aaj ki kavita
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Read More... कविता-हवा में खुशबू बन जाऊंगा मैं
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By Swatantra Prabhat Desk
संजीव-नी।। हवा में खुशबू बन जाऊंगा मैं ll तेरी पलकों में समाँ जाऊंगा मैं। तेरे स्वप्न में आज आ जाऊंगा मैं। महकती बयार बन जाएगी तू, तेरी सांसों में समा जाऊंगा मैं।। . महलों की अजीम शान है तू। तेरे... कविता-कब तक रहोगे हमेशा बेखबर से।
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By Swatantra Prabhat Desk
संजीव-नी। कब तक रहोगे हमेशा बेखबर से। यहां गिरा हर कोई शाखे सिफर से मैं वाकिफ हूं गुमनामी के कहर से। मोहब्बत का इजहार जोर से कीजै ये इशारा किया है किसी ने उधर से। मिला जब न दीदार का... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
एक दिया इधर भी। एक दिया छत की मुंडेर पर जला आना, जहां साया होता है गहन तमस का। एक दिया उस बूढ़ी मां के कमरे के आले पर जला आना, जहां बेटे,बहू ,नाती,नातीने जाने से कतराते हों। एक दिया... संजीव-नी।
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By Office Desk Lucknow
इतनी बे-असर दुआएं क्यों हैं। ? इतनी खामोश हवाएं क्यों है, इतनी गमगीन फिजाएं क्यों है। बीमार ए-दिल में बे-असर दवाएं अब इतनी बे-असर दुआएं क्यों हैं। दर्द हमारा तो ला- इलाज है, बे-असर इतनी दवाएं क्यों हैं । नजरें... संजीव-नी।।
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By Office Desk Lucknow
संजीव-नी।। आनंद तो जीवन में चलते जाना ही हैंl मुझे फेके गए पत्थर अपार मिले, फक्तियाँ,ताने बन कर हार मिले। शौक रखता हूं सब के साथ चलने का, कही ठोकरे,कही जम कर प्यार मिले। जीवन बीता आपा-धापी में ही यारों,... सामना
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By Office Desk Lucknow
सामना रुख पहाड़ों की तरफ कियातो समझ आयाजन्नत इस धरा पर भी है। रुख बादलों की तरफ कियातो समझ आयाबदमाशी इनमें भी है। रुख बहती नदी की तरफ कियातो समझ आयाजीवन का बहाव इनमें... परछाई में तेरी रंग मिलाता हूं, -संजीव-नी
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By Swatantra Prabhat UP
परछाई में तेरी रंग मिलाता हूं, परछाई में तेरी रंग मिलाता हूं, तश्वीर में लहु का रंग मिलाता हूं ।। जिंदगी से तिरी तो गुजर ही गया , पर सांसों में तुझे हर पल पाता हूं । तस्वीरों पर तेरी... 