समाजसेवी शरद यादव ने पीड़ित मानवता की सेवा का बीड़ा उठाया

ब्यूरो रिपोर्ट – विवेक पाण्डेयटांडा, अम्बेडकरनगर। कुछ लोग जहां महज एक बेटी के हाथ पीले करने में ही टूट जाते हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं। जो तमाम बेटियों की शादी का बोझ हंसते हुए उठाते हैं। ऐसे लोगों को समाज भगीरथ जैसे अलंकरण से अलंकृत करता है। समाज हित में ऐसी सार्थक सोच

ब्यूरो रिपोर्ट – विवेक पाण्डेय
टांडा, अम्बेडकरनगर। कुछ लोग जहां महज एक बेटी के हाथ पीले करने में ही टूट जाते हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं। जो तमाम बेटियों की शादी का बोझ हंसते हुए उठाते हैं। ऐसे लोगों को समाज भगीरथ जैसे अलंकरण से अलंकृत करता है। समाज हित में ऐसी सार्थक सोच वालों के अंगदी पांव में रावणी बाधाएं नत.मस्तक हो जाती हैं।
ऐसी ही एक सार्थक सोच लेकर निकले शरद यादव ने सामूहिक विवाह का वह खाका तैयार किया है। जिसके तहत पूरे इक्कीस गरीब बेटियों की शादी राजे रजवाड़ों की भांति आयोजित समारोह में की जाएगी। अप्रैल में होने वाले इस सामूहिक विवाह समारोह में प्रत्येक दूल्हे को एक एक शानदार रथ पर और दुल्हनों को अलग-अलग डोली में बिठाकर विवाह स्थल तक ले जाया जाएगा। तमाम हाथी और घोड़े शानदार वैवाहिक समारोह की जीनत बनेंगे। इसके लिए शरद यादव के नेतृत्व में प्रभावती कैलाश चैरिटेबल ट्रस्ट के कार्यकर्ता पूरी शिद्दत से जुटे हुए हैं। शरद का मानना है कि सामुहिक विवाह महज आयोजन भर नहीं हैं अपितु इसके प्रभाव समाज हित में बड़े दूरगामी हैं। किसी कमजोर, जरूरतमंद या असहाय परिवार की कन्या का विवाह करानें से बढ़कर कोई अन्य पुनीत कार्य नहीं है। जिले के युवा समाजसेवी शरद यादव ने दूसरों की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझते हुए पीड़ित मानवता की सेवा का बीड़ा उठाकर अब तक हजारों लोगों को भोजन के लिए राशन सामग्री व वस्त्र के साथ-साथ पर्यावरण के संरक्षण के लिए पौधा भी उपलब्ध कराया है। कोविड-19 से पैदा हुई वैश्विक महामारी के चलते शासन के निर्देश पर लगाए गए लॉक डाउन का पूरी तरीके से पालन करते हुए इस युवा समाजसेवी ने लॉकडाउन के दौरान कई जिले के लोगों को राशन किट वितरित कर एक नई मिसाल भी पेश की है। शरद बताते हैं कि समाज के गरीब, असहाय व पीड़ित मानवता का खेवनहार बनने की प्रेरणा उन्हें उनके माता-पिता से मिली है। जिन्होंने कभी भी किसी पड़ोसी को भूखे नहीं सोने दिया। 25 जुलाई 1988 को बसखारी में कैलाश नाथ यादव और प्रभावती देवी के होनहार पुत्र के रूप में जन्मे शरद यादव ने इतिहास विषय में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है। इनकी मां एक साधारण गृहणी और पिता समाजसेवी के रूप में जाने गए हैं। छात्र जीवन में ही लोगों के सहयोग की भावना इनके मन में बिरवा के रूप में अंकुरित हुई। जिसे इनके माता-पिता ने उर्वरता प्रदान की। जो आज विशाल वटवृक्ष का रूप लेकर सामाजिक कार्यों में जुटा हुआ है। इस युवा ने समाज सेवा का बीड़ा अब से 6 वर्ष पूर्व से उठा रखा है। इस दौरान उन्होंने अब तक हजारों गरीबों को खाद्य सामग्री, वस्त्र, जरूरत की अन्य मूलभूत वस्तुओं के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए एक पौधा उपलब्ध कराए हैं। इतना ही नहीं इस समाजसेवी ने तमाम गरीब प्रतिभावान छात्र छात्राओं को पाठ्य सामग्री के साथ साथ खिलाड़ियों को खेल सामग्री भी दी है। जिसके तहत 26 बच्चो को पढाने का बीडा भी उठा रखा है। शायद यही वजह है कि पिछले पंचायत चुनाव में क्षेत्र की जनता ने उन्हें निर्विरोध क्षेत्र पंचायत सदस्य चुना है। दूसरी तरफ जब से लाकडाउन लगा है। तब से शरद यादव व उनकी टीम के द्वारा लोगों की मदद करने का सिलसिला आज भी जारी है। जो बसखारी से शुरू होकर आसपास के जनपदों से होते हुए लखनऊ तक चला है। अपनी सामाजिक गतिविधियों को सुचारू रूप से निरंतर चलाने के लिए शरद यादव ने प्रभावती कैलाश चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना भी की है। जिसके बैनर तले और तमाम कार्य करने का संकल्प लिया है। वह बुद्धिज्म से प्रभावित हैं। वे ढोंग पाखंड और अंधविश्वास से न सिर्फ खुद को दूर रखते हैं बल्कि लोगों को इसके प्रति जागरूक भी करते हैं। यही कारण है कि उनकी टीम में विभिन्न धर्मों और समुदाय के लोग बड़ी संख्या में शामिल हैं। सभी मिलजुल कर उनकी एक आवाज पर तैयार रहकर सामाजिक कार्यों के दायित्व को निभाते। इसी टीम की बदौलत अब उन्होंने अप्रैल में बड़े पैमाने पर सामूहिक विवाह ट्रस्ट के संरक्षक शुजात अली, मोहम्मद जावेद राईन, डॉ आर एस मौर्य, डॉक्टर हिमायतुल्ला, डॉक्टर शोएब अख्तर, शशांक यादव, अमित कुमार, सुनील मौर्य, मोहम्मद इरफान, मोहम्मद नदीम खान, सलिल यादव के साथ मिलकर संकल्प लिया है।

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