क्या सोशल ऑडिट से रुकेगा मनरेगा का भ्रष्टाचार
इसलिए लोगों को लगता है कि सोशल ऑडिट महज औपचारिकता हो गई है।
स्वतंत्र प्रभात
माधौगढ़- मनरेगा के विकास कार्यों में भ्रष्टाचार रोकने के लिए सोशल ऑडिट का प्रावधान है। टीम के द्वारा रोस्टर के हिसाब से प्रत्येक गांव में सोशल ऑडिट किया जाता है लेकिन आज तक मनरेगा के कार्य में किसी के ऊपर भी कार्रवाई नहीं हुई। जबकि हकीकत में मनरेगा के तहत सिर्फ कागजों में काम होता है। इसलिए लोगों को लगता है कि सोशल ऑडिट महज औपचारिकता हो गई है।
माधौगढ़ ब्लॉक के सोप्ता गांव में मनरेगा के तहत तमाम कार्य फर्जी हुए,जिनकी कई बार शिकायतें भी हुई लेकिन करवाई कुछ नहीं हुई। सोप्ता पुलिया से सिहारी डामर रोड तक चकबंध का निर्माण हुआ 1 दिन का काम हुआ और एक लाख दस हजार का भुगतान हो गया। वही सबसे बड़ा घोटाला रज्जू के खेत से सिहारी नाला तक जिसमें 1,18,932 का पेमेंट हुआ। जबकि इसी नाला पर नहर विभाग ने 6 महीने पहले सफाई करा कर उसका भुगतान कराया था।
लेकिन उसी काम को ग्राम सभा ने मनरेगा से दिखाकर फर्जी पेमेंट करा लिया। ऐसे सैकड़ों काम ब्लॉक में है जो सिर्फ कागजों में है या उनमें नाम मात्र के लिए मशीनों और ट्रैक्टरों से काम कराए गए और भुगतान करा लिया गया। मजदूरों का आलम तो यह है कि 10 किलोमीटर दूर से फर्जी कामों में मजदूर भरे गए। इससे स्पष्ट होता है कि मनरेगा में ज्यादातर काम फर्जी तरीके से दिखाए जाते हैं।
अगर ठीक से जांच हो जाए तो पंचायत मित्र से लेकर एपीओ तक फंस सकते हैं। तमाम ग्राम पंचायतों में शपथ लेने के बाद से ही 20 लाख से ज्यादा के कच्चे काम दिखा दिए गए। जिसकी शिकायत भाजपा नेता दिलीप प्रजापति ने की है।
18 अक्टूबर से 8 दिसंबर तक ब्लॉक की 57 ग्राम पंचायतों में ऑडिट होगा। खुली मीटिंग के माध्यम से ग्रामीणों के सामने मनरेगा के विकास कार्यों का लेखा-जोखा रखा जाएगा। देखते हैं किस पर कितनी कार्रवाई होती है?
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