सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले सिंचाई विभाग के कर्मचारियों को बचाने में लगे दिखाई पड़ रहे अधिशासी अभियंता सिंचाई
एक दर्जन से ज्यादा चतुर्थश्रेणी के कर्मचारी कबजाए हैं शारदा सहायक सिंचाई विभाग की सरकारी स्कूल जमीनों
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अरसे से एक ही जगह जमे सरकारी कर्मचारियों द्वारा किया गया अवैध कब्जा
स्वतंत्र प्रभात
लखीमपुर खीरी- एक तरफ प्रदेश के मुखिया सरकारी जमीनों से अवैध कब्जा हटवाने के लिए शुरुआत से प्रयासरत दिखाई पड़ रहे हैं लेकिन जनपद खीरी के शारदा नगर स्थित शारदा सहायक सिंचाई विभाग में कार्यरत दर्जनों चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अपनी सरकार के आदेशों और प्रयासों का खुलेआम मखौल उड़ा रहे हैं इन दर्जनों सरकारी कर्मियों द्वारा सिंचाई विभाग की काफी जमीन पर अवैध कब्जा करके खेती कराई जा रही है तथा काफी जमीनों पर पक्का अवैध निर्माण करके दुकान कारखाना आदि बना लिए जाने का मामला चर्चा का विषय बना है
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिंचाई विभाग की जमीन पर अवैध कब्जे विभाग के एक जिम्मेदार कर्मचारी के संरक्षण में किए गए इसके एवज में हर फसल के हिसाब से उन्हें चढ़ावा चढ़ाया जाता है इसलिए औपचारिकता कार्यवाही की का कोरम पूरा कर दिया जाता है लेकिन कोई भी कार्यवाही अमल में नहीं लाई जाती ऐसा आरोप है
लोगों का कि इन अवैध कब्जों की जानकारी एसडीओ जिलेदार अमीन व अधिशासी अभियंता को भी है फिर भी कोई कार्यवाही ना होने से सैकड़ों बीघा कृषि योग्य जमीन पर सिंचाई विभाग में कार्यरत सरकारी कर्मचारियों की गन्ने व गेहूं की फसलें खड़ी देखी जा सकती हैं और इन्हीं सब को देखकर आसपास के लोग भी उसी तर्ज पर शहर से सांठगांठ करके सरकारी जमीन पर कब्जा कर फसलें उगा रहे हैं मासिक मिलने वाला प्रसाद इनके आंख कान बंद किए हैं इनकी इसी नीति व नीयत के चलते जमीनों से अवैध कब्जा नहीं हट पा रहा है अवैध कब्जे के मामले में गौर करें तो सहारा जमुनिया मूलचंद पुरवा इंदई पुरवा सिरसी न कहिया धनीराम पुरवा आदि अन्य ग्रामों में रिक्त पड़े सिंचाई विभाग की जमीनों पर अवैध कब्जेदरों के विभिन्न फसलें लहलहा थी
देखी जा सकती हैं यदि इन सभी कर्मचारियों के विरुद्ध की गई होती विभागीय व अनुशासनात्मक कार्यवाही तथा इनका किया गया होता है स्थानांतरण तो शायद अब तक खाली कराई जा सकती थी जमीन लेकिन कई चहेते कर्मियों को बचाने के प्रयास में लगे जिम्मेदार अपने इन कर्मियों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं विभागीय उच्चाधिकारियों की इस पक्षपात पूर्ण एवं लचर कार्यवाही के चारों तरफ निंदा होती है वह जिम्मेदारों पर भ्रष्टाचार किए जाने के आरोप लगाए जा रहे हैं
ऐसे में मुख्यमंत्री के सरकारी जमीनों को अतिक्रमण मुक्त तथा अवैध कब्जा धारकों से जमीन मुक्त कराए जाने के लिए किए जा रहे प्रयास सफल होते दिखाई नहीं पड़ रहे हैं मुख्यमंत्री के यह आदेश लखीमपुर खीरी में सिर्फ छलावा ही साबित हो रहे हैं शायद शासन के आदेश विभाग में बैठे आला अफसरों के लिए कोई मायने नहीं रखते हैं
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