ग्रामीण क्षेत्रों में ‘स्वामित्व योजना’ होगी काफी मददगार।

ग्रामीण क्षेत्रों में ‘स्वामित्व योजना’ होगी काफी मददगार। संतोष तिवारी( रिपोर्टर ) जिस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘डिजीटल इंडिया’ का नारा दिया और उसी राह पर चलते हुए कई योजनाओं को डिजीटल करने का कार्य हुआ और निरंतर उसमें प्रगति भी हो रही है। जो कही न कही भारत के लोगो के लिए काफी

ग्रामीण क्षेत्रों में ‘स्वामित्व योजना’ होगी काफी मददगार।

संतोष तिवारी( रिपोर्टर )

जिस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘डिजीटल इंडिया’ का नारा दिया और उसी राह पर चलते हुए कई योजनाओं को डिजीटल करने का कार्य हुआ और निरंतर उसमें प्रगति भी हो रही है। जो कही न कही भारत के लोगो के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है।

और इसी डिजीटल इंडिया के बदौलत ही एक पढा लिखा आदमी से लेकर सामान्य आदमी तक इसका फायदा उठा रहा है। तथा इसके वजह से विवादों में कमी और कार्यों में पारदर्शिता देखने को मिल रही है।

इसी क्रम में 11 अक्टूबर 2020 को भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक ऐसी योजना की शुरुआत की जो सच में ग्रामीण क्षेत्र के लोगो के लिए किसी भी ‘वरदान’ से कम नही है। सरकार की ‘स्वामित्व योजना’ के पूर्ण रूप से लागू हो जाने पर ग्रामीण क्षेत्र के भारी मात्रा में हो रहे स्वामित्व के विवाद से छुटकारा मिलेगा।

और लोग अपने अपने जगह पर बिंदास रह सकते है और किसी का कोई डर भी नही कि कोई किसी के मकान को कब्जा कर लेगा। सरकार की यह योजना सच में लोगों के लिए किसी वरदान से कम नही है। हालांकि शुरुआत तो अभी एक लाख लोगों से हुई लेकिन आगामी चार वर्ष में इसकी संख्या बढाकर 6 लाख से अधिक करने की योजना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर को ‘स्वामित्व योजना’ के तहत एक लाख प्रॉपर्टी मालिकों को प्रॉपर्टी कार्ड बांटकर योजना का शुभारम्भ किये। ग्रामीण इलाकों मे मौजूद घरों के मालिकों के मालिकाना हक का एक रिकॉर्ड रखने वाली इस योजना के तहत प्रॉपर्टी से जुड़े विवादों और सटीक भूमि रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है।

योजना का मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में घरों के मालिकों को अधिकार संबंधी रिकॉर्ड से संबद्ध संपत्ति कार्ड उपलब्ध कराना है। यह योजना गांव में रहने वाले लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में बहुत मददगार साबित हो सकती है। सरकार ने इस योजना के तहत गांवों के लोगों की आवासीय संपत्ति के अभिलेख में पूरा ब्योरा दर्ज करने की व्यवस्था की है।

रिकॉर्ड तैयार होन के बाद ग्रामीण इलाकों की संपत्तियों से जुड़ी फिजिकल कॉपी प्रॉपर्टी मालिकों को दी जाएंगी। राजस्व विभाग के स्थानीय प्रतिनिधि और अन्य संबद्ध विभागों के प्रतिनिधि लोगों के संपत्ति से जुड़े रिकॉर्ड तैयार करेंगे। खास बात यह है कि इस योजना के जरिए जमीन से जुड़े विवादों से निपटारे में आसानी होगी।

इस योजना के तहत चार साल में यानि अप्रैल 2020 से मार्च 2024 तक 6.20 लाख गांवों को कवर किया जाएगा। सटीक भूमि रिकॉर्ड से संपत्ति संबंधी विवादों को कम करने और वित्तीय तरलता को बढ़ावा मिलेगा। योजना और राजस्व संग्रह को सुव्यवस्थित और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रॉपर्टी राइट्स पर स्पष्टता सुनिश्चित की जाएगी।

देशभर में लगभग 300 नियमित प्रचालन प्रणाली स्टेशन की स्थापना होगी। ड्रोन तकनीक और नियमित प्रचालन प्रणाली स्टेशन के द्वारा आवासीय भूमि की पैमाइश की जाएगी। इस योजना को लाने की वजह है कि हमारे देश की लगभग 60 फीसदी गांवों और कस्बों में रहती है।

पुरानी व्यवस्था के तहत ज्यादात्तर ग्रामीणों के पास अपने जमीन के मालिकाना हक के दस्तावेज नहीं है। वक्त बितता गया लेकिन पुरानी व्यवस्था के चलते मालिकाना हक से जुड़े कागज कभी बन न सके हालांकि गांवों की खेतिहर जमीन का रिकॉर्ड तो रखा गया लेकिन घरों पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया। सरकार ‘स्वामित्व’ योजना से इसी कमी को दूर करना चाहती है।

इस योजना का ऐलान पीएम मोदी ने लॉकडाउन के दौरान किया था। इस योजना को लागू हो जाने पर अवैध भू माफिया या दबंग व मनबढ लोगों का खेल खत्म हो जायेगा। और एक सामान्य आदमी और उसका परिवार अपनी सम्पत्ति का स्वामित्व बरकरार रख पायेगा क्योकि जो भी इस योजना के अन्तर्गत चिन्हित हो जायेगा। उसके लिए तो यह किसी वरदान से कम नही है क्योकि यह योजना क्रमानुसार पीढी दर पीढ़ी स्वामित्व को बताने में सहायक होगी।

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