
मां की आखे कौआ फोड़ रहे बेटे खड़ा होकर देख रहे तमाशा
गोवंश के रक्षा की दुहाई देने वाले कहाँ गए गोरक्षक
मामले को दबाने के लिए ग्राम पंचायत सचिव के चमचे देना चाहे पत्रकार को रिश्वत
स्वतंत्र प्रभात
अम्बेडकरनगर। जिले के विकासखंड बसखारी के अंतर्गत अस्थाई गौशाला उमरापुर मीनापुर का है जहां पर हमारी टीम बहुत दिन बाद पहुंची और गंदगी का भरमार देखने को मिला। फिलहाल एक बार हम पीछे ले जाना चाहते हैं आपको बताना चाहते है इससे पहले यहां पर ग्राम पंचायत सचिव सुनील रंजन थे जिनके जमाने में गौशाला चमाचम रहता था। कहीं पर कोई गंदगी नहीं रहती थी। लेकिन ग्राम पंचायत सचिव के स्थानांतरण हो जाने से यहां पर गंदगी की भरमार फैला हुआ है।
हम जब यहां पर गये तो इतना गंदगी है कि वहां अंदर खड़ा होना दुश्वार है वहां के कर्मचारी खुद पर गमछा बांधकर घूम रहे हैं आखिर में क्यों ? क्योंकि यहाँ गंदगी का भरमार है अब आगे बताना चाहते यहाँ पर गोवंश मर रहे हैं मरना तो आम बात है लेकिन मरते समय ऐसी दुर्दशा किसी जीव का हो तो अत्यंत निंदनीय है गोवंश अर्थात गाय को लोग माता मानते हैं लेकिन माता की यह दुर्दशा देख कर आपके रोकटे खड़े हो जाएंगे।
आखिर कहा गयी योगी सरकार की गोवंश रक्षा करने वाले कर्मचारी
बताना चाहते हैं कि जो जानवर दो चार दिन पहले मरे हुए हैं और जमीन के अंदर गाड़़ने के बजाय केवल मिट्टी से ढका जा रहा है कि दूसरे दिन उसके अंग को कुत्ते या जानवर गोवंश के मास को नोच कर गायब कर दिए आखिर में कहा गये योगी सरकार के गोरक्षा कर्मचारी कहा गये भाजपा के नेता जो गोरक्षा की दुहाई देते फिरते हैं।अब बात करते हैं यहाँ पर जिंदा जानवर जो मरने के कंडीशन में है उसको तो कम से कम ढक देना चाहिए लेकिन उसके आख को कौआ नोच कर खा रहे हैं
जब इसकी सूचना वीडियो बसखारी को दी गयी तो तहसील दिवस की बात कर वहाँ पर आने से मना कर दिया जब पुनः फोन वार्ता ग्राम पंचायत सचिव से की गई तो वह ब्लॉक में रहते हुए भी वहा आने से मना कर दिए।जब मीडिया विकास खंड के आफिस में आकर ग्राम पंचायत सचिव से कुछ पूछना चाहा तो सचिव साहब जबाब न देकर अपने चमचो से पत्रकार को रिश्वत का लालच भी देने लगे। यहाँ तक कि जब गौशाला के आस पास ग्रामीणों से पूछा गया तो उन्होंने बताया यह समस्या एक साल से है। खंड विकास अधिकारी से मौखिक शिकायत करने पर नहीं सुनते और गंदगी इतना ज्यादा है गोवंश खाकर कुत्ते गाँव में आतंक मचाते हैं। बीडियो साहब को विकास खंड पर पहुचने के बाद पत्रकार से बात करने के लिए दो मिनट का समय नहीं है।
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