चीन-पाकिस्तान में छाया आर्थिक संकट, अधर में लटकी CPEC परियोजना
स्वतंत्र प्रभात।
वहीं आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को अब तक लिए गए चीन के कर्ज को चुकाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जब CPEC को 2013 में लॉन्च किया गया था, तब इसकी कीमत लगभग 40 -42 बिलियन अमेरिकी डॉलर आंकी गई थी, हालांकि समझौते की अधिकांश शर्तें अस्पष्ट या आम जनता की जानकारी से छिपी हुई हैं। कुछ बिजली परियोजनाओं को छोड़कर, प्रमुख CPEC परियोजनाएं 2020 तक कागजों तक सीमित रहीं, जबकि बहुप्रतीक्षित बुनियादी ढांचा कार्यक्रमों की लागत बढ़कर लगभग 62-65 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई।
अब कहा जाता है कि CPEC के तहत विभिन्न परियोजनाओं की पूंजीगत लागत में वृद्धि के कारण लागत में और वृद्धि हुई है। हाल के घटनाक्रमों से पता चलता है कि बीजिंग CPEC में रुचि और विश्वास खो रहा है। इस्लामाबाद सरकार के लिए यह मुश्किल होने वाला है क्योंकि CPEC अधूरा रहेगा, एक बड़ी देनदारी बन जाएगा और पाकिस्तान को कर्ज के जाल में फंसा देगा।

Comment List