
गरीबों के राशन में सेंधमारी, विपणन अधिकारी की मिलीभगत से लाखों रुपये का राशन बोरियों से हो रहा चोरी
जिले के सरकारी अनाज के गोदामों में घटतौली का ऐसा खेल खेला जा रहा है कि ऊपर की कुर्सी पर बैठे जिम्मेदार आकाओं को भी यह खेल समझ में नही आ रहा है। गोदाम द्वारा सरकारी गल्ले की दुकान पर दी जाने वाली राशन की बोरियों में कम तौल के चलते कोटेदार और लाभार्थी दोनों ही परेशान हैं ।
बस्ती। जिले के सरकारी अनाज के गोदामों में घटतौली का ऐसा खेल खेला जा रहा है कि ऊपर की कुर्सी पर बैठे जिम्मेदार आकाओं को भी यह खेल समझ में नही आ रहा है। गोदाम द्वारा सरकारी गल्ले की दुकान पर दी जाने वाली राशन की बोरियों में कम तौल के चलते कोटेदार और लाभार्थी दोनों ही परेशान हैं । घटतौली और कम यूनिट पर अनाज मिलने की मिल रही सूचना के आधार पर इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि गोदाम द्वारा राशन की बोरियों में सेंधमारी की जाती है इसलिए इस घाटे को पूरा करने के लिए उपभोक्ता को बांटे जा रहे राशन में खेल होता है। जबकि सच यह है कि लाभार्थी तक पूरा राशन पहुंचाने के लिए जरूरी है कि कोटेदारों को भी पूरा राशन मिले और उनकी दुकान तक राशन भी पहुंचे, लेकिन जिले में ऐसा नहीं हो रहा है। कोटेदार अपने घाटा को पूरा करने के लिए लाभार्थियों के हिस्से का अनाज डकार रहे हैं । 1 दर्जन कोटे की दुकान पर पहुंच कर कोटेदारों से बात चीत की गई गई जिसमें कोटेदारों ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि वह लोग असनहरा स्थिति गोदाम से अनाज उठाते हैं । कोटेदारों ने बताया कि एक बोरी में उन्हें साढ़े 51 किलो ग्राम चावल या गेहूं का उठान दिया जाता है लेकिन उन्हें 45 से 46 किलो राशन ही मिलता है ।
कोटेदारों से बात चीत करने पर जानकारी मिली कि गोदाम पर राशन तौल कर मिलना चाहिए लेकिन गोदाम प्रभारी द्वारा बोरी के हिसाब से राशन दिया जाता है ,जब राशन को तौल करने की बात कही जाती है कि तो इनकार कर दिया जाता है । कोटेदारों ने बताया कि प्रति 100 बोरी में 4 से 5 क्विंटल राशन कम हो जाता है जिसके चलते उन्हें कार्ड धारकों के साथ घटतौली या निर्धारित दाम से ज्यादा पर राशन देने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
कोटेदारों ने अपनी पीड़ा को साझा करते हुए बताया कि 70 पैसा प्रति किलोग्राम से उन्हें कमीशन मिलता है इसके अलावा न तो किराया मिलता है और न ही राशन को लादने और उतरवाने का खर्चा । कोटेदारों ने बताया कि राशन ढोने के लिए किराए की व्यवस्था उन्हें ही करना पड़ता है।
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