पुलिस और सत्ता के संरक्षण में फिर शुरू हो गए अवैध टैक्सी स्टैंड

पुलिस और सत्ता के संरक्षण में फिर शुरू हो गए अवैध टैक्सी स्टैंड

 

सड़क पर जारी है डग्गामार वाहनों का अतिक्रमण, अवैध टैक्सी स्टैंड भी है संचालित


शहर की निगरानी करने वाली तीसरी आंख को हुआ मोतियाबिंद

अंबेडकरनगर।कानपुर में ट्रैक्टर ट्राली पलटने से 26 लोगों के मौत की घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। इसके बाद भी सड़क पर बिना लाइसेंस व फिटनेस के सवारी वाहन दौड़ लगा रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपील भी बेअसर साबित हो रही है। लगातार हो रहे हादसों के बाद भी जिम्मेदार विभाग सबक नहीं ले रहा है।मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी जिले में संचालित अवैध वाहन स्टैंड पर पुलिस और प्रशासन पूरी तरह शिकंजा नहीं कस पाया। सत्ताधारियों के संरक्षण में एक बार फिर से वसूली का खेल शुरू हो गया है। शहर से लेकर देहात तक अवैध रूप से संचालित स्टैंड में वाहनों से वसूली की जा रही है। जगह-जगह वाहन खड़े होने से लोगों को जाम से भी जूझना पड़ता है।प्रदेश में लगातार दूसरी बार सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 20 मई को आदेश दिया था कि 48 घंटे के अंदर सभी अवैध टैक्सी स्टैंड हट जाने चाहिए। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद एआरटीओ के साथ ही पुलिस ने अभियान चलाकर अवैध रूप से चल रहे टैक्सी स्टैंड खत्म कराए थे। अभियान के थमने के साथ ही एक बार फिर से जिले में अवैध टैक्सी स्टैंड शुरू हो गए हैं।

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शहरी क्षेत्र में रोडवेज बस अड्डे से लेकर पुरानी तहसील तक कई जगहों पर वाहन स्टैंड बने हुए हैं। स्टैंड पर ऑटो, ई-रिक्शा और डग्गामार वाहनों से वसूली अभियान शुरू हो गया है। नेताओं के संरक्षण में तमाम गाड़ियां सड़कों पर दौड़ रही हैं। कुछ नेताओं के गुर्गे भी वसूली में लगे हुए हैं।अब धड़ल्ले से टैक्सी स्टैंड में वसूली हो रही है।
शहर में कई जगह पर चल रहा वसूली का खेल,ड्राइवरों की मानें तो स्टैंड पर बाहन खड़ी करने के पश्चात भी ₹100 यातायात विभाग डेढ़ सौ रुपए कस्बा चौकी के गुर्गे वसूल करने जाते हैं यह सब बातें ऑटो चालकों द्वारा नाम न छापने की शर्त पर बताया सबसे बड़ी विडंबना यह है कि सुविधा शुल्क देने के पश्चात भी वाहनों का चालान कर दिया जाता है।इन स्थानों पर पुलिस पिकेट भी रहती है लेकिन वसूली करने वाले नहीं मान रहे।अवैध रूप से चलने वाली बसों पर भी एआरटीओ और पुलिस रोक नहीं लगा पाए हैं। अवैध टैक्सी स्टैंड को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त होने से प्रशासनिक अधिकारी भी कार्यवाही करने से कतरा रहे हैं। बस स्टैंड पर तहसील के सामने अवैध टैक्सी स्टैंड के वाहन भूसे की तरह सवारियां भरकर मुख्यालय से लखनऊ तक फर्राटा भर रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारी देखने के बावजूद आंख बंद किये बैठे हैं।प्रशासन के सारे निर्देश हवा हवाई साबित हो रहे हैं।

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चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस बातों में मस्त, जाम से जनता पस्त
यातायात विभाग का दावा है कि पब्लिक का सफर स्मूथ हो इसके लिए कई प्रयास जारी है। लेकिन, वास्तविकता यह है कि चौराहों पर सिपाही एक्टिव नहीं दिख रहे हैैं। जाम की स्थिति में भी यातायात सिपाही मोबाइल पर बातें करते हुए या गेम खेलते हुए दिखाई पड़ते हैं इनको जनता की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है। अधिकतर जगहों पर बातचीत में मशगूल रहे सिपाही को जाम लगने के बाद ही अपनी लापरवाही का अहसास हो रहा है।

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चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरा खराब, कैसे होगी निगहबानी
शहर की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए चौराहों पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरे अब केवल शो-पीस बन कर रह गए हैं। इसके लिए लगे यंत्र धूल फांक रहे हैं। इस पर किसी का ध्यान ही नहीं है। हालत यह है कि अगर इन चौराहों पर कोई बड़ी घटना हो जाए तो पुलिस को दुकानों में लगे सीसीटीवी कैमरों का सहारा लेना पड़ेगा।नगर के महत्वपूर्ण चौराहों पर पुलिस विभाग द्वारा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। चौराहों की गतिविधियों पर पुलिस नजर रखती थी। इसका लाभ भी पुलिस को कई बार मिला है। चौराहों पर जाम लगने पर तत्काल चौकी से जवान पहुंच जाते थे। आने-जाने वाले वाहनों भी पुलिस की नजर रहती थी। धीरे-धीरे चौराहे पर लगे सीसीटीवी कैमरे खराब हो गए। इसके चलते चौकियों पर लगे स्क्रीन भी बेकार पड़े हुए हैं। वहीं चौराहों पर होने वाली गतिविधियों से भी पुलिस अब अवगत नहीं हो पा रही है। लाखों की लागत से सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे. जो अब बेकार हो गए हैं. लाखों रुपये के कैमरे यूं ही बर्बाद कर दिए गए.।

नगर निगम इस मुद्दे पर फेल साबित हुई है. सीसीटीवी कैमरा को इस युग में बड़ी ताकत माना जाता है, लेकिन शहर का दुर्भाग्य है कि इसका कंट्रोल रूम ही कबाड़ में तब्दील हो गया है।लंबे समय से खराब इन सीसीटीवी को लगता है कि अब पुलिस का जरूरत ही नहीं है। ऐसे में इनके बंद होने से चौराहों की निगरानी पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।देखना ये है कि जिला प्रशासन और जिम्मेदार इतनी बड़ी लापरवाही पर कब तक अपनी प्रतिक्रिया देते हैं।

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