सीएमपी डिग्री कालेज के असिस्टेंट प्रोफेसर मदन यादव गिरफ्तार

सीएमपी डिग्री कालेज के असिस्टेंट प्रोफेसर मदन यादव गिरफ्तार

सीएमपी डिग्री कालेज के असिस्टेंट प्रोफेसर मदन यादव गिरफ्तार


   
 


स्वतंत्र प्रभात प्रयागराज ब्यूरो।


सीएमपी डिग्री कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर मदन यादव को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।उससे पूछताछ चल रही है। आरोपी मूल रूप से गाजीपुर का रहने वाला है। वह काफी दिनों से फरार चल रहा था। मदन यादव के खिलाफ दो साल पूर्व एक प्रतियोगी छात्रा ने कर्नलगंज थाने में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। उस मुकदमे में पुलिस ने आरोपी मदन यादव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जेल से निकलने के बाद वह पीड़िता और उसके परिवार वालों को परेशान करने लगा। इसी बीच इस मामले में नया-नया तथ्य सामने आने लगा।

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पीड़िता का आरोप है कि मदन यादव ने हंडिया इंस्पेक्टर बृजेश यादव व अन्य पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर उसके मुकदमे में गवाह को फर्जी तरीके से जेल भिजवाया और उसे परेशान किया। इसको लेकर प्रतियोगी छात्रा की तहरीर पर कुछ दिन जार्जटाउन थाने में मदन यादव, बृजेश यादव व अन्य के खिलाफ एससी एसटी एक्ट समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। इसी मुकदमे में मदन यादव फरार था, जिसकी गिरफ्तारी की गई है। इससे पहले गवाह को फर्जी ढंग से जेल भेजने और पीड़िता के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के मामले में आठ पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था।

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कर्नलगंज निवासी दुष्कर्म पीड़िता ने सीएमपी डिग्री कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर मदन यादव व चार अज्ञात पर इसी साल 29 सितंबर को मारपीट, धमकी देने समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज कराया था। ।

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वहां निलंबित इंस्पेक्टर-दरोगा व असिस्टेंट प्रोफेसर पर कुल 14 धाराओं में केस दर्ज किया गया है। इनमें लोकसेवक का किसी व्यक्ति को क्षति पहुंचाने के आशय से कानून का उल्लंघन करना, लोकसेवक का क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचना, लोकसेवक द्वारा किसी व्यक्ति को दंड से या किसी संपत्ति के समपहरण से बचाने के आशय से विधि के निर्देश की अवज्ञा करना, किसी व्यक्ति को दंड या किसी सपंत्ति की समपहरण से बचाने के आशय से लोकसेवक द्वारा अशुद्ध अभिलेख या लेख की रचना करना, किसी व्यक्ति को गलत तरीके से प्रतिबंधित करना समेत अन्य धाराएं शामिल हैं। जिनमें आपराधिक षड्यंत्र और एससी-एसटी एक्ट भी शामिल है।

पीड़िता की ओर से पुलिस को दी गई शिकायत में बताया गया है कि उसके मुकदमे का आरोपी मदन यादव व निलंबित इंस्पेक्टर बृजेश सिंह दोनों गाजीपुर के करीमुद्दीनपुर गांव के रहने वाले हैं। इसी के तहत दोनों ने मिलकर यह साजिश रची, जिसमें अपने अन्य सहयोगियों को भी शामिल कर लिया। इसके साथ ही दबाव बनाने के लिए उसके गवाह को फर्जी तरीके से जेल भेजा और उस पर फर्जी केस भी दर्ज कराए।

गौरतलब है कि इस मामले में कुल आठ पुलिसकर्मी निलंबित किए जा चुके हैं। इनमें पूर्व सर्विलांस प्रभारी संजय सिंह यादव, इंस्पेक्टर शिशुपाल शर्मा, एसआई महेश चंद्र निषाद, हेड कांस्टेबल पन्नालाल यादव, अजय यादव व कांस्टेबल केके यादव भी शामिल हैं। विवेचना निष्पक्ष ढंग से हुई तो साजिशकर्ताओं के रूप में इन पुलिसकर्मियों का नाम आना लगभग तय है।

इस प्रकरण में पुलिस के आला अफसरों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। बड़ा सवाल यह है कि विवेचना में खेल होता रहा तो पर्यवेक्षण अफसरों को इसकी जानकारी कैसे नहीं हो सकी। फूलपुर में अगर विवेचना के दौरान मामला फर्जी पाया गया तो फिर फर्जी मुकदमा दर्ज कराने वाले पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। हंडिया में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद 169 की रिपोर्ट भेजकर फर्जी तरीके से जेल भेजे गए गवाह को रिहा कराया गया, तो उसी समय इस फर्जीवाड़े का संज्ञान लेकर दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई।

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