गोपालगंज जिले के सैंतीस अल्ट्रासाउंड सेंटर पर छापामारी के बाद सील

 आधे से अधिक अल्ट्रासाउंड सेंटर के बिना जिंदगी का जंग लड़ रहे मरीजों की बढ़ी मुश्किलें 

गोपालगंज जिले के सैंतीस अल्ट्रासाउंड सेंटर पर छापामारी के बाद सील

गोपालगंज बिहार 

गोपालगंज जिले में तथाकथित अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटरों की नकेल कस जिला प्रशासन ने बिल्कुल ही एक अच्छी पहल की है भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए यह पहल सराहनीय है परन्तु गोपालगंज जिले की तीस लाख आबादी और बढ़ती मरीजों के तादाद का आखिर कहां अल्ट्रासाउंड हो सकेगा,यह भी गोपालगंज जिले के लोगों के लिए एक यक्ष प्रश्न है l

   जिले के चौदह प्रखंडों में तकरीबन सौ से अधिक अल्ट्रासाउंड सेंटर चलाये जा रहे हैं तमाम अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर तरह तरह की गंभीर बिमारियों का अल्ट्रासाउंड कराने के लिए गांव देहात से मरीज आते हैं और अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट लेकर जाते उसी रिपोर्ट के आधार पर सम्बद्ध मरीजों का इलाज होता है और वे स्वस्थ भी होते हैं   पर स्वास्थ्य विभाग की असलियत क्या है,यह भी कौतुहल का विषय है अल्ट्रासाउंड सेंटर की रिपोर्ट सोनोलाजिस्ट का ही करना वैध है परन्तु यहां तो अल्ट्रासाउंड टेक्नीशियन ही रिपोर्ट कर देते हैं,जो वैध नहीं है l

 ‌ इस मामले की विडम्बना तो यह है कि सरकार ने ऐसे कार्यों के निष्पादन के लिए पर्याप्त संख्या में सोनोलाजिस्ट की पदस्थापना किया ही नहीं वास्तविक स्थिति गोपालगंज की यह है कि इतनी बड़ी आबादी और इतनी बड़ी जनसंख्या वाले जिले में अकेले सोनोलाजिस्ट डाक्टर संजय कुमार भी कम पड़ रहे हैं, मानों जिले में सोनोलाजिस्ट का टोटा पड़ा है l

 ऐसे में अल्ट्रासाउंड सेंटर से रिपोर्ट भला कौन करेगा? 

सरकार अगर पर्याप्त मात्रा में सोनोलाजिस्ट डाक्टरों की नियुक्ति और पदस्थापना कर दे तो अल्ट्रासाउंड सेंटरों के वैधता कायम हो सकती है परन्तु सरकारी अस्पताल हो या प्राइवेट सर्वत्र वैध चिकित्सक से इलाज करवाना संभव ही नहीं हो पाता क्योंकि एक वैध डाक्टर के नाम अनेक अवैध नर्सिंग होम और अल्ट्रासाउंड सेंटर का संचालन होता है जरुरत है सोनोलाजिस्ट डाक्टरों की नियुक्ति की तभी अल्ट्रासाउंड सेंटरों की रीढ़ मजबूत हो पायेगी और जरुरतमंदों को इसका लाभ मिल पाएगा अल्ट्रासाउंड सेंटर को सील करना हीं समस्याओं का समाधान नहीं है l

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