गोण्डा के सरकारी अस्पतालों में आशा बहुओं का दबदबा कायम- मनोज मौर्य

खुलेआम हो रही प्राइवेट अस्पतालों की दलाली, प्रशासन मौन- प्रदीप तिवारी

गोण्डा के सरकारी अस्पतालों में आशा बहुओं का दबदबा कायम- मनोज मौर्य

स्वतंत्र प्रभात
 
गोण्डा। जिला महिला अस्पताल गोंडा में प्रसव कराने आयी गर्भवती महिलाओं को बहला-फुसलाकर आशा बहू निजी अस्पताल ले जाती हैं और जिले के सरकारी अस्पताल में आशा बहुओं का दबदबा बरकरार है। वहीं प्राइवेट अस्पतालों की खुलेआम दलाली हो रही है। यही नहीं मामला उठाने पर पत्रकारों को धमकी मिल रही है। जिसका मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इसके लिए मान्यता प्राप्त पत्रकार मनोज मौर्य ने कहा कि पत्रकारों पर दबाव और हिंसा,उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यह लोकतंत्र पर सीधा प्रहार है।
 
आपको बता दें कुछ दिनों पहले जिला महिला अस्पताल गोण्डा में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री/ स्वास्थ्य मंत्री डॉ० बृजेश पाठक का दौरा हुआ था,जिसमें सबसे ज्यादा शिकायत आशा बहुओं की सुनने को मिली। वहीं अभी कुछ ही दिन बीते थे कि हाल ही में एक ऑडियो तेज़ी से वायरल हो रहा है। जिसमें जिले की एक पत्रकार रूबी अवस्थी को बाकायदा एक मेडिसिन हॉस्पिटल के प्रबंधक हाकिम सिंह द्वारा खुलेआम धमकी दी जा रही है।
 
इस धमकी भरे ऑडियो में बार बार ऐसे असंवैधानिक शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है, कि अस्पताल के पास दिखाई न देना, अगर दिखी तो ठीक नहीं होगा! और यहाँ तक सुना गया कि पत्रकार पर फर्जी मुकदमा पंजीकृत करवा देगा! वायरल ऑडियो में जिला महिला अस्पताल में तैनात डॉ० माधुरी त्रिपाठी का नाम लिया जा रहा है जिनका प्राइवेट अस्पताल चलता है जिसका नाम सहारा हॉस्पिटल है और उनके द्वारा भी मरीज वहां भेजे जाते हैं।
 
मेडिसिन हॉस्पिटल के प्रबंधक हाकिम सिंह द्वारा यह कहा जा रहा है कि उनको तो आप कुछ नहीं कह रहे हैं। जिसका मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इसके लिए प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष मान्यता प्राप्त पत्रकार डॉक्टर कल्प राम त्रिपाठी ने कहा कि पत्रकारों पर दबाव और हिंसा,उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यह लोकतंत्र पर सीधा प्रहार है।
 
सीएमओ डॉ० रश्मि वर्मा का कहना है कि निजी अस्पताल में प्रसव कराने वाली आशाओं की जांच शुरू कर दी गई है और जांच के लिए दो सदस्यीय टीम गठित की है,जिसमें एसीएमओ डॉ० एपी सिंह व डॉ० आदित्य वर्मा हैं। अब सवाल यह उठता है कि पहली बात तो यह की क्या जो प्राइवेट हॉस्पिटल बने हुए हैं क्या यह संवैधानिक व्यवस्था और कानून से हटकर हैं,वहां कोई पत्रकार या सामाजिक कार्यकर्ता नहीं जा सकते!
 
दूसरी बात अगर पत्रकार कोई मामला उठाता है तो उसको खुलेआम धमकी देकर उनकी आवाज को दबाया जाता है, उन पर भी पैसा लेने का छोटा सा आरोप लगा कर नियंत्रित कर खुलेआम भ्रष्टाचार का गंदा खेल खेला जाता है। बेहद शर्मनाक और भ्रष्टाचार के फलफूल रहे इस कारोबार का आलम यह है कि गोण्डा प्रशासन में वरिष्ठ पदों पर बैठे जिम्मेदार अधिकारी भी भ्रष्टाचार में शामिल होकर उनकी सुर लय ताल में व्यस्त हैं। 
 
और दूर दूर तक इनकी कोई कार्यवाही आपको नहीं दिखेगी? नेताओं की तो बात ही क्या करना पत्रकारों की आवाज को दबाने का सीधा सीधा संकेत गोण्डा की व्यवस्था जँगलराज में तब्दील होना है। कुछ तथाकथित पत्रकार अपनी कलम बेंच कर सुर में सुर मिला रहे हैं और वाहवाही बटोर रहे हैं।अगर ऐसा रहा वह दिन दूर नहीं जब पत्रकारिता सिर्फ फीता काटने वालों के फोटोग्राफर बन कर रह जायेंगे! यही नहीं गोण्डा की व्यवस्था चंबल के बीहड़ जैसी होती जा रही है। यहाँ कुछ अधिकारी, कर्मचारी कार्य कर रहे हैं पर वो दूर दूर तक नज़र नहीं आ रहे वो भी दबे कुचले से पड़े हैं! 
 
आखिर यह सब कुछ कब तक चलेगा कब जागेंगे मुख्यमंत्री जी कब लेंगें यहाँ का हिसाब? - महादेव मौर्य (स्वतंत्र कलमकार) 
 
यहाँ की जनता का कहना है कि हमें बाबा योगी आदित्यनाथ से ऐसी उम्मीद नहीं थी,उन्हें बड़ी उम्मीदों से लोगों ने चुना था जिनकी दूसरी बार सरकार है। लिख हम भी रहे धमकी हमें भी मिल सकती है। लेकिन मैं उन समाज द्रोहियों से कहना चाहता हूँ जो कुछ तथाकथित पत्रकारों को लॉलीपॉप देकर मठाधीशी कर रहे हैं। असली पत्रकार जिस दिन कलम उठाता है तो पिंडदान कर घर से निकलता है। इसलिए पत्रकार जायेगा तुम्हारी चोर बाजारी दिखाएगा।
 
पत्रकार आजादी दिला सकता है, सत्ता दिला सकता है तो सड़ी हुई व्यवस्था को भी उखाड़ कर फेंक भी सकता है। इस संपूर्ण मामले की जानबूझकर अनदेखी करते हुए जिम्मेदार आला अधिकारियों के मौन साधे रहने से उनकी बेलगाम कार्यशैली गंभीर सवालिया घेरे में है। अब देखना यह है शासन और उच्चाधिकारियों का हंटर इन पर कब चलता है?

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