शासन, प्रशासन के सख्ती के बावजूद स्थानीय लापरवाही से जिले में शुरू हुआ नकल का खेल।

शासन, प्रशासन के सख्ती के बावजूद स्थानीय लापरवाही से जिले में शुरू हुआ नकल का खेल।

शासन, प्रशासन के सख्ती के बावजूद स्थानीय लापरवाही से जिले में शुरू हुआ नकल का खेल। उमेश सिंह (ब्यूरो चीफ ) भदोही। यूपी बोर्ड की परीक्षा में भले ही शासन का रवैया सख्त है लेकिन स्थानीय जिम्मेदार की ढीली रवैया से कही न कही नकल होने की बात को नकारा नही जा सकता है। नकल

शासन, प्रशासन के सख्ती के बावजूद स्थानीय लापरवाही से जिले में शुरू हुआ नकल का खेल।

उमेश सिंह (ब्यूरो चीफ )

भदोही। यूपी बोर्ड की परीक्षा में भले ही शासन का रवैया सख्त है लेकिन स्थानीय जिम्मेदार की ढीली रवैया से कही न कही नकल होने की बात को नकारा नही जा सकता है। नकल भले ही सरकारी और अर्द्धसरकारी कालेजों में न हो रही है लेकिन वित्तविहीन स्कूल कालेजो में नकल माफिया अपना पूरा दमखम लगाकर नकल की जुगत में लगे हुए है। वृहस्पतिवार को जिस तरह मऊ में इंटर का भौतिक विज्ञान का पेपर आऊट हुआ और उसमें भी वित्तविहीन कालेज शक के दायरे मे आया। मालूम होना चाहिए कि नकल रोकने के लिए सभी केन्द्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाये गये है। लेकिन कही न कही नकल माफिया कुछ जुगाड से अपना काम निकालने से बाज नही आते है। और परीक्षा केन्द्र पर मोबाइल प्रतिबन्धित है। लेकिन फिर भी परीक्षा केन्द्र पर तैनातकर्मी मोबाइल धड़ल्ले से उपयोग कर रहे है। इसका प्रमाण मऊ में हुई घटना से तो स्पष्ट हो गया।
कि स्थानीय जिम्मेदार की लापरवाही या मिलीभगत से नकल माफिया अपने कार्यो को अंजाम दे रहे है। और सभी नियम कानून को धता बताकर शासन की मंशा को तार तार कर रहे है। परीक्षा दे रहे बच्चों से बातचीत से समझ में आ रहा है कि परीक्षा के दौरान नकल का खेल जारी है। परीक्षा केन्द्रो पर जो केन्द्राध्यक्ष तैनात किये गये है। वे भी विद्यालयों के प्रबन्धक के इशारे पर मौन साधे रहते है। और सचल दस्ता पहुंचने पर सक्रिय हो जाते है। कुछ बच्चों ने नाम न खुलने के शर्त पर नकल होने की बात स्वीकार की। हालांकि शासन, प्रशासन की सख्ती की हवा परीक्षा केन्द्र पर तैनात केन्द्राध्यक्ष निकाल रहे है। लेकिन प्रशासन इस बात को मानने को तैयार नही है कि नकल का खेल हो रहा है। लेकिन परीक्षा में नकल के न होने की बात परीक्षा दे रहे बच्चों के हावभाव व बातचीत से स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। शासन के मंशानुरूप जब तक प्रशासन सक्रिय नही होगा तब तक नकल माफियाओं की चांदी रहेगी। जो आगे आने वाली पीढी के लिए नकल किसी कलंक से कम नही है।

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