को नचनियों, पदनियों और अश्लील भाषा का तमगा दे दिया गया है।

क्यों देखें:
 यदि यह पूर्वाग्रह तोड़ना चाहते हैं कि भोजपुरी मैं केवल अश्लीलता से भरी फिल्में ही बन सकती हैं।नॉरमन बेट के किरदार सरीखी 'साइको'  या 'वैकेंसी' सरीखी  शानदार कई लेयरों से भरी हुई उम्दा मिस्ट्री फिल्म देखना चाहते हों तो।

क्यों न देखें: यदि पूरब के प्रति पहले से ही यह परिकल्पना बना रखी हो कि यहां कुछ भी अच्छा नहीं बन सकता।

About The Author

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel