भाजपा को सपा और कांग्रेस का अपराधिक दाग दिखता है अपना नहीं

भाजपा को सपा और कांग्रेस का अपराधिक दाग दिखता है अपना नहीं

यूपी चुनाव में हिन्दू–मुस्लिम के कार्ड के बीच भाजपा यूपी को अपराधमुक्त करने का दावा कर रही है और यूपी सरकार के ठोक दो की नीति को प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और योगी आदित्यनाथ लगातार अपनी सभाओं और वर्चुअल रैलियों में दोहरा रहे हैं


प्रयागराज ब्यूरो। यूपी चुनाव में हिन्दू–मुस्लिम के कार्ड के बीच भाजपा यूपी को अपराधमुक्त करने का दावा कर रही है और यूपी सरकार के ठोक दो की नीति को प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और योगी आदित्यनाथ लगातार अपनी सभाओं और वर्चुअल रैलियों में दोहरा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो धमकी देने पर उतर आये हैं और यहां तक कह रहे हैं कि 5 साल तक जो अपने बिलों में छुपे रहे हैं वो चुनाव आते ही अपनी गर्मी दिखाने लगे हैं। 10 मार्च के बाद इनकी गर्मी 24 घंटे में शांत होगी। लेकिन यूपी को अपराधमुक्त करने के दावे का एक और ढोंग सामने आ गया है। चुनाव सुधार के लिए काम करने वाला संगठन एडीआर यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के आंकड़े तो कुछ और ही कह रहे हैं। इसके अनुसार पहले चरण के चुनाव में सबसे ज़्यादा भाजपा के उम्मीदवार दागी हैं। लाख टके का सवाल यह है कि क्या दागी यानी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को उम्मीदवार बनाने वाले दल राज्य को अपराधमुक्त कर पाएँगे?

शुद्ध शीतल जल से गला तर करेंगे प्यासे लोग-सुधा Read More शुद्ध शीतल जल से गला तर करेंगे प्यासे लोग-सुधा

अपराधियों के खिलाफ अभियान में जुटी कमिश्नरेट पुलिस, जारी गिरफ्तारियां Read More अपराधियों के खिलाफ अभियान में जुटी कमिश्नरेट पुलिस, जारी गिरफ्तारियां

○एडीआर यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के अनुसार यूपी में पहले चरण के चुनाव में 615 उम्मीदवारों में से 156 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसका मतलब है कि 25 फ़ीसदी ऐसे उम्मीदवार हैं जिनका कोई न कोई आपराधिक रिकॉर्ड है। इनमें से 121 उम्मीदवारों पर तो गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यानी क़रीब 20 फ़ीसदी उम्मीदवार ऐसे हैं।

○पहले चरण में सबसे अधिक आपराधिक छवि वाले उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस है जबकि तीसरे नंबर पर बहुजन समाज पार्टी और चौथे नंबर पर राष्ट्रीय लोक दल है। इसी तरह करोड़पति उम्मीदवारों की सूची में भी भाजपा पहले नंबर पर है। बुधवार को एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स इलेक्शन वॉच ने उम्मीदवारों के हलफनामे का विश्लेषण कर रिपोर्ट जारी की।

 ऑनलाइन हाजिरी के खिलाफ ग्राम सचिवों का खुला मोर्चा, डोंगल जमा कर सौंपा ज्ञापन, कार्य बहिष्कार का ऐलान Read More  ऑनलाइन हाजिरी के खिलाफ ग्राम सचिवों का खुला मोर्चा, डोंगल जमा कर सौंपा ज्ञापन, कार्य बहिष्कार का ऐलान

○एडीआर के कोआर्डिनेटर अनिल शर्मा ने रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि पहले चरण में 623 प्रत्याशी मैदान में हैं। इसमें से 615 प्रत्याशियों के हलफनामे का विश्लेषण किया गया है। इसमें एक चौथाई यानी 156 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। 156 में से 121 ऐसे हैं जिन पर गंभीर अपराधिक मामले दर्ज हैं। पहले चरण में 58 सीटों पर चुनाव होना है। इस चरण के लिए प्रत्याशियों द्वारा दाखिल किए गए हलफनामे के मुताबिक भाजपा के 57 प्रत्याशियों में से 29 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। जबकि सपा के 28 में से 21 पर रालोद के 29 में से 17 प्रत्याशी आपराधिक छवि के हैं।

○कांग्रेस के 58 में 21 प्रत्याशी, बसपा के 56 में 19 प्रत्याशी और आम आदमी पार्टी के 52 में से 8 प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। संख्या की बात करें तो सबसे अधिक 32 मुकदमे मेरठ की हस्तिनापुर सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार योगेश वर्मा पर हैं। इसमें 71 धाराएं गंभीर अपराध की हैं। इसमें हत्या के प्रयास की धाराएं भी शामिल हैं।

○एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, पहले चरण में 280 प्रत्याशी करोड़पति हैं। सबसे अधिक करोड़पति उम्मीदवारों के मामले में भी बीजेपी अव्वल है। बीजेपी के 57 में से 55 प्रत्याशियों ने अपनी संपत्ति एक करोड़ या इससे अधिक बतायी है। बसपा के 50, कांग्रेस के 32, सपा के 23 उम्मीदवार और आरएलडी के 28 उम्मीदवार करोड़पति हैं। 

○पहले चरण में कुल 74 महिला उम्मीदवार मैदान में हैं। इसमें कांग्रेस ने सबसे अधिक 16 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। जबकि भाजपा और आम आदमी पार्टी ने सात-सात महिलाओं को पत्याशी बनाया है। बसपा ने चार, सपा और रालोद ने दो-दो महिला प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं।

○पहले चरण में आधे से अधिक उम्मीदवार 50 साल से कम उम्र के हैं। इसमें 25 से 30 साल की उम्र के 61, 31 से 40 साल उम्र के 153 और 41 से 50 साल की उम्र के 189 उम्मीदवार हैं। 51 से 60 साल उम्र के 139, 61 से 70 साल उम्र के 68 और इससे अधिक उम्र के 5 प्रत्याशी मैदान में हैं।

○सबसे ज़्यादा भाजपा के उम्मीदवारों पर आपराधिक रिकॉर्ड के मामले तब आए हैं जब भाजपा यूपी के चुनाव में विपक्षी दल समाजवादी पार्टी पर अपराध को लेकर निशाना साध रही है। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनावी भाषणों में बार-बार पाँच साल पहले की सरकार की याद दिला रहे हैं और उसे गुंडों की सरकार के तौर पर पेश कर रहे हैं। देश के गृहमंत्री अमित शाह भी कह रहे हैं कि यूपी में पाँच साल पहले तक गुंडों की चलती थी, लेकिन अब रात में भी महिलाएँ बेखौफ होकर बाहर निकल सकती हैं। भाजपा दावा कर रही है कि राज्य में वह एक ईमानदार सरकार ला सकती है। जबकि हकीकत यह है कि पिछले चुनाव में भी भाजपा के सौ से अधिक दागी प्रत्याशी विधायक बने थे।

○माननीय के खिलाफ करीब 5000 आपराधिक मामले पेंडिंग

○यूपी, पंजाब सहित पांच राज्यों में चुनावी हलचल के बीच सांसदों और विधायकों पर दर्ज आपराधिक मामलों का जो आंकड़ा सामने आया है, वह काफी चौंकाने वाला है। सुप्रीम कोर्ट को गुरुवार को बताया गया कि सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ कुल 4,984 मामले लंबित हैं, जिनमें 1,899 मामले पांच वर्ष से अधिक पुराने हैं। न्यायमित्र नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में उच्चतम न्यायालय को बताया कि दिसंबर 2018 तक कुल लंबित मामले 4,110 थे और अक्टूबर 2020 तक ये 4,859 थे।

○अधिवक्ता स्नेहा कलिता के माध्यम से दाखिल रिपोर्ट में कहा गया है, ‘चार दिसंबर 2018 के बाद 2,775 मामलों के निस्तारण के बावजूद सांसदों/विधायकों के खिलाफ मामले 4,122 से बढ़ कर 4984 हो गये। इससे प्रदर्शित होता है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले अधिक से अधिक लोग संसद और राज्य विधानसभाओं में पहुंच रहे है।

○रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व और मौजूदा संसद सदस्यों (सांसदों) और विधानसभा सदस्यों (विधायकों) के खिलाफ कुल 4,984 आपराधिक मामले देश भर के विभिन्न सत्र और मजिस्ट्रेट अदालतों में सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं। यह पिछले तीन वर्षों में 862 ऐसे मामलों की वृद्धि दर्शाता है जो दिसंबर 2018 में 4,122 से बढ़कर दिसंबर 2021 में 4,984 हो गया है। न्यायालय द्वारा कई निर्देशों और निरंतर निगरानी के बावजूद, 4,984 मामले लंबित हैं, जिनमें से 1,899 मामले 5 वर्ष से अधिक पुराने हैं। दिसंबर, 2018 तक लंबित मामलों की कुल संख्या 4,110 थी; और अक्टूबर 2020 तक 4,859 थे। 4 दिसंबर 2018 के बाद 2,775 मामलों के निपटारे के बाद भी सांसदों/विधायकों के खिलाफ मामले 4,122 से बढ़कर 4,984 हो गए हैं।

Tags:

About The Author

स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel