अवैध तरीके से जगह -जगह लकडी के ढेर का अतिक्रमण राहगीरो के लिये परेशानी का बना सबक 

नगर पंचायत सुबेहा स्थित पी डब्लू डी की सडक की पटरी को ही लकडी के कारोबारियो ने अपना गोदाम बना रखा

 अवैध तरीके से जगह -जगह लकडी के ढेर का अतिक्रमण राहगीरो के लिये परेशानी का बना सबक 

स्वतंत्र प्रभात 
 
 
हैदरगढ बाराबकी -पी डब्लू डी की सडक के पटरी पर अवैध तरीके से जगह -जगह लकडी के ढेर का अतिक्रमण राहगीरो के लिये परेशानी का सबक बना हुआ है आवागमन करने मे बाधा उत्तपन्न
 
 हो रही है तो ओवरटेकिंग के दौरान हादसा होने से भी इन्कार नही किया जा सकता है । इसके बावजूद भी प्रशाशनिक अधिकारी अन्जान बने हुए है कोई कार्य वाही नही की जा रही है ।
 
 
 
मामला सुबेहा थाना क्षेत्र का है जहां पर हैदरगढ से सुबेहा मार्ग नगर पंचायत सुबेहा स्थित पी डब्लू डी की सडक की पटरी को ही लकडी के कारोबारियो ने अपना गोदाम बना रखा है और अवैध तरीके से थेकी खोलकर और पेड़ो की कटान करने वाले
 
 
क्षेत्रीय ठेकेदारो से लकडी खरीद कर गैरजनपद लकडी भेजकर कारोबार किया जा रहा है कारोबरियो का आलम यह रहता है की उक्त खरीदी गयी लकडी को सडक की पटरी पर ही लगा दिया जाता है और यही से ट्रक की लोडिंग की जाती है ।
 
 
सडक पर लकडी के ढेर का अतिक्रमण लगा होने की वजह से राहगीरो को आवागमन करने मे काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है वही सडक पर बेतरतीब ढग से वाहन खड़ी कर देने से जाम की भी नौबत बनी रहती है इसके अलावा सडक की पटरी को क्षतिग्रस्त किया जा रहा है तो वही विजली के पोल को नुकसान पहुंचा रहे है
 
 
वही राहगीरो की माने कभी कभी सामने से बडा वाहन गुजरने से पटरी पर जगह न मिलने  से कई बार लोग बडी दुर्घटना का शिकार होने से बच गये । वही जब कोई इसका विरोध भी करता है तो उक्त कारोबारी कहते है की लकडी खरीदने व बेचने का सरकार से लाईसेंस ले रखा है बकायदा सरकार को इसका टैक्स दिया जा रहा है
 
 
 
ज्यादा बोलने पर उल्टा कार्यवाही होने का डर दिखाकर उसको चुप करा देते है वही जब कभी वन विभाग के अधिकारी से मामले पर बात की जाती है उक्त अधिकारी छूट प्रजाति की लकडी होने का हवाला देकर म कोई कार्यवाही न होने की  बात बतायी जाती है
 
 
अधिकारी के मुताबिक कारोबारी को लाईसेंस लेने के लिये खुद की जमीन होनी चाहिये सरकारी रोड की पटरी पर अतिक्रमण फैलाना गलत है पी डब्लू डी की रोड है इसलिये कार्यवाही का दायित्व समबंधित अधिकारी को ही बनता है
 
 
 
और उन्हे कार्यवाही करनी चाहिये ।हद तो तब हो जाती है जब प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि भी आये दिन सडक से गुजरते रहते है और उनकी नजर भी पड़ती है लेकिन अंजान बनकर अपने गतव्य को रवाना हो जाते है
 
 
और इसकी तरफ ध्यान देना मुनासिब नही समझा जाता यदि समय रहते हुए प्रशासनिक अधिकारियो ने इसकी ओर ध्यान नही दिया सडक दुर्घटना से भी इन्कार नही किया जा सकता है ।
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