सरकारी पशु चिकित्सालयों में दवाओं का टोंटा, डॉक्टरों की कमी, खराब इंफ्रास्ट्रक्चर भी बड़ी चुनौती

सरकारी पशु चिकित्सालयों में दवाओं का टोंटा, डॉक्टरों की कमी, खराब इंफ्रास्ट्रक्चर भी बड़ी चुनौती

अमेठी। देश की आबादी का लगभग 60 से 70 प्रतिशत हिस्सा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर आधारित है। कृषि से जुड़ा ही पशुपालन भी है। गांव में प्रायः लोग अपनी निजी जरूरतों की पूर्ति हेतु गाय या भैंस लोग रखते ही हैं। किंतु जनपद अमेठी में सरकारी पशुचिकित्सालयों

अमेठी। देश की आबादी का लगभग 60 से 70 प्रतिशत  हिस्सा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर आधारित है। कृषि से जुड़ा ही पशुपालन भी है। गांव में प्रायः लोग अपनी निजी जरूरतों की पूर्ति हेतु गाय या भैंस लोग रखते ही हैं। 

            किंतु जनपद अमेठी में सरकारी पशुचिकित्सालयों की दशा दयनीय है। डॉक्टरों की जहां एक ओर कमी है वहीं खराब इंफ्रास्ट्रक्चर भी एक बड़ी चुनौती है। डॉक्टर नहीं होने से कई अस्पताल पैरावेट तो कई चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के भरोसे हैं। डॉक्टरों के आवास ना होने से  वो अस्पताल परिसर में निवास नहीं करते हैं। अर्थात नो इमरजेंसी सेवा। 

         किसानों को जो सबसे बड़ी समस्या होती है वह है पशु चिकित्सालयों में दवा की उपलब्धता ना होना। जिससे अगर पशु बीमार होते हैं तो किसानों को आम-तौर पर पांच सौ से लेकर दो हजार का आर्थिक बोझ अचानक ही उठाना पड़ता है। किंतु, आवश्यक दवा, अच्छे एंटीबायोटिक के इंजेक्शन सरकारी पशुचिकित्साल्यों में नहीं मिल पाते हैं जिससे किसानों व पशुपालकों को समस्या का सामना करना पड़ता है।

Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel