आवारा मवेशियों से त्रस्त आमजनमानस, प्रसाशन मौन

आवारा मवेशियों से त्रस्त आमजनमानस, प्रसाशन मौन

सरेनी रायबरेली- जिधर देखो उधर आवारा मवेशी ही मवेशी नजर आ रहे हैं।गली,मोहल्ला,चौराहों ,खेतों हर जगह मवेशी ही नजर आ रहे हैं किसान भाई अपने खेतों की रक्षा करने के लिए दिनों रात अपने खेतों की रखवाली में लगे रहते हैं। फिर भी भारी मात्रा में मवेशी होने के कारण वो खेतों की सुरक्षा करने

सरेनी रायबरेली- जिधर देखो उधर आवारा मवेशी ही मवेशी नजर आ रहे हैं।गली,मोहल्ला,चौराहों ,खेतों हर जगह मवेशी ही नजर आ रहे हैं  किसान भाई अपने खेतों की रक्षा करने के लिए दिनों रात अपने खेतों की रखवाली में लगे रहते हैं। फिर भी भारी मात्रा में मवेशी होने के कारण वो खेतों की सुरक्षा करने में असहाय नजर आ रहे हैं।और इधर आवारा मवेशी अपनी भूख मिटाने के लिए किसानों के खेतों का सहारा ले रहे हैं। किसानों ने खेतों की सुरक्षा के लिए अपने खेतों के चारों ओर तारों का घेराव कर रखा है जिससे आवारा मवेशियों से खेतो में उगी फसल को महफूज रखा जा सके फिर भी किसान अपनी फसलों को सुरक्षित रखने में पूर्णतया कामयाब नहीं है।

खेतों में चारों ओर घिरे तारो में फंसकर मवेशियों की जाने जा रही है,कई घायल क्षेत्र में घायल अवस्था में कीड़े पडे हुए इधर उधर घूम रहे हैं फिर भी प्रसाशन पर इसका कोई भी प्रभाव  नही दिख रहा है।यूं तो जिले में गौशालाएं तमाम उपलब्ध बताई जा रही है लेकिन आवारा जानवरों ने क्षेत्र से लेकर गांव तक लोगों के नाक में दम कर दिया है। यही नहीं किसान की खड़ी फसल को आवारा जानवर जिस तरह से नष्ट कर रहे हैं किसान खून के आंसू रोने पर मजबूर है। यही नहीं आवारा इन जानवरों के शिकार आम नागरिक भी हो रहे हैं। आलम यह है कि आज क्या शहर क्या कस्बा हर जगह लोग इन आवारा जानवरों से हलकान हो रहे हैं।

सरकार दुर्घटना को लेकर हेलमेट लगाने को पाबंद कर रही है लेकिन आज शहर गली कूचे और हाईवे सड़कों पर इन आवारा जानवरों से रोज लोग टकराकर चोटिल हो रहे हैं। कभी-कभी तो लोगों को जान तक गंवा देनी पड़ती है। इन आवारा जानवरों में कई तो ऐसे हैं जो किसी के पालतू हैं दूध देना बंद करने पर इनके स्वामी इन्हें घर से बाहर छोड़ देते हैं।हर समय इधर से उधर घूमने वाले जानवर कभी-कभी लोगों पर हमला बोलकर घायल भी कर देते हैं  यह बेलगाम जानवर मुख्य मार्गों पर कब आकर दुर्घटना को अंजाम दे दे कुछ पता नहीं।बाजार में सब्जी विक्रेता,फल विक्रेता व अन्य दुकानदारों के रखे सामान पर मुंह मारकर सड़कों पर फैला देते हैं।

वहीं किसानों के खेतों में खड़ी फसलें और सब्जी आदि में भी नुकसान पहुंचाते हैं ।जब सड़कों पर इनका संघर्ष होता है तो आवागमन बंद हो जाता है।बीते समय में जगह-जगह आवारा जानवरों के लिए बाड़ा हुआ करते थे, इनमें आवारा जानवरों को पकड़ कर रखा जाता था यदि कोई जानवर का दावेदार होता था तो उस पर जुर्माना लगाया जाता था और जितने दिन बाडे में जानवर बंद रहता था उसके खानपान पर खर्चा भी उसके दावेदार से वसूल किया जाता था। तब लोग जानवरों को खुला नहीं छोड़ते थे लेकिन अब प्रशासन की उदासीनता से ऐसा कुछ नहीं होता है जिससे आवारा जानवरों की संख्या बढ़ गई है। हालांकि कहने के लिए तो जिले में तमाम गौशाला हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि गौशालाओं से अधिक आवारा जानवरों की संख्या है।

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