झोलाछाप डॉक्टरों के हौंसले बुलंद मरीजों की जान से कर रहे खिलवाड़

झोलाछाप डॉक्टरों के हौंसले बुलंद मरीजों की जान से कर रहे खिलवाड़

विना लाइसेंस के चल रहे हैं चमन के नाम से कई मेडिकल स्टोर स्वास्थ्य महकमा जान कर भी अंजान


रिपोर्टर वृजेश कुमार वर्मा

बलरामपुर जिले के पचपेड़वा अनुभाग में गांव-गांव में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। चाय की गुमटियों जैसी दुकानाें में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से। सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। खास बात यह है कि अधिकतर झोलाछाप डॉक्टरों की उम्र 15 से 25 साल के बीच है। मरीज की हालत बिगड़ती है तो उससे आनन फानन में पचपेड़वा अथवा जिला अस्पताल बलरामपुर भेज दिया जाता है। जबकि यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की जानकारी में भी है।

पचपेड़वा अनुभाग के ग्रामीण क्षेत्र  बढ़ेपुरवा कोहरगड्डी कोड़र विशुनपुर विश्राम सहित दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र विशुनपुर विश्राम पर भी दवा व सुविधाएं नहीं हैं। इसका फायदा सीधे तौर पर झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे हैं।  क्षेत्र वासियों के अनुसार विशुनपुर विश्राम गांव में सरकारी अस्पताल तो है लेकिन दवा  इलाज की सुविधा नहीं है। पचपेड़वा जाना पड़ता है। बीमार होने पर झोलाछाप डॉक्टरों से ही इलाज कराना पड़ता है।

बिना लाइसेंस के दवाओं का भंडारण भी करते हैं डॉक्टर

झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा बिना पंजीयन के एलोपैथी चिकित्सा व्यवसाय ही नहीं किया जा रहा है। बल्कि बिना ड्रग लाइसेंस के दवाओं का भंडारण व विक्रय भी अवैध रूप से किया जा रहा है। दुकानों के भीतर कार्टून में दवाओं का अवैध तरीके से भंडारण रहता है। पचपेड़वा  अनुभाग में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई सालों से अवैध रूप से चिकित्सा व्यवसाय कर रहे लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। इन दिनों मौसमी बीमारियों का कहर है। झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें मरीजों से भरी पड़ी हैं। गर्मी व तपन बढ़ने के कारण इन दिनो उल्टी, दस्त, बुखार जैसी बीमारियां ज्यादा पनप रही हैं। झोलाछाप इन मर्जों का इलाज ग्लूकोज की बोतलें लगाने से शुरू करते हैं। एक बोतल चढ़ाने के लिए इनकी फीस 100 से 200 रुपए तक होती है।

स्वास्थ्य विभाग नहीं करता कार्रवाई

झोलाछाप डॉक्टरों की वजह से अब तक कई लोगों की असमय जान चली गई है। पचपेड़वा क्षेत्र के विशुनपुर विश्राम में  स्थित चमन मेडिकल प्राइवेट क्लीनिक  पर विना रोक टोक अप्रशिक्षित लड़कों द्वारा दवा इलाज किया जा रहा है लेकिन इन झोलाछाप डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। ग्रामीण क्षेत्र में एक बार भी प्रशासन की कार्रवाई देखने को नहीं मिली है। झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं और प्रशासन दूर से ही इन्हें देख रहा है।

केस बिगड़ने पर अस्पताल रैफर कर देते हैं मरीज

बीते कुछ वर्षों से फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टरों की वृद्धि हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में कोई मात्र फर्स्ट एड के डिग्रीधारी हैं तो कोई अपने आप को बवासीर या दंत चिकित्सक बता रहा है लेकिन इनके निजी क्लीनिकों में लगभग सभी गंभीर बीमारियों का इलाज धड़ल्ले से किया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों ने तो अपनी क्लिनिक में ही ब्लड जांच, यूरीन जांच इत्यादि की सुविधा भी कर रखी है।

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