बिना भक्ति के जीव का कल्याण नही हो सकता- गायत्री नारायण महराज।
संतोष तिवारी (रिपोर्टर )
भदोही।
गोपीगंज क्षेत्र के बिहरोजपुर गांव में आयोजित श्री दुर्गा शतचण्डी महायज्ञ के सातवें दिन आयोजित प्रवचन में वृंदावन से आये भागवत मर्मज्ञ पंडित गायत्री नारायण जी महराज ने कहा कि जो भगवान को उनके भक्तों से दूर करता है वह भगवान के कृपा का पात्र नही होता। इसलिए भगवान को और उनकै भक्तों को दूर नही करना चाहिए।
कहा कि वैसे तो बहुत भक्त हुए लेकिन तुलसीदास भक्त रूपी माला में सुमेरू है। भक्ति का सही मार्गदर्शन सद्गुरू बिना नही हो सकता है और बिना सद्गुरू के मोक्ष संभव ही नही है। जहां पर जीव का संबंध भगवान से होता है भक्ति और मोक्ष और सुलभ हो जाता है। महराज ने महिलाओं के बारे में बताया कि पति कितना भी निष्ठुर हो लेकिन पति की सेवा ही स्त्रियों का परम धर्म है।
जो स्त्री पति की सेवा करती है वह मोक्ष और पुण्य को प्राप्त होती है। और पति का अपमान करती है उसे नरक जाना पडता है। कहा कि भक्ति और मोक्ष के लिए आतुर जीव को कभी भी अभिमान नही करना चाहिए। क्योकि अभिमान भगवान का आहार होता है और अभिमान हो जाने पर भगवान की कृपा मिलना असंभव हो जाता है।
जीव का बिना भक्ति के कल्याण नही हो सकता। भगवान की कथा सुनने मात्र से जीव का पाप रूपी कलुष नष्ट हो जाता है। जीवात्मा और परमात्मा के मिलन को महारास है। बताया कि भक्ति में नाचने, गाने और रोने से भक्ति प्रगाढ होती है। ऋषियों ने गाया, मीरा ने नाचा और गोपिकाओं ने रोकर भगवान की प्राप्ति की।
प्रकृति का अलग ही नियम है कि क्योकि जब प्रकृति कुछ देती है तो कुछ ले भी लेती है। क्रोध और प्रेम एक साथ रहना असंभव है। इसीलिए भक्ति और मोक्ष के लिए क्रोध सर्वथा त्याज्य है। प्रेम भी भक्ति की प्राप्ति का एक सरल मार्ग है। जो अपने माता-पिता, वृद्ध, असहाय, अबोध बालक और आश्रित का सेवा नही करता वह पाप का भागी होता है।
और मरने के बाद उस जीव को उसी का मांस दिया जाता है। इसलिए पुण्य कार्य करते हुए भक्ति करना और मोक्ष प्राप्त करना सरल है। इस मौके पर गोपाल मिश्र, रमापति मिश्र, वंश नारायण दुबे, तूफानी तिवारी, मुन्नू मिश्र, रामनिहोर मिश्र, लालमणि पाण्डेय समेत काफी लोग मौजूद रहे।