हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश ‌ ‌महंगाई भत्ता व महंगाई राहत के रोके जाने पर सरकारसे जवाब

हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेशमहंगाई भत्ता व महंगाई राहत के रोके जाने पर सरकार जवाब दे स्वतंत्र प्रभात प्रयागराज। इलाहाबाद उच्चन्यायालय में न्यायमूर्ति जस्टिस जेजे मुनीर की एकल पीठ ने राज्य/केंद्र सरकार द्वारा महंगाई भत्ता व महंगाई राहत रोके जाने पर राज्य /केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। सुरेंद्र राही की रिट याचिका संख्या

‌हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश

‌महंगाई भत्ता व महंगाई राहत के रोके जाने पर सरकार जवाब दे

‌स्वतंत्र प्रभात प्रयागराज।

‌इलाहाबाद उच्चन्यायालय में न्यायमूर्ति जस्टिस जेजे मुनीर की एकल पीठ ने राज्य/केंद्र सरकार द्वारा महंगाई भत्ता व महंगाई राहत रोके जाने पर राज्य /केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। सुरेंद्र राही की रिट याचिका संख्या 4445 ऑफ 2020 में राज्य सरकार व केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा और अगली सुनवाई के लिये 16 जुलाई की तिथि निर्धारित की है

‌याचिका कर्ता की ओर से अधिवक्ता रमेश कुमार और राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी ने बहस की ।


‌याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के उस आदेश दिनांक 24 अप्रैल 2020 को गैर कानूनी और असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी जिसके द्वारा सभी सरकारी कर्मचारियों और पेंशन भोगियो को दिया जाने वाला महंगाई भत्ता और महंगाई राहत को जनवरी 2020 से जून 20121 तक के भुगतान पर रोक लगा दी थी ।
‌शासन का कहना है कि कोविड 19 से उतपन्न वित्तीय संकट के चलते सभी सरकारी कर्मचारियों ( शिक्षण संस्थानों , शहरी निकायों ) व पेंशन भोगियो के अनुमन्य महंगाई भत्ते महंगाई राहत के किश्तों का भुगतान नही किया जाएगा ।
‌विद्वान अधिवक्ता रमेश कुमार ने अपने बहस में कहा कि इस भुगतान को रोकने का अधिकार केवल संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत राष्ट्रपति में निहित है जो वित्तीय आपात काल लगा कर यह आदेश पारित कर सकता है ।
‌इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा 11 मार्च को नोटिफिएड डिजास्टर ( अधिसूचित आपदा) घोषित किया जा चुका है और इसके बाद किसी वित्तीय संकट का समाधान डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के प्राविधानों में निहित है ।
‌इस आदेश के द्वारा प्रदेश के लाखों कर्मचारियों और पेंशन भोगियो के सामने आर्थिक संकट उतपन्न हो गया है ।
‌किसी शासनादेश अथवा राजाज्ञा के द्वारा अथवा प्रशासनिक आदेश से इस प्रकार के आदेश नही जारी किए जा सकते हैं ।आदेश कानून के शासन और संविधान के अनुच्छेद 13 , 14 , 21 का उल्लंघन है।

‌ प्रयागराज से दया शंकर त्रिपाठी की विशेष रिपोर्ट

Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel